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जानें, ”हेपेटाइटिस बी” से कैसे करें बचाव Hepatitis B Causes, Symptoms And Home Remedies in Hindi

जानें, ”हेपेटाइटिस बी” से कैसे करें बचाव Hepatitis B Causes, Symptoms And Home Remedies in Hindi

व्यक्ति के शरीर में कुछ बीमारियां बहुत आम होती हैं। जैसे-जुकाम, बुखार, खांसी आदि। वहीं कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनका जीवन में शामिल होना मौत के समान होता है। उन्हीं में एक बीमारी है हेपेटाइटिस बी। हेपेटाइटिस बी एक वायरस है जो लिवर को संक्रमित करता है। तो चलिए जानते हैं क्या है हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस बी संक्रमण कितने प्रकार के होते हैं। लक्षण व उपाय क्या हैं।

क्या है हेपेटाइटिस बी? ( What are Hepatitis B)

आपको बता दें कि हेपेटाइटिस बी एक संक्रामक बीमारी है, जो वायरस के कारण होती है। यह बीमारी किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकती है। लेकिन बच्चों में इस बीमारी के होने की आशंका अधिक प्रबल मानी जाती है। इसमें मुख्य रूप से रोगी का लिवर प्रभावित होता है। संक्रमण के कारण लिवर में सूजन आती है, जो समय के साथ अन्य शारीरिक जटिलताओं को जन्म दे सकती है। वहीं कुछ गंभीर स्थितियों में यह लिवर की घातक क्षति या सिरोसिस (लिवर का पूरी तरह से काम न करना) का कारण भी बन सकती है। हालांकि, यह स्थिति दुर्लभ है, लेकिन अत्यधिक गंभीर अवस्था में इस संक्रमण के कारण रोगी की मौत भी हो सकती है।

कितने प्रकार की होती है हेपेटाइटिस बी? ( Types of Hepatitis B in Hindi)

  • बताया जाता है कि हेपेटाइटिस बी संक्रमण मुख्य दो प्रकार के होते हैं। पहला एक्यूट हेपेटाइटिस बी। दूसरा क्रोनिक हेपेटाइटिस बी है।
  • एक्यूट हेपेटाइटिस बी: यह हेपेटाइटिस बी का एक सामान्य प्रकार है। इसमें दो से तीन हफ्तों में ही रोगी को होने वाली समस्याओं का अंत हो जाता है। वहीं चार से छह माह में लिवर सामान्य अवस्था में वापस आ जाता है।
  • क्रोनिक हेपेटाइटिस बी: हेपेटाइटिस बी का यह प्रकार काफी घातक साबित हो सकता है और कुछ विशेष परिस्थितियों में लिवर की गंभीर क्षति या सिरोसिस का कारण बन सकता है। हेपेटाइटिस बी के इस प्रकार में लंबे समय तक कोई भी लक्षण प्रदर्शित नहीं होते और जब तक लक्षण नजर आते हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। हेपेटाइटिस बी का यह प्रकार मुख्य रूप से बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। वहीं कुछ ऐसे वयस्क जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसकी चपेट में आ जाते हैं।

    हेपेटाइटिस बी के कारण क्या हैं?

  • Cause of Hepatitis B: हेपेटाइटिस बी होने के कुछ कारण होते हैं जैसे-संक्रमित सुई का उपयोग करने से। त्वचा और मुंह का घाव या कट की स्थिति के साथ आंखों का संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल जैसे:- खून या लार का सीधा संपर्क में आना। संक्रमित व्यक्ति से साथ असुरक्षित यौन संबंध। संक्रमित खून चढ़ाने के कारण।
  • संक्रमित खून के लगातार संपर्क में रहने से (स्वास्थ्य संबंधी जांच करने वाले व्यक्ति को)। लंबे समय से डायलिसिस (खून को मशीन की सहायता से साफ करने की प्रक्रिया) कराने वाले लोगों को। असुरक्षित सुई से टैटू बनाने से। संक्रमित व्यक्ति के साथ टूथब्रश या रेजर जैसी निजी चीजे शेयर करने से।
    संक्रमित गर्भवती मां से बच्चे में।

हेपेटाइटिस बी के लक्षण क्या हैं?  ( Hepatitis B Causes, Symptoms And Home Remedies in Hindi)

दरअसल हेपेटाइटिस बी के लक्षण शुरूआती दिनों में बिलकुल भी नहीं दिखाई देते। लेकिन कुछ स्थितियों में आपको निम्न प्रभाव देखने को जरूर मिल सकते हैं। जैसे-कुछ दिनों या हफ्तों तक कमजोरी का महसूस होना। जल्दी-जल्दी बीमार होना। भूख की कमी। अत्यधिक थकान। हल्का बुखार। जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द की समस्या। मतली और उल्टी की समस्या। त्वचा पर पीलापन। गाढ़े रंग का पेशाब होना।

हेपेटाइटिस बी का इलाज

हेपेटाइटिस बी के इलाज की बात करें तो सामान्य तौर पर एक्यूट और क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के दोनों ही प्रकार में किसी भी निर्धारित इलाज की आवश्यकता नहीं होती। जरूरत होती है तो बस भरपूर आराम की। साथ ही इस दौरान डॉक्टर अधिक से अधिक पेय पदार्थों के साथ स्वस्थ भोजन करने की सलाह देते हैं। हां, यह जरूर है कि ब्लड टेस्ट के माध्यम से संक्रमित व्यक्ति में वायरस की सक्रियता के स्तर और उससे पड़ने वाले अन्य अंगों पर प्रभाव की निगरानी जरूर की जाती है। जांच में अगर पुष्टि होती है कि व्यक्ति क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से पीड़ित है और वायरस शरीर पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है तो उससे बचाव के लिए एंटीवायरल दवाओं का सेवन करने की डॉक्टर सलाह देता है।

Home Remedies For Hepatitis B

लहसुन

  • लहसुन में एलिसिन नाम का एक खास तत्व पाया जाता है। इस कारण लहसुन में एंटीमाइक्रोबियल (घातक जीवाणुओं को नष्ट करने वाले), इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले) और एंटीवायरल (वायरस को नष्ट करने वाले) गुण मौजूद होते हैं। ऐसे में एंटीमाइक्रोबियल और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार कर उपापचय संबंधी विकारों को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

प्रयोग कैसे करें: खाद्य सामग्रियों में लहसुन का प्रयोग जरूर करें। चाहें तो लहसुन को सीधे खाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पूरे दिन में एक एक बार लहसुन का सेवन जरूर करें।

अदरक

  • कहते हैं कि अदरक में हेपटोप्रोटेक्टीव (लिवर को क्षति से बचाने वाला) और एंटीवायरल (वायरस के प्रभाव को नष्ट करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस लिए अदरक के उपयोग से हेपेटाइटिस बी का घरेलू इलाज लाभकारी है।

कैसे इस्तेमाल करें: एक कप पानी को सॉस पैन में लेकर उसमें अदरक के टुकड़े डालें और गैस पर उबलने तक चढ़ा दें। अच्छे से पानी उबलने के बाद उसे एक कप में छानकर अलग कर लें और हल्का ठंडा होने का इंतजार करें।
जब पानी गुनगुना हो जाए तो उसे सिप करके पिएं। इस प्रक्रिया को दिन में करीब एक से दो बार दोहराया जा सकता है।

मिल्क थिसल की चाय  ( Hepatitis B Causes, Symptoms And Home Remedies in Hindi)

  • बता दें कि हेपेटाइटिस बी का घरेलू इलाज के तौर पर मिल्क थिसल की चाय का इस्तेमाल करना लाभदायक है। दरअसल, मिल्क थिसल के बीज में सिलीबिन नाम का एक खास तत्व होता है। इसमें लिवर प्रोटेक्टिव (लिवर को क्षति से बचाने वाला) प्रभाव पाया जाता है। साथ ही इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला) गुण पाया जाता है, जो संयुक्त रूप से हेपेटाइटिस बी वायरस के प्रभाव को कम करने के साथ होने वाले जोखिमों को रखने में भी मदद कर सकता है

प्रयोग कैसे करें: सबसे पहले एक कप गर्म पानी लें। अब कप में मिल्क थिसल टी बैग डालकर 10 से 15 मिनट के लिए छोड़ दें। समय पूरा होने के बाद तैयार चाय को सिप करके पिएं। नियमित रूप से इस चाय को दिन में एक से दो बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

शहद

  • शहद में हेप्टोप्रोटेक्टिव (लिवर को क्षति से बचाने वाला) और एंटीवायरल (वायरस को नष्ट करने वाला) दोनों गुण होते हैं। कहते हैं दोनों ही गुण संयुक्त रूप से हेपेटाइटिस बी की समस्या से होने वाले जोखिमों को कम करते हैं। एक चम्मच शहद का नियमित सेवन करें। बेहतर प्रभाव के लिए इसे दिन में दो बार तक लिया जा सकता है।

गन्ने का रस

  • हेपेटाइटिस बी ट्रीटमेंट के लिए गन्ने के रस का प्रयोग कर सकते हैं। गन्ने के रस में फ्लेवोनॉयड और एंथोसायनिन जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। इनकी मौजूदगी के कारण ही गन्ने का रस शक्तिशाली एंटीआॅक्सीडेंट (मुक्त कणों से होने वाली क्षति को रोकने वाला) और हेप्टोप्रोटेक्टिव (लिवर को क्षति से बचाने वाला) प्रभाव प्रदर्शित करता है। बताया जाता है कि गन्ने का रस लिवर संबंधित जोखिमों को दूर कर हेपेटाइटिस बी के घातक परिणामों को दूर रखने में मदद करता है।

हेपेटाइटिस बी से कैसे करें बचाव?

बच्चों को जन्म के तुरंत बाद और फिर छठे महीने से 18वें महीने के बीच तीन चरण में इसके टीके लगवाएं। 19 साल से कम उम्र के बच्चे जिन्हें अभी तक हेपेटाइटिस बी नहीं हुआ है। वह भी इससे सुरक्षा के लिए हेपेटाइटिस बी से बचाव का टीका लगवा सकते हैं। अगर गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस बी की समस्या है तो ऐसे में जन्म के बाद बच्चों को 12 घंटों के अंदर इससे संबंधित विशेष टीकाकरण अवश्य करवाएं। अगर संक्रमण के 24 घंटों के भीतर हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोब्लिन टीका लगवा लिया जाए तो संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है। अगर शराब का सेवन करते हैं तो उसे तत्काल प्रभाव से बंद कर दें। (Hepatitis B Causes, Symptoms And Home Remedies in Hindi)

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Suman Tiwari

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