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हरियाणवी फिल्मों से लेकर बॉलीवुड तक बजा दरियाव सिंह मलिक के नाम का डंका

Harpreet Singh • LAST UPDATED : April 21, 2022, 4:58 pm IST
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हरियाणवी फिल्मों से लेकर बॉलीवुड तक बजा दरियाव सिंह मलिक के नाम का डंका

हरियाणवी फिल्मों से लेकर बॉलीवुड तक बजा दरियाव सिंह मलिक के नाम का डंका

  • यशराज बैनर को प्रेम चोपड़ा नहीं भाए, पर दरियाव सिंह मलिक एक बार में ही जम गए
  • हरियाणा सिनेमा में बड़ा हस्ताक्षर थे दरियाव सिंह मलिक, हरियाणवी फिल्मों से लेकर बॉलीवुड तक बजा उनके नाम का डंका
  • मेरे डैड की मारुति फिल्म के लिए 200 स्क्रीन टेस्ट के भी नहीं मिला सही कलाकार, दरियाव सिंह मलिक पहले ही स्क्रीन टेस्ट में सिलेक्ट हुए

डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : दरियाव सिंह मलिक (Dariyav Singh Malik) 21 अप्रैल 2022 को इस दुनिया से रुखसत हो गए और हर किसी के लिए ये पल किसी सदमे से कम नहीं था। वीरवार को 85 बसंत देखने के बाद उनका स्वर्गवास हो गया जो कि हरियाणा सिनेमा (Haryanavi Cinema) के लिए एक अपूरणीय क्षति है। चाहे हरियाणा सिनेमा की बात हो या फिर शैक्षणिक संस्थान में उनकी हास्य प्रस्तुति या स्टेज संभालना या रंगमंच या फिर यशराज बैनर में उनकी भूमिका अदायगी…… हर कोई उनका कायल था। जहां भी एक बार गए, हर कोई उनके हास्य व बातचीत के लहजे का कायल हो जाता था।

Dariyav Singh Malik was the superstar of Haryanvi films

हरियाणवी फिल्मों से लेकर बॉलीवुड तक बजा दरियाव सिंह मलिक के नाम का डंका

हरियाणा से लेकर मुंबई तक, हर जगह उनके नाम का सिक्का चला। हरियाणा की पहली सुपरहिट फिल्म चंद्रावल (Haryana’s first superhit film Chandrawal) ने कई कलाकारों को नाम और शोहरत दी थी और उन्ही में से एक थे दरियाव सिंह मलिक जिनकी भूमिका को हर फिल्म में सराहा गया। जब तक जिए हर किसी के जहन में छाए रहे और जाते जाते हरियाणवी सिनेमा और हास्य कला में एक बड़े हस्ताक्षर के रूप में दर्ज हो गए।

यशराज बैनर ने प्रेम चोपड़ा को नहीं लिया लेकिन दरियाव सिंह पहली बार में ही भा गए

ऐसा नहीं है कि दरियाव सिंह मलिक ने केवल हरियाणा फिल्मों में ही काम किया। उन्होंने बॉलीवुड में भी काम किया। यशराज बैनर की गिनती देश के सबसे बड़े बैनर में होती है। बैनर की फिल्म मेरे डैड की मारुति में उनके अभिनय की सराहना हुई। इस बारे में निर्माता निर्देशक हरविंद्र मलिक ने एक अनुभव साझा करते हुए कहा कि यशराज बैनर की तरफ से उनको मैसेज आया कि फिल्म के लिए 80 साल के पिता व 60 साल के कैरेक्टर की भूमिका के लिए दो हरियाणवी कलाकार चाहिए। इससे पहले बैनर 200 स्क्रीन टेस्ट कर चुका था लेकिन कलाकार नहीं जमे।

यहां तक कि बेहद ही सीनीयर कलाकार व जाने माने बॉलीवुड एक्टर प्रेम चोपड़ा (Prem Chopra) भी बैनर को नहीं जमे। हरविंद्र मलिक ने आगे बताया कि उन्होंने मुंबई से स्क्रिप्ट मंगवा दरियाव सिंह मलिक को रोहतक स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया। वो वहां बिल्कुल तय समय पर पहुंचे। इसके बाद डायलॉग आधारित स्क्रीन टेस्ट हुआ। जब रिकॉर्डिंग मुंबई भेजी गई तो वो पहली बार में यशराज बैनर (YashRaj Banner) को जंच गए। बड़े भाई साहब की भूमिका में दरियाव सिंह मलिक बड़े भाई साहब की भूमिका में और रघुवेंद्र सिंह मलिक छोटे भाई साहब की भूमिका में खूब जंचे।

हाजिर जवाबी और हरियाणवी चुटकुलों में नहीं था उनका कोई सानी

दरियाव सिंह मलिक ऐसी शख्सियत थे कि एक बार कोई उनसे मिले तो उनको भूल नहीं पाता था। अपनी हाजिर जवाबी और चुटकुले सुनाने के लिए मशहूर थे। वो अपने अंतिम समय तक बेहद सक्रिय थे और उम्र के इस पड़ाव में भी वे दिल से उतने ही युवा हैं जितने चंद्रावल फिल्म में काम के दौरान थे। जब भी वो किसी यूनिवर्सिटी या किसी अन्य जगह कार्यक्रम में में स्टेज पर चढ़ते तो चाहे युवा हो या बुजुर्ग या फिर महिलाएं, हर कोई उनके चुटकुलों व स्टेज प्रस्तुतता का दीवाना हो जाता था।

डेढ़ दर्जन से ज्यादा फिल्मों में काम किया, पानीपत के रहने वाले थे मलिक

यूं तो दरियाव सिंह मलिक ने ज्यादातर फिल्में हरियाणवी ही की हैं। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1983 में हरियाणवी बोली में बनी चंद्रावल फिल्म से की थी जो कि उस वक्त बेहद सफल रही। इसेक बाद मलिक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और डेढ़ दर्जन से ज्यादा हरियाणवी फिल्मों में अपनी कलाकारी का लोहा मनवाया। जाट समुदाय से आने वाले मलिक पानीपत के उग्रा खेड़ी गांव के रहने वाले थे।

आकाशवाणी से की थी करियर की शुरुआत, 28 मिनट के कार्यक्रम के लिए 450 रुपए लेते थे मलिक

बता दें कि दरियाव सिंह मलिक ने अपने करियर की शुरुआत आकाशवाणी से की थी। उन्होंने साल 1969 में पता लगा कि उनका रेडियो पर ऑडिशन होने वाला है और इसको लेकर वो दिल्ली चले गए। पहले ग्रामोफोन द्वारा रिकॉर्ड किए गए प्रोग्राम रेडियो पर प्रसारित किए जाते थे। इसके बाद उनको रात 10 बजे के बाद रोहतक की आकाशवाणी से कार्यक्रम करने का मौका मिला। दरियाव सिंह मलिक को 28 मिनट के कार्यक्रम के लिए 450 हर महीने मिलते थे और वो लोगों के बीच बेहद पापुलर हो गए। लोग इंतजार करते कि उनका प्रोग्राम कब आएगा।

राष्ट्रपति अवॉर्ड भी मिला मलिक को 

दरियाव सिंह मलिक यूं तो किसी परिचय के मोहताज नहीं थे। उनको उनके बेहतर काम से लिए राष्ट्रपति अवार्ड (President’s Award) से भी सम्मानित किया गया था। फिल्मों में उनके योगदान के लिए और हास्य कला को नए आयाम देने के लिए उनका नाम साल 2005 में इस अवार्ड के लिए भेजा गया। साल 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (President APJ Abdul Kalam) ने उन्हें इस अवार्ड से सम्मानित किया। दसवीं पास मलिक हिंदी, पंजाबी, इंग्लिश सभी भाषाओं में पारंगत थे और अच्छे से बोलते व समझते थे।

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उन्होंने जनसंपर्क विभाग में भी अपनी सेवाएं दी थी। इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी खासी रुचि रखते थे और अपने समय में वॉलीबॉल खेल के स्टेट लेवल के खिलाड़ी भी रहे हैं। एक बार कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी (Kurukshetra University) में उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा था कि आर्ट में आज तक किसी भी जाट को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया और ऐसा कर पाना उनके लिए गर्व की बात है। वो पहले जाट हैं जिन्हें आर्ट में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया और बेस्ट हास्य कलाकार की उपाधि भी मिली।

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