इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Florona Symptoms एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस, ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते केसों को लेकर परेशान है तो वहीं नई बीमारी ‘फ्लोरोना’ का पहला संक्रमण मिलने से लोग और चिंतित हो गए हैं। आपको बता दें कि यह बीमारी कोरोना और इन्फ्लूएंजा का एक दोहरा संक्रमण है। जिसका खुलासा हाल ही में इजराइल की एक रिपोर्ट में किया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में पहली बार कोरोना और फ्लू के वायरस का इंसान के शरीर पर एक साथ अटैक करने का मामला सामने आया है। इस कोरोना और इंफ्लुएंजा के डबल इंफेक्शन को ‘फ्लोरोना’ कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस नए इंफेक्शन ‘फ्लोरोना’ में एक ही व्यक्ति में कोरोना और इंफ्लुएंजा दोनों के वायरस पाए गए हैं। आइए जानते है नई बीमारी फ्लोरोना और कितना खतरनाक है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना और फ्लू के इस डबल इंफेक्श को ‘फ्लोरोना’ कहा जा रहा है। यानी एक ही समय में फ्लू+कोरोना का डबल इंफ्केशन ‘फ्लोरोना’ है। ये इंसान के शरीर में एक ही समय में फ्लू और कोरोना दोनों के वायरस के प्रवेश करने से होने वाला डबल इंफेक्शन है।
बता दें कि फ्लोरोना पहला केस हाल ही में इजराइल में सामने आया है। फ्लोरोना का पहला केस एक प्रग्नेंट महिला में मिला है, जो राबिन मेडिकल सेंटर में एक बच्चे को जन्म देने के लिए एडमिट हुई थी। इजराइल के मुताबिक, जिस महिला में फ्लोरोना का केस सामने आया, वह वैक्सीनेटेड नहीं थीं। रिपोर्ट के अनुसार, फ्लोरोना के पहले केस की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, “इजराइल ने फ्लोरोना डिजीज का पहला केस दर्ज किया, कोविड-19 और इंफ्लुएंजा का दोहरा इंफेक्शन।”
बताया जा रहा है कि फ्लोरोना कोरोना का नया वेरिएंट नहीं है। यह एक ही समय में फ्लू और कोरोना से होने वाला डबल इंफेक्शन है। इजराइली डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में इजराइल में इंफ्लुएंजा या फ्लू (जुकाम) के मामले तेजी से बढ़े हैं और इसलिए फ्लोरोना पर स्टडी की जा रही है।
काहिरा यूनिवर्सिटी के अनुसार ‘फ्लोरोना’ इम्यून सिस्टम के एक बड़े ब्रेकडाउन यानी इम्युनिटी में एक बड़ी कमी का संकेत हो सकता है क्योंकि इसमें एक ही समय में दो वायरस मानव शरीर में प्रवेश कर रहे हैं।
मायोक्लीनिक के अनुसार, कोरोना और फ्लू एक साथ गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना और फ्लू दोनों के डबल अटैक से गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि ये तेजी से फैल सकता है।
दोनों वायरस मिलकर शरीर पर कहर बरपा सकते हैं और इससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
यही कारण है कि फ्लोरोना होना खतरनाक हो सकता है। फ्लोरोना होने से मरीज को निमोनिया, सांस लेने में दिक्कत, आर्गन फेल्योर, हार्ट अटैक, दिल या मस्तिष्क में सूजन, स्ट्रोक आदि जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। फ्लोरोना से स्थिति ज्यादा गंभीर होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, ‘एक ही समय में फ्लू और कोरोना दोनों बीमारियां होना संभव हैं।’ मायोक्लीनिक के मुताबिक, जिन वायरसों की वजह से कोरोना और फ्लू होता है, वे एक ही तरीके से फैलते हैं।
ये दोनों वायरस करीबी संपर्क (छह फीट या दो मीटर के अंदर) में आने वाले लोगों में फैलते हैं।
ये दोनों वायरस बात करने, छींकने या खांसने से निकलने वाली सांस की बूंदों या एरोसॉल से फैलते हैं। ये ड्रॉपलेट्स सांस लेने पर मुंह या नाक के जरिए शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं। ये वायरस तब भी फैल सकते हैं जब कोई व्यक्ति इन दोनों में से किसी वायरस वाली सतह को छूता है और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूता है।
एक ओर जहां फ्लू (जुकाम) के लक्षण आमतौर पर तीन से चार दिन में प्रकट होते हैं, तो वहीं कोरोना का लक्षण प्रकट होने में दो से 14 दिन तक का समय लगता है। फ्लू और कोरोना दोनों के आम लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं, जैसे दोनों में ही खांसी, सर्दी, बुखार और नाक बहने जैसे लक्षण होते हैं। यानी फ्लोरोना के शुरूआती आम लक्षणों में भी खांसी, सर्दी, बुखार ही होता है। वहीं फ्लोरोना के गंभीर लक्षणों में न्यूमोनिया, सांस लेने में ज्यादा दिक्कत, हार्ट की मांसपेशी में सूजन, स्ट्रोक, हार्ट अटैक का खतरा आदि शामिल हैं।
इन दोनों वायरस में अंतर का पता मरीज के सैंपल की टेस्टिंग के बाद ही चलता है। फ्लू की जांच के लिए पीसीआर टेस्ट किया जाता है, जहां वायरस के आरएनए का टेस्ट होता है। फ्लू और कोरोना की जांच के लिए अलग-अलग पीसीआर टेस्ट किए जाते हैं। फ्लू और कोरोना वायरस के जीनोटाइप्स अलग होते हैं। इन दोनों में अंतर केवल लैब टेस्ट के जरिए ही किया जा सकता है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, फ्लोरोना के सीरियस खतरे से बचने, यानी हॉस्पिटलाइजेशन का रिस्क कम करने और कोरोना और इंफ्लुएंजा की गंभीरता को रोकने का सबसे प्रभावशाली तरीका इंफ्लुएंजा वैक्सीन और कोविड-19 दोनों की वैक्सीन लगवाना है।
डब्ल्यूएचओ लोगों को इससे बचने के लिए रोकथाम के उपायों का पालन करने की भी सलाह देता है। इन उपायों में लोगों से कम से कम एक मीटर दूरी बनाए रखना, अगर दूरी बनाना संभव न हो तो अच्छी तरह फिट होने वाले मास्क का प्रयोग करना, भीड़-भाड़ वाली और खराब वेटिलेंशन वाली जगहों से बचना, हवादार कमरे में रहना और अपने हाथों को लगातार धोते रहना, आदि शामिल हैं।
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