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India News (इंडिया न्यूज़), Festival Of Ideas, नई दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से देश की राजधानी दिल्ली में फेस्टिवल ऑफ आइडियाज (Festival Of Ideas) कॉन्क्लेव का आगाज हो गया है। आज इस कार्यक्रम का दूसरा दिन है। इसी कड़ी में शेफ विक्की रत्नानी, सुवीर सरन और एस भट्टाचार्या के साथ इंडियन कुजीन को लेकर खास चर्चा हुई।
इस कड़ी में विक्की रत्नानी ने बताया कि कैसे उन्होंने कभी किसी इंडियन किचन में कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली है और कैसे उन्होंने अलग-अलग देशो में अलग-अलग प्रकार का भोजन बनाया है। कल उनका हैदराबाद में एक पॉप-अप है। उन्होंने आगे बताया की जब वो अब्रॉड में कभी कुक करते हैं तो वे इंडियन फ़ूड का अपने हिसाब से बनाते हैं। इंडियन फ़ूड सिर्फ नमक मिर्च की कहानी नहीं बल्कि बहुत से स्पाइस के एक परफेक्ट मिश्रण होता है। पहले क ज़माने में इंडियन स्पाइस को हैंगओवर उतारने के लिए खाया जाता था। पर अब इंडियन फ़ूड को देखने का लोगों का जो नजरिया बदल गया है। उन लोगों ने खाने पर बहुत सी किताबे भी लिखी हैं।
उसके बाद जब सुवीर सरन से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि कैसे नॉन इंडियंस को इंडियन फ़ूड प्रोमोट करना बहुत ही आसान काम लगता है। इंडियन फ़ूड आज भी एथनिक फ़ूड है। हमे अपने खाने को पहनावे को एथनिक बुलाना बंद करना होगा। तभी हमारा इंडियन फ़ूड ग्रो कर पाएगा। उन्होंने बताया कि वो न्यूयार्क में करीब 30 साल रहे और हर 4-5 सालों में न्यूयार्क में यह खबर छपती थी कि इंडियन फ़ूड जो है वो अगला बेस्ट कुजीन होगा पर कभी बन नहीं पाया। उनके हिसाब से हम उस मुकाम को हासिल नहीं कर पाए क्योंकि हमें आज भी घर की दाल से शर्म आती है। जब तक हम हमारी भोजन पर गर्व नहीं करेंगे हम बेस्ट नहीं बन पाएगें।
वहीं एस. भटाचार्य जी का कहना था कि जब थाईलैंड अपनी करी के लिए मशहूर है तो हमें क्यों अपनी दाल से शर्म आती है। उन्होंने बताया कि कैसे हम हमारे इंडियन फूड को गलोबल फूड बना सकते हैं। उनका यह भी बताया कि कैसे जो खाना हम रोजाना में नहीं खाते वो ही ग्लोबल वर्ल्ड में मशहूर हो रहा है।
इंडिया में भी बहुत तरह की कुजीन होती हैं जैसे कि पंजाबी कुजीन, कश्मीरी कुजीन आदि को कैसे हम प्रमोट कर सकते हैं? इसके जवाब में सुवीर सरन ने कहा कि इसके लिए जब भी कोई शेफ आए तो उसे होटल के मशहूर खाने की जगह घरों में बना सदा खाना सिखाया जाए तो सही रहेगा।
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