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विजय दर्डा
चेयरमैन, एडिटोरियल बोर्ड
लोकमत समूह
कॉर्डेलिया क्रूज रेव पार्टी पर नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के छापे के बाद फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में है। यह स्वाभाविक भी है लेकिन वास्तव में कहानी केवल एक रेव पार्टी और कुछ हाईप्रोफाइल युवाओं की गिरफ्तारी की नहीं है। बड़े संदर्भो में यह कहानी है उस पश्चिमी चाल चलन की जिसमें ड्रग्स है, सेक्स है और मौज-मस्ती की अंधेरी काली दुनिया है जिसकी गिरफ्त में हमारा युवा वर्ग तेजी से फंसता जा रहा है। ये ड्रग्स वाकई बहुत विनाशकारी है। नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी के अधिकारियों को तो पता भी नहीं था कि रेव पार्टी में किन बड़ी हस्तियों की औलादें हैं। उन्हें तो खबर मिली थी कि कॉर्डेलिया पर रेव पार्टी होने वाली है जिसे फैशन टीवी के मैनेजिंग डायरेक्टर काशिफ खान ने आयोजित किया है।
काशिफ खान तो वहां हाथ नहीं आया, आर्यन खान हाथ आ गए और तहलका मच गया। रेव पार्टियों के बारे में मुङो जो जानकारी अधिकारियों से मिली है वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है। वहां गांजा, चरस, अफीम, कोकीन और न जाने किन-किन ड्रग्स का तो इस्तेमाल होता ही है, एमडीएमए नाम के एक ड्रग का भी उपयोग होता है जो सेक्स को लेकर उत्तेजना पैदा करता है। इतनी भीषण उत्तेजना कि घंटों तक और कई लोगों के साथ सेक्स में लगे रहने की शक्ति पैदा हो जाती है। जरा सोचिए कि जिन लड़कियों के साथ यह सब होता होगा वो भी तो किसी घर की बेटी ही होंगी! मस्ती के चक्कर में खुद को क्रूर पंजों में वे सौंप देती हैं। इसके लिए क्या वो अकेले दोषी हैं?
मेरा मानना है कि माता-पिता और परिवार इसके लिए ज्यादा दोषी है। हमारा बच्चा क्या कर रहा है, इसकी जानकारी रखना परिवार का दायित्व है। दुनिया की चकाचौंध से आकर्षित मध्यम वर्ग की बच्चियों को शिकार बनाया जाता है तो दौलतमंद लोगों की संतानें केवल मौज-मस्ती के चक्कर में फंस जाती हैं। ध्यान रखिए कि दौलत का यह कतई अर्थ नहीं कि अपनी औलादों को बिगाड़ दें! एक वो माता-पिता होते हैं जो मजदूरी करके, घरों में बर्तन मांज कर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं और उनमें से ही कोई अब्दुल कलाम निकल आता है। दूसरे वो मां-बाप हैं जो बच्चे को हर रोज हजारों रुपए जेब खर्च देते समय यह नहीं पूछते कि इतने पैसे क्यों चाहिए? देर रात घर लौटे तो नहीं पूछते कि कहां थे?
नतीजा आपके सामने है। बच्चों को फंसने के लिए तो हर मोड़ पर ड्रग्स के सौदागर ग्लैमर लिए खड़े हैं। रेव पार्टियों में इसीलिए तो हालीवुड और बॉलीवुड के सितारों या उनकी औलादों को शामिल किया जाता है! कुछ साल पहले एक वीडियो ने तहलका मचा दिया था जिसमें फिल्मी दुनिया की कई हस्तियां थीं लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिर क्यों? मैं जब मुंबई में पढ़ रहा था तब देखता था कि स्कूल-कॉलेज के पास जिन पान दुकानों के भीतर शंकर भगवान की तस्वीर लगी रहती थी, वहां गांजा और चरस की बिक्री होती थी। शंकर भगवान की तस्वीर का इस्तेमाल ड्रग का संकेत देने के लिए किया जाता था।
वह धंधा खुलेआम चलता था। उसके ठीक बाद नशे में चूर रहने वाले हिप्पियों का अमेरिका, यूरोप और इंग्लैंड से भारत आना शुरू हो गया था। वे गोवा में बीच पर पड़े रहते थे। वहां एक ऐसा कल्चर स्थापित हो गया जिसमें ड्रग्स का कारोबार था, सेक्स था। उसके बाद वहां रशियन ने टेकओवर किया। फिर पूरे देश में ड्रग्स का कारोबार फैलना शुरू हुआ। भारत में ड्रग्स के कारोबार का आर्थिक तंत्र कितना बड़ा है इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है। बस आकलन है कि यह दो लाख करोड़ रुपए का हो सकता है लेकिन मुझे तो स्थिति इससे भी भयावह लगती है। दुनिया में सबसे बड़ा माफिया ड्रग माफिया ही है और दूसरे नंबर पर हथियार माफिया है। दोनों आपस में जुड़े हुए हैं और इनके तार आतंकवादी संगठनों से जुड़े रहते हैं। ड्रग्स के कारोबार के मामले में भारत दुनिया के दस प्रमुख देशों में से एक है। भारत में ड्रग्स की खूब खपत तो होती ही है, भारत की भौगोलिक स्थिति इसे डिस्ट्रीब्यूशन का बड़ा केंद्र भी बनाती है। दुनिया में जितना ड्रग्स पैदा होता है उसका 40 प्रतिशत हिस्सा अफगानिस्तान में उगाया जाता है। इसे तस्करी के माध्यम से भारत लाकर प्रोसेस किया जाता है। फिर तैयार ड्रग्स दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है। दुर्भाग्य की बात है कि हमारे यहां ड्रग्स को लेकर सिंगापुर जैसे कड़े कानून नहीं हैं। वहां ड्रग्स रखने वालों को सजा-ए-मौत दी जाती है।
हमारे यहां भी इसी तरह की व्यवस्था होनी चाहिए! ड्रग्स के खिलाफ हमें प्रशासनिक स्तर पर भी और समाज के स्तर पर भी लड़ाई लड़नी होगी। हमारी सजगता ही हमारे बच्चों को ड्रग्स की अंधेरी दुनिया में जाने से बचा सकती है। एक दिन एनसीबी के डायरेक्टर समीर वानखेड़े से मैं बात कर रहा था। मैंने उन्हें कहा कि तुम किसान के बेटे हो, विदर्भ की मिट्टी से आते हो जो आजादी की मिट्टी है। तुम्हें मौका मिला है, माता-पिता के संस्कार साथ हैं तो तुम्हें ड्रग्स के कारोबारियों को बख्शना नहीं चाहिए। उन्होंने मुझसे वादा किया कि मैं ईमानदारी से इसे क्रैक डाउन करूंगा। मुङो खुशी है कि समीर कर भी रहे हैं।
मेरा कहना है कि समीर जैसे अधिकारियों का साथ राजनीति को एकजुट होकर देना चाहिए। मुङो पूरा विश्वास है कि केंद्र में बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य में बैठे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पारिवारिक संस्कार ऐसे हैं कि वे ड्रग्स कारोबारियों को नेस्तनाबूद जरूर करेंगे।
Drugs…Sex…the Dark black World of Fun! और अंत में… अंतरराष्ट्रीय ख्याति के एक डॉक्टर से मेरी बात हो रही थी। उन्होंने बताया कि आॅपरेशन करने के पहले वे लोगों से पूछते हैं कि कोई नशा तो नहीं करते हो? आश्चर्यजनक रूप से 80 फीसदी युवा बताते हैं कि वे किसी न किसी तरह का नशा करते हैं! सोचिएगा जरूर… नशा करने वालों में कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं है?
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