डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
Ellenabad By Election to be Held Today: आखिरकार 30 अक्टूबर की तारीख आ ही गई जिसका हर किसी को इंतजार था। आज ऐलनाबाद उपचुनाव होना है। सभी पार्टियों के दिग्गज अपने उम्मीदवार की जीत के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रखा था। एक तरह से उपचुनाव इन दिग्गजों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। कौन जीतेगा, इस बारे निश्चित रूप से कुछ कहना जल्दबाजी होगा लेकिन इतना जरूर है लेकिन ऐलनाबाद की जंग में इन दिग्गजों का काफी कुछ दांव पर लगा है। इस ऐलनाबाद चुनाव पर चुनावी रणनीतिकारों की भी निगाह लगी हुई है।
भाजपा-जजपा समेत विपक्ष के तमाम नेता वहां डेरा डाले हुए हैं जो कि इस सीट पर हार जीत की महता बताने के लिए काफी है। भाजपा और जजपा के संयुक्त उम्मीदवार गोविंद कांडा, कांग्रेस के पवन बेनीवाल और इनेलो के अभय चौटाला के बीच कड़ा मुकबला है। निर्वाचन आयोग ने भी वोटिंग को लेकर तमाम तैयारियां कर ली हैं। फोर्स समेत तमाम प्रशासनिक अमला वहां तैनात है और वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य के मद्देनजर शांतिपूर्ण चुनाव करवाना किसी चुनौती से कम नहीं नजर आ रहा है।
चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल ऐलनाबाद में पार्टी के कैंडिडेट गोविंद कांडा के लिए निरंतर प्रचार में जुटे थे। वो लगातार कह रहे हैं कि भाजपा-जजपा सरकार ने ऐलनाबाद में पिछले 7 साल में विकास पर 700 करोड़ खर्च किए हैं और अगर उनका कैंडिडेट यहां से जीता तो ना केवल लोगों का सरकार में हिस्सा होगा बल्कि यहां के विकास में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाएगा। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ भी यहां डेरा डाले हुए हैं और पार्टी कैंडिडेट के लिए लगातार प्रचार कर रहे हैं। इनके अलावा भी पार्टी के कई दिग्गज यहां डटे हैं। ऐसे में साफ है कि उपचुनाव पार्टी के लिए प्रतिष्ठा के लिए का सवाल बना हुआ है।
पार्टी के आला नेता और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी यहां अपने पार्टी कैंडिडेट पवन बेनीवाल के लिए कई जनसभा कर चुके हैं। वो निरंतर जीत का दावा कर रहे हैं। उनके बेटे व सांसद दीपेंद्र हुड्डा समेत पार्टी के 20 से ज्यादा विधायक प्रचार में जुटे हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा तो काफी समय से ऐलनाबाद विधानसभा में डेरा डाले हुए हैं। ये भी बता दें कि बैनीवाल को उन्होंने ही पार्टी ज्वाइन करवाई थी। ऐसे में एक तरह से उनके लिए ये उपचुनाव कहीं ज्यादा प्रतिष्ठा का सवाल है।
इनेलो पिछले चुनाव में महज एक सीट जीत पाई थी। अभय चौटाला सिर्फ अपनी ही सीट बचा पाए थे। किसानों के समर्थन और कृषि कानूनों के विरोध अभय ने इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद कई महीने तक सीट खाली रही। अब 30 अक्टूबर को चुनाव होना है तो ऐसे में इनेलो के लिए जीत जीतना काफी कुछ मायने रखता है। वहीं पिता ओपी चौटाला खुद प्रचार की कमान संभाल रहे हैं और कई दफा प्रदेश के सीएम रह चुके हैं। ऐसे में चौटाला परिवार के लिए ये चुनाव अस्तित्व की लड़ाई से कम नहीं है।
इनेलो से अलग होने के बाद जजपा पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष अजय चौटाला पूरी तरह से अपने भाई अभय के खिलाफ प्रचार में जुटे हैं। वो सत्ता में भाजपा के सहयोगी हैं और निरंतर भाजपा-जजपा के संयुक्त उम्मीदवार गोविंद कांडा को जीतवाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं।
वो अपने पिता ओपी चौटाला पर भी खासे हमलावर हैं। वहीं दुष्यंत चौटाला भी चाचा अभय को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। उनके भाई दिग्विजय ने भी चाचा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में अगर भाजपा-जजपा का कैंडिडेट हारता है तो ये इनके लिए फजीहत वाली स्थिति होगी।
किसान खुलकर अभय चौटाला के समर्थन में आ रखे हैं। एक तरह से वो भी इस चुनावी लड़ाई में कूद चुके हैं। किसान नेताओं ने भी ऐलनाबाद में डेरा डाल लिया है। किसान नेता राकेश टिकैत निरंतर अपील कर रहे हैं कि इनेलो कैंडिडेट के पक्ष में प्रचार में जुटे हैं। एक तरह से किसानों ने भी उपचुनाव को नाक का सवाल बना लिया है। पंजाब के किसान नेता भी यहां डटे हुए हैं। ऐसे में कुछ हद तक इसका फायदा इनेलो को मिलता दिख रहा है तो वहीं अन्य दलों को इसका नुकसान होना तय है।
कुल वोटर्स की संख्या | 186103 |
पुरुष वोटर्स | 99138 |
महिला वोटर्स | 86984 |
अबकी बार खर्च सीमा | 30.28 लाख |
कुल पोलिंग बूथ की संख्या | 211 |
आग्जिलरी बूथ की संख्या | 11 |
आग्जिलरी बूथ पर वोटर्स की संख्या | 1200 या इससे ज्यादा |
पंजाब राजस्थान के कुल बॉर्डर नाके | 73 |
तैनात पेट्रोलिंग टीम | 662 |
तैनात दंगा विरोधी टीम | 21 |
हर तरह की मिलकर कुल तैनात बटालियन | 34 |
Read More: मध्य प्रदेश के दतिया में मां पीतांबरा मंदिर पहुंचीं प्रियंका गांधी वाड्रा
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.