इंडिया न्यूज:
पहले के समय में हर घर में मिट्टी, तांबा, पीतल के बर्तनों का चलन था। जैसे-जैसे समय बदलता गया वैसे-वैसे घरों में बर्तनों का चलन भी बदलता गया। आज के समय में हर घर में स्टील के बर्तनों का चलन तो है ही उसके साथ नॉन-स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल ज्यादा होता है। इनमें खाना पकाना इसलिए भी सुकूनभरा होता है क्योंकि कम तेल में खाना सतह पर चिपके बिना पक जाता है। किंतु नॉन-स्टिक बर्तनों का ध्यान भी रखना पड़ता है, ताकि ये लंबे समय तक चलें और सेहत को हानि भी न पहुंचाएं।
नॉन-स्टिक बर्तन को उपयोग में लाने से पहले उसकी सीजनिंग करना जरूरी है। ऐसा नहीं करने से बर्तन कुछ समय बाद नॉन-स्टिकी गुणवत्ता खोने लगता है। कुकिंग के दौरान तेल की अधिक आवश्यकता होती है। यदि बर्तन में खाना चिपकने लगे तब भी सीजनिंग की आवश्यकता होती है। इसके लिए बर्तन को गर्म पानी और साबुन से धो लें। साफ कपड़े से पोंछकर एक चम्मच मूंगफली का तेल या कैनोला तेल अच्छी तरह लगा दें। बर्तन को मध्यम आंच पर 30 से 60 सेकंड तक रखें। आंच से उतारकर ठंडा होने दें। टिशू पेपर से अतिरिक्त तेल पोंछ लें। ये कुकिंग के लिए तैयार है। बर्तन की सीजनिंग के लिए हमेशा मूंगफली या कैनोला तेल ही इस्तेमाल करें।
जब बर्तन से कोटिंग निकलने लगे, जगह-जगह से परत उखड़ने लगे तो उसे बदल देना चाहिए। स्टील या अन्य धातु के स्पैचुला और क्लीनिंग पैड का उपयोग करने से भी नॉन-स्टिक बर्तनों को नुकसान पहुंचता है। नॉन-स्टिक बर्तन में खाना पकाते समय लकड़ी या सिलिकॉन के स्पैचुला का ही उपयोग करें। चिपके हुए खाने को भी न खुरचें। वहीं गर्म बर्तन को फौरन ठंडे पानी में भिगोना भी इसे खराब कर सकता है।
आमलेट, पैनकेक, विभिन्न प्रकार के चीले, डोसा, उत्तपम, चीज से बनने वाले व्यंजन बना सकते हैं। वहीं टमाटर, नींबू जैसे अधिक एसिड वाले खाद्य न बनाएं। तरी वाली सब्जी या सॉस इनमें न बनाएं। जिन व्यंजनों में खाद्य पदार्थ का रंग बदलता है, जैसे शक्कर को कैरेमेलाइज करना आदि के लिए इसका उपयोग न करें। खीर जैसे मीठे व्यंजन या चावल न पकाएं। मूंगफली या सूखे मेवे न भूनें। मांस को भूनकर कुरकुरा करने के लिए इनका उपयोग न करें।
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