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वायू प्रदूषण की गंभीरता के बावजूद पराली जलाने का सिलसिला जारी, गैस चैंबर बनने को तैयार दिल्ली

BY: Priyanshi Singh • LAST UPDATED : November 4, 2022, 10:45 am IST
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वायू प्रदूषण की गंभीरता के बावजूद पराली जलाने का सिलसिला जारी, गैस चैंबर बनने को तैयार दिल्ली

air polution in delhi

Air Pollution in Delhi and Punjab: पराली जलाने से हर साल वायू प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है । इसे लेकर सरकारें बड़ी – बड़ी पॅालिस भी बनाती हैं लेकिन  पराली जलाने के समय सब धरा का धरा रह जाता है। बता दें दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाये जाने का हिस्सा बृहस्पतिवार को बढ़कर 38 फीसद हो गया था। इतना ही नहीं विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी में छाई कोहरे की मोटी परत के पीछे यही वजह है।

पंजाब सरकार पराली संकट को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पंजाब सरकार पराली संकट को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। यदि ऐसा ही रवैया रहा तो आने वाले दो सप्ताह में पंजाब में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान भले ही दावा कर रहे हों कि सरकार पराली निस्तारण के लिए 8 सूत्रीय एजेंडा पर काम कर रही है, लेकिन जमीन पर इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा।

 इस साल पराली जलाने की घटनाएं 19 फीसद बढ़ी

बता दें इस गंभीर मुद्दे पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि पंजाब में 2021 की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाएं 19 फीसद बढ़ गयी है और यह भी कि आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय राजधानी को गैस चैंबर बना दिया है।

2021 के मुकाबले ज्यादा जल रही पराली

राज्य में अभी तक कुल 17,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पिछले वर्ष अब 13,124 केस थे, जो 2021 के मुकाबले 2880 ज्यादा हैं। इस लिहाज से आने वाले दो सप्ताह बेहद चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं, क्योंकि वर्ष 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि 15 सितंबर से 31 अक्टूबर तक पराली जलाने के कुल 13,124 मामले थे, जबकि एक नवंबर से 15 नवंबर तक इनकी संख्या 67,165 पहुंच गई थी। महज 15 दिनों में ही 54 हजार से ज्यादा केस सामने आए। यानी शुरू के 45 दिनों में 20 प्रतिशत और आखिरी 15 दिनों में 80 प्रतिशत पराली जलाई गई। 15 नवंबर तक किसान गेहूं की बोआई शुरू कर देंगे। इसलिए किसान अब खेत तैयार करने के लिए जल्दी-जल्दी पराली को जलाकर खत्म करेंगे।

बता दें चार सौ से ऊपर का वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर माना जाता है और वह स्वस्थ लोगों को प्रभावित कर सकता है एवं पहले से बीमार लोगों पर बहुत बुरा असर डालता है।शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की से जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार दिल्ली के लोगों की जीवन प्रत्याशा घटिया वायु गुणवत्ता के चलते 10 साल घट गयी है।

दिल्‍ली में एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स लगातार सीवियर बना हुआ है। एक्‍सपर्ट्स ने पहले ही इसकी भविष्‍यवाणी कर दी थी। 0-50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’ और 401-500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। एयर पॉल्‍यूशन कंट्रोल करने के लिए कई तरह की बंदिशें लगाई गई हैं। इनमें सीवर लाइन बिछाने, बैचिंग संयंत्रों के संचालन, पानी की पाइप बिछाने, नाले से जुड़े कार्य, टाइल्स को काटने और बिछाने, पत्थर और फर्श पर बिछाने की अन्य सामग्री, वाटरप्रूफिंग कार्य, फुटपाथ समेत सड़क निर्माण कार्य और कई अन्य गतिविधियों पर पाबंदी लगाई गई है।

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