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Cheetah in Kuno: 70 साल बाद देश देखेगा चीता, प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा

BY: Roshan Kumar • LAST UPDATED : September 15, 2022, 4:37 pm IST
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Cheetah in Kuno: 70 साल बाद देश देखेगा चीता, प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा

साल 1952 में भारत सरकार ने देश से चीतों को आधिकारिक रूप से विलुप्त मान लिया था.

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, Cheetah in Kuno): भारत के विलुप्त हुई चुके चीते जल्द ही दिखेंगे। नाम्बिया से लाए गए आठ चीतों को प्रधानमंत्री अपने जन्मदिन के अवसर पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे।

चीता एक मात्र मांसाहारी पशु है जो भारत में विलुप्त हो चुका है। जानकारों के अनुसार माना जाता है कि मध्य प्रदेश के कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह ने देश के आखिरी तीन चीतों को साल 1948 में शिकार कर उनको मार दिया था। साल 1952 में भारत सरकार ने देश से चीतों को आधिकारिक रूप से विलुप्त मान लिया था.

200 चीते किये गए थे आयात

साल 1918 – 1945 के बीच देश में 200 चीते आयत किया गए थे। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के पूर्व उपाध्यक्ष दिव्य भानु सिंह की लिखी पुस्तक ” द एन्ड ऑफ़ ए ट्रेल द चीता इन इंडिया” के अनुसार शिकार करना, कैद करना और प्रजनन दर में हुई दिक्कतों के कारण चीतों की संख्या में लगातार गिरावट आते गई। 20वी सदी की शुरुआत में चीतों की संख्या काफी कम हो गई थी। 1970 के समय में भारत ने शेरों के बदले चीता देने के लिए ईरान के शाह से बातचीत की थी लेकिन कई सारे कारणों के यह नही हो सका.

चीतों को लाने के लिए विशेष विमान तैयार किया गया है। 

 

2009 में सरकार ने बनाई थी योजना

भारत सरकार की ओर से साल 2009 में कूनो में चीतों में बसाने की योजना बनाई गई थी। साल 2020 में इस योजना को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिली थी। साल 2022 में भारत ने चीतों के लिए नाम्बिया से समझौता किया। 16 सितम्बर को आठ चीते नाम्बिया की राजधानी विंडहोक से भारत आ रहे है.

तेंदुए को लोग समझ लेते है चीता

इन चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क में 10 किलोमीटर का विशेष घेरा तैयार किया गया है। अभी दुनिया भर में चीतों की संख्या 7100 है। भारत में लोग अक्सर तेंदुआ को चीता समझ लेते है। पर इन दोनों में कई अंतर है। तेंदुआ पेड़ पर आसानी से चढ़ जाता है जबकि चीता पेड़ पर नही चढ़ता। तेंदुए को घास के मैदानों में रहना पसंद होता है। डब्बों के आधार पर भी दोनों में अंतर पता किया जा सकता है.

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