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इंडिया न्यूज, मुंबई:
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ कितने व्यक्तियों की पहचान की गई और कोविड-19 रोधी टीका लगाने के लिए उनका पंजीकरण किया गया जो बेघर थे या जिनका कोई कानूनी संरक्षक नहीं था। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने साथ ही बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) को भी एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें टीकाकरण के लिए पंजीकृत ऐसे लोगों और शहर में पहले से टीका ले चुके व्यक्तियों की संख्या के बारे में जानकारी समाहित हो। पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नागरिकों के लिए कोविड-19 रोधी टीकाकरण की बेहतर पहुंच का अनुरोध किया गया था। याचिका में यह भी कहा गया है कि इसमे ऐसे लोग भी शामिल किये जायें जो मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं या टीकाकरण के लिए सहमति देने की स्थिति में नहीं हैं। सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने पीठ को बताया कि केंद्र ने बेघर और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों के टीकाकरण के लिए एक एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की थी, यह राज्य पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह उनकी पहचान करे, उनका पता लगाए, उनके रिश्तेदारों का पता लगाये या उन्हें एक आश्रय गृह में ले जाये ताकि वे टीका लेने के लिए पंजीकृत हो सकें।
अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों से कोरोना वायरस फैलने का अधिक खतरा होता है और इसलिए, राज्य के अधिकारियों द्वारा जल्द से जल्द उनकी पहचान की जानी चाहिए और उनका टीकाकरण किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, ह्यह्यप्रत्येक नागरिक, चाहे वह किसी भी स्थिति में हो, उसकी देखभाल राज्य द्वारा की जानी चाहिए।
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