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India news Enjoy Kajri in the drizzling rain: सावन का महिना आते ही हर तरफ हरियाली छा जाती है। बारिश के मौसम में चोरों तरफ पानी ही पानी दिखाई देने लगता है। इस तरह के मौसम में अवधी और भोजपुरी क्षेत्र के लोग कजरी गाते है। भारतीय लोक संस्कृति में कजरी का अहम स्थान है। यह लोक कला को याद दिलाता है। अगर आप भी उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले है, तो कजरी जरुर ही सुने होंगे। वैसे देखा जाए तो कजरी पर बनारस राज घराने का सबसे ज्यादा अधिकार है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने तो ब्रज और भोजपुरी के आलावा संस्कृत में भी कजरी की रचना की है। लोक साहित्य हो या संगीत इसका क्षेत्र बहुत ही व्यापक होता है। लेखकों और कवियों ने कजरी को इतना अपनाया की यह देश स्तर तक पहुंच गया। कजरी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ तक गायी जाने वाली लोकगीत है। लोक गायक आज भी बताते है की कजरी को वहीं लोग समझ सकते है जो ज़मीन से जुड़े लोग है। यह सावन के समय गाया जाने वाला प्रमुख लोकगीत है, अब तो कम हो गया है पहले सावन आते ही गांव की महिलाएं रात के समय इकट्ठा होती थीं और झूले झूलती थीं।भले ही हम आधुनिकता के दौर में जरुर चले गए है लेकिन कजरी हमे ग्रामीण परिवेश कि याद दिलाती है। आज भी अवधी और भोजपुरी भाषा की कई गायिका कजरी गाती है। जिनमे मालिनी अवस्थी, शारदा सिंहा, चंदन तिवारी जैसी गायिका है। इनके वीडियो आपको यूट्यूब पर मिल जाएंगे।
प्राचीन काल से ही उत्तर प्रदेश का मिर्ज़ापुर मां विंध्यवासिनी के शक्तिपीठ के रूप में आस्था का केंद्र रहा है। प्राचीन कजरियों में शक्तिस्वरूपा देवी का ही गुणगान मिलता है। आज की कजरी के विषय विस्तृत हैं, परंतु कजरी गायन का प्रारंभ देवी गीत से ही होता है। एक पुरानी लोकोक्ति लीला राम नगर कै भारी कजरी मिर्जापुर सरनाम कजरी का संबंध मिर्ज़ापुर से जोड़ती है। इसी लिए कहा जाता है कि कजरी का उद्भव मिर्ज़ापुर ही हुआ। कजरी की उत्पत्ति के बारे में विद्वानों में मतभेद नहीं है फिर भी इस बात पर सभी एकमत हैं कि कजरी का चलन मिर्ज़ापुर से ही आगे बढ़ा। बताया जाता है कि कजरी गीत का आरंभ देवी माता की भजन से ही हुआ है। विन्धाचल मिर्जापुर जिले में जहां मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ की मंदिर है। इसलिए कजरी की उत्पती मिर्जापुर ही मानी जाती है। कई सारे गीत में मिर्जापुर का नाम भी आता है। कजरी गीतों में वर्षा ऋतु का वर्णन विरह-वर्णन के साथ-साथ राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन भी मिलता है। कजरी में श्रृंगार रस की प्रधानता होती है। उत्तरप्रदेश एवं बनारस में कजरी गाने का प्रचार खूब पाया जाता है।ब्रज क्षेत्र के प्रमुख लोक गीत झूला, होरी रसिया हैं। झूला, सावन में व होरी, फाल्गुन में गाया जाता है|
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