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इंडिया न्यूज़ (गाँधीनगर):मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुजरात में पहली बार आयोजित हुई ‘शहरी विकास राष्ट्रीय कॉन्क्लेव’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह कॉन्क्लेव शहरी खुशहाली का अमृत काल साबित होगी,मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान को सिद्ध करने हेतु शहरी अर्थव्यवस्था का विकास अत्यावश्यक है.
मुख्यमंत्री ने ईज ऑफ लिविंग यानी जीवन जीने की सुगमता को बढ़ावा देने का जिक्र करते हुए कहा कि स्मार्ट क्लासरूम से स्मार्ट आंगनवाड़ी, स्मार्ट पार्किंग से स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट,स्मार्ट ड्रेनेज से स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट और स्मार्ट चार्जिंग से स्मार्ट इलेक्ट्रिक बस जैसे अनगिनत प्रयासों का आम लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव नजर आ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि देश में पिछले कई दशकों से ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित आय, औद्योगीकरण, बुनियादी ढांचा, शिक्षा और स्वास्थ्य की सीमित सुविधाओं के चलते शहरीकरण में वृद्धि हुई है। नतीजतन, शहरी विकास एक महत्वपूर्ण विषय बनते जा रहा है। गुजरात ने इस परिस्थिति को पहचानकर शहरी विकास को हमेशा महत्व दिया है.
केंद्र सरकार ने भी अहमदाबाद,सूरत,वडोदरा और दाहोद सहित गुजरात के 6 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चुना है। इसमें भी अहमदाबाद और वडोदरा ईज ऑफ लिविंग और म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के प्रदर्शन के मामले में शीर्ष 10 शहरों में शामिल हैं। श्री पटेल ने आगे कहा कि गुजरात सरकार नगर नियोजन योजनाओं (टीपी स्कीम) के लिए आवंटित भूमि में से 5 फीसदी भूमि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिकों के आवास बनाने के लिए आवंटित करती है। इसके अलावा,स्वच्छ एवं हरित शहर बनाने के लिए अर्बन फॉरेस्ट का दृष्टिकोण अपनाया गया है.
इस अवसर पर नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत भी उपस्थित थे। उन्होंने इस कार्यक्रम में अपने संबोधन पर कहा कि देश को 9 से 10 फीसदी जीडीपी दर को हासिल करने के लिए शहरीकरण और शहरों का विकास आवश्यक है। गुजरात ने शहरीकरण में देश भर में उत्तम उदाहरण पेश किया है.
श्री अमिताभ कांत ने शहरों के ट्रांजिट उन्मुख विकास यानी कि सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ साइकिलिंग तथा पैदल पथ जैसी सुविधाएं विकसित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने देश के टिकाऊ विकास और कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शहरीकरण के साथ डीकार्बोनाइजेशन यानी कार्बन में कमी को अति आवश्यक बताया। श्री कांत ने श्रेष्ठ शहरी विकास के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) को बढ़ाकर शहरी विकास का वैज्ञानिक तरीके से आयोजन कर लिवेबल सिटी अर्थात रहने योग्य शहर बनाने की बात कही.
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