इंडिया न्यूज, भोपाल।

Dashanan is Worshiped on Dussehra : देशभर में दशहरा पर रावण दहन या रावन वध की परंपरा है, लेकिन कुछ जगहों पर इस दिन रावण की पूजा करने की भी मान्यता है। मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण की पूजा करने की परंपरा है। मंदसौर के पास रावण ग्राम में रावण की पहले पूजा की जाती है, यहां रावण वध या दहन को लेकर कई मान्यताएं हैं। यहां के निवासी रावण को दामाद मानते हैं।

मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की रहने वाली थीं। प्राचीन समय में मंदसौर का नाम मंदोत्तरी हुआ करता था, इसीलिए मंदसौर रावण की ससुराल है। मंदसौर में नामदेव समाज की महिलाएं आज भी रावण की प्रतिमा के सामने घूंघट करती हैं। महिलाएं रावण के पैरों पर लच्छा (धागा) बांधती हैं। मान्यता है कि धागा बांधने से बीमारियां दूर होती हैं। यहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। हर साल दशहरे पर रावण के पूजन का आयोजन मंदसौर के नामदेव समाज द्वारा किया जाता है।

रावण की प्रतिमा पर गधे का सिर (Dashanan is Worshiped on Dussehra)

नामदेव समाज के लोगों के अनुसार खानपुरा में करीब 200 साल से भी पुरानी रावण की प्रतिमा लगी हुई थी। 2006-07 में आकाशीय बिजली गिरने से यह प्रतिमा खंडित हो गई। उसके बाद नगर पालिका ने रावण की दूसरी प्रतिमा की स्थापना कराई। हर साल नगर पालिका प्रतिमा का रखरखाव कराती है। रावण की प्रतिमा पर 4-4 सिर दोनों तरफ व एक मुख्य सिर है। मुख्य सिर के ऊपर गधे का एक सिर है। बुजुर्गों की मांने तो  रावण की बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी, उसके इसी अवगुण को दर्शाने के लिए प्रतिमा पर गधे का भी एक सिर लगाया गया है।

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