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मुख्य सचिव ने ली अधिकारियों की बैठक
एबीसी, एआर कार्यक्रम को और तेजी और प्रभावशाली ढंग से लागू करने के निर्देश
आवारा कुत्तों की समस्या और जानवरों पर क्रूरता रोकने के लिए चलाई जाएगी मुहिम
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
Punjab: राज्य में आवारा कुत्तों की बढ़ रही समस्या के प्रति मानवीय पहुंच अपनाते हुए पंजाब सरकार ने आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने और इनके कारण होने वाले हादसों को रोकने के लिए नसबंदी मुहिम को और तेज करने का फैसला किया है। इस मकसद के लिए स्थानीय निकाय विभाग द्वारा एंटी बर्थ कंट्रोल और एंटी-रैबीज (एबीसी / एआर) कार्यक्रम को और तेजी और प्रभावशाली ढंग से लागू करने के लिए म्यूनिसिपल स्तर पर वेटरनरी डॉक्टरों की सहायता ली जाएगी।
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व्यापक नसबंदी मुहिम चलाने के अलावा आवारा कुत्तों के खतरे को रोकने के साथ-साथ जानवरों, खास कर आवारा कुत्तों के खिलाफ क्रूरतापूर्ण रवैये को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करने और उनका सहयोग मांगने के लिए जल्द ही एक अलग तौर पर मुहिम शुरू की जाएगी। यह फैसला ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की समस्या पर काबू पाने और जानवरों के खिलाफ बेरहम रवैये को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों की प्रगति की समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव विनी महाजन की अध्यक्षता अधीन हुई मीटिंग में लिए गए।
मुख्य सचिव ने स्थानीय निकाय विभाग को यह यकीनी बनाने के लिए कहा कि सभी शहरी संस्थाओं सिर्फ उन पशु कल्याण संस्थाओं/गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को इस कार्य में शामिल करें जिनको एबीसी / एआर प्रोग्राम को चलाने के लिए भारतीय पशु कल्याण बोर्ड से अपेक्षित अनुमति मिली हुई है।
उन्होंने कहा कि यह यकीनी बनाना जरूरी है कि कुत्तों की नसबंदी करने वाले पशु कल्याण संगठनों और एनजीओ के पास एडब्ल्यूबीआई के दिशा निर्देशों की पालना के अंतर्गत एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉगज) रूल्ज, 2001 के अनुसार अपेक्षित बुनियादी ढांचा, तजुर्बा और महारत हासिल हो जिससे जानवरों को क्रूरता से बचाया जा सके। महाजन को बताया गया कि राज्य भर के शहर और गांवों में अब तक 1.7 लाख से अधिक आवारा कुत्ता की नसबंदी की जा चुकी है।
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