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इंडिया न्यूज़ (रांची, EC sends its opinion to Jharkhand Governor on disqualification of basant soren): झारखंड में सियासी घमासान के बीच, चुनाव आयोग (ईसी) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन की अयोग्यता के संबंध में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को अपनी राय भेजी है.
अब राज्यपाल को झामुमो विधायक की अयोग्यता पर चुनाव आयोग की राय पर फैसला लेना होगा। चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल से प्राप्त संदर्भ पर 29 अगस्त को मामले पर अपनी सुनवाई समाप्त की थी.
राज्यपाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बसंत सोरेन को अयोग्य ठहराने कि मांग कि थी। बीजेपी ने आरोप लगाया था की बसंत सोरने ने चुनावी हलफनामें में खनन फर्म के सह-मालिक होने का खुलासा नही किया और यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 का उल्लंगन है। भाजपा ने आरोप लगाया था की बसंत सोरेन की जिस कंपनी में हिस्सेदार है उसका राज्य सरकार पर 8 करोड़ रुपये बकाया है.
इससे पहले गुरुवार को बसंत सोरेन ने हाल के राजनीतिक संकट के दौरान राज्य से अपनी गैरमौजूदगी पर अजीबोगरीब बयान दिया था.
झारखंड में राजनीतिक संकट के समय दिल्ली की अपनी यात्रा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था की, “मेरे पास अंडरगारमेंट्स खत्म हो गए थे, इसलिए मैं उन्हें खरीदने के लिए दिल्ली गया था, और एक सामान्य बात है यह होता रहता है।”
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भी अयोग्यता मामले में अभी फैसला आना बाकी है। चुनाव आयोग ने इस मामले में भी राज्यपाल को अपनी राय भेज दी है। भाजपा ने हेमंत सोरेन को एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने 2021 में राज्य के खनन विभाग को अपने पास रखते हुए खुद को खनन पट्टा आवंटित कर लिया, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9(ए) का उल्लंगन है.
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