India News (इंडिया न्यूज़), Dindori Vidhan Sabha Seat: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में महज एक महीने का समय बचा है। इसी के साथ सियासी सरगर्मी भी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। जिसमें 144 नामों का ऐलान किया गया है। मध्यप्रदेश के 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोटिंग होनी है। जिसका रिजल्ट 3 दिसंबर को जारी किया जाएगा। ऐसे में हमारे लिए मध्यप्रदेश की राजनीतिक इतिहास को जानना जरुरी है। आज हम मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिला के बारे में जानेंगे
- साल 2018 में इस सीट से हुआ त्रिकोणीय मुकाबला
- 924 गांवों वाला जिला डिंडौरी कांग्रेस का किला
डिंडौरी का राजनीतिक इतिहास
डिंडौरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का राज है। डिंडौरी एक आदिवासी बहुल जिला है। जिसमें दो विधानसभा सीटें आती है। दोनों सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 924 गांवों वाला जिला डिंडौरी जिले की स्थापना 25 मई 1998 में हुई थी। यह जिला जबलपुर मंडल के तहत आता है। वहीं सीमा छत्तीसगढ़ राज्य से सटी है।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में डिंडौरी सीट पर 8 उम्मीदवारों ने ने चुनाव लड़ा था। जिसमें त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला। इस दौरान कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम ने 85,039 वोट बटोरा। वहीं बीजेपी के जय सिंह मारावी 52,989 वोट पर सिमट गए। इनके अलावा गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी के गंगा सिंह पट्टा ने 28,274 वोट प्राप्तकिया। गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी के मजबूत टक्कर के कारण बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।
किसे मिली कितनी जीत
डिंडौरी विधानसभा सीट के इतिहास की बात करें तो यहां साल 1990 के चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। जिसके बाद 1993 में कांग्रेस ने सत्ता संभाली। वहीं 1998 में एक बार फिर बीजेपी ने वापसी की। वहीं 2003 में बीजेपी ने यह सीट अपने पास रखी। जिसके बाद साल 2008 से लेकर अबतक बीजेपी सत्ता में नहीं आ पाई। साल 2008 से कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम ने लगातार जीत हासिल की है।
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