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India News (इंडिया न्यूज़), Hum Mahilayen, फरीदाबाद: इंडिया न्यूज की तरफ से आज, 26 अगस्त को हरियाणा के फरीदाबाद में हम महिलाएं (Hum Mahilayen) कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें देश की वो महिलाएं अपने बारे में जनता को बताएंगी, जिन्होंने घर से लेकर काम तक एक हिम्मत और जोश के साथ संभाला है। साथ ही अपने विचारों को देश की महिलाओं के साथ साझा कर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगी। इस कार्यक्रम के हर अपेडट के लिए जुड़े रहे हमारे साथ…
रुचिका खुल्लर ने कहा, महात्मा गांधी जी कि एक बात याद आ रही है कि आप अगर एक नारी को शिक्षित करते हैं तो मतलब आप एक पूरे परिवार को शिक्षित कर रहे हैं, मगर आप एक पुरूष को शिक्षित करते हैं तो मतलब आप एक इंडिविजुअल को शिक्षित कर रहे हैं। क्योंकि मैं उच्चतर शिक्षा विभाग से हूं। हमने एजूकेशन फॉर ऑल में देखा है कि स्कूल तक तो एजूकेशन फॉर ऑल दी जाती है। मगर उच्चतर शिक्षा तक बहुत कम लड़कियां पहुंच पाती हैं।
अभी दो दिन पहले ही देखा कि अब तो चांद पर हम पहुंच गए हैं। पचास परसेंट महिलाओं का वो दल था। उनकी सोच थी। उनकी समझ थी। जो एक स्ट्रेटेजी बनाई गई थी वो उन महिलाओं द्वारा ही बनाई गई थी। वो अलग बात है कि अभी भी टोकनिजम में मर्द ही आगे रहते हैं और औरतों को इस बात से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। पर जो काम है वो औरतें कर रही हैं। वो जानती हैं और वो हैं हर फील्ड में आगे। हमें उस पर ध्यान देगा होगी क्योंकि अब कोई नहीं नाकार सकता है कि औरतों में वो गुन हैं जो आज की सदी में जरूरी हैं। हम सहनशील रहते हैं तो वो कमजोरी नहीं है वो एक मानसिक सिचुएशन है। जिससे हम क्राइसेस को सॉल्व करते हैं।
स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज की प्रोफेसर मैथिली ने कहा कि लोगों को मीडिया के प्रति एक धारणा है कि वो महिलाओं के लिए सही जगह नहीं है। ये बस एक धारणा है और काफी बार जो इस तरह की बातें जो होती हैं ये किसी सीरियनेस से नहीं बोली जाती हैं एक कन्वीनियंस के तौर पर बोली जाती है जब आपको किसी चीज के लिए मना करना होता है। सच्चाई तो ये है कि मीडिया में औरतों ने अपना नाम बनाया है। मीडिया में बहुत औरतें है जो काम कर रही हैं। मैं मीडिया स्टडीज से आई हूं। मैं मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से हूं। हमारे यहां पर मीडिया का स्कूल है उसमें ज्यादातर लड़कियां ही आती हैं। साथ ही हमारा इंटरेक्शन जब भी मीडिया में होता है तो एंकर लड़कियों के साथ-साथ पीछे जो बेकेंड पर काम होता है। उसमें भी महिलाओं का बड़ा योगदान होता है।
दूसरी बात जो मैं उन परिवारों के सभी सदस्यों के साथ कहना चाहती हूं जिनके घर में बेटियां हैं। “न जानें कौन सी सांसे लेती हैं ये बेटियां एक हवा में खुशबू सी भर देती हैं ये बेटियां… कहां एक्स रे और अल्ट्रासाउंड की मशीनों में उलझे हो…ओलपिंक को भी तिरंगे से रंग देती हैं बेटियां।”
मैं बेटी और मुझे बेटी होने पर फक्र है। मैं एक छोटे से आती हूं और आपकी बात को बहुत अच्छी तरह से समझ सकती हूं, लेकिन मेरा उन बेटियों से भी ये कहना है कि अगर उनके अंदर अपनी इच्छा है, अपनी इच्छाशक्ति है और लगातार उस इच्छाशक्ति पर वो काम करती रहें। साथ ही अपनी बात को बड़ी विनम्रता से लेकिन बड़ी ही दृढता के साथ अपने परिवारों में और अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर रखती रहें तो वो जरूर इस मुकाम पर पहुंच जाती हैं कि उनको इस तरह का एक मंच नसीब हो जाए।
श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ज्योति राणा ने महिलाओं की शिक्षा पर बात करते हुए कहा कि ये बात सही है कि हम अपने समाज में अपने चारों तरफ ये चीजें देखते हैं कि जो लड़कियां हैं जो महिलाएं हैं, जो बेटियां हैं हमारी उनको शिक्षा आगे तक ज्यादा न दी जाए। उतनी ही शिक्षा दी जाए जिससे कि वो अपना काम चला सकें और उनकी शादी बहुत अच्छे ढंग से हो सके और आगे वो बाधा न आए।
इसी कड़ी में श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ज्योति राणा, स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज की प्रोफेसर मैथिली गंजू और जवाहरलाल नेहरू गवर्नमेंट कॉलेज फरीदाबाद की प्रिंसिपल रुचिका खुल्लर कार्यक्रम में शामिल हुए।
रिणु कपूर ने भंवरी देवी का उदहारण देते हुए कहा कि वर्म प्लेस पर महिलाओं के उत्पीड़न का कानून इस केस के चर्चित होने के बाद आया। आज के डेट में महिलाएं की बता सुनी जा रही और उसका समाधान हो रहा है।
हम चांद पर जा रहे है, हम देश की लीडरशिप में जा रहे है। हम प्रदेश की लीडरशिप में जा रहे है। महिलाओं के बिना कुछ नहीं है और अपने आप को किसी के कम नहीं समझे।
हम महिलाएं प्लेटफॉर्म है की महिलाएं अपना फैसला खुद ले। वह घर बैठना चाहती है, काम करना चाहती है, बाहर जाना चाहती है। वह किस उम्र में शादी करना चाहती है, किस उम्र में बच्चे पैदा करना चाहती है यह फैसला उनका होना चाहिए। महिलाएं अपना फैसला खुद लें, महिलाओं के बिना न तो घर चल सकता ना ही ऑफिस चल सकता है। महिलाएं ज्यादा सशक्त और अनुशासित साबित हो रही है। हमें एक दूसरे का पीछे नहीं खींचना है, हमें एक-दूसरे का सहारा बनना है।
हम महिलाएं ऐसे मुद्दों पर भी चर्चा करता है। जिसपर आमतौर पर चर्चा करने से लोग घबराते है। चाहे मेंसुरेशन हो, यौन उत्पीड़न हो, घरेलू उत्पीड़न हो, काम वाली जगह पर बुरा व्यहवार हो। इन सब को समझना बहुत मुश्किल होता है। शादी के बाद महिलाओं के लिए जो परेशानी होती है। उसमें बच्चों को संभालना और फिर उस पर बात सुनना। उनकी बातों को रोज संभालने के लिए आपको कैसा डील करना प्लेटफॉर्म उस बारें में है।
कार्यक्रम में हम महिलाएं की फाउंडर ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने शर्मा ने कार्यक्रम को शुरू करने की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि सब कोई हमें बताते रहते है की औरतों को क्या चाहिए, अगर हम किसी घर में जाए और पूछे की औरतें को क्या चाहिए तो पुरुष बताते है की उन्हें क्या चाहिए। कभी महिलाएं नहीं बताती है। यह प्लेटफॉर्म है महिलाओं से जानने के लिए की महिलाएं क्या चाहती है, उन्ही की जुबानी। महिलाओं को क्या चाहिए यह जाने बिना हम आगें नहीं बढ़ सकते है क्योंकि वह इस समाच की रीढ़ की हड्डी है।
थाने की भूमिक पर एसीपी मोनिका ने कहा कि मानसिकता में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। अगर हमारे यहां बच्चे आते है तो हम उन्हें बाल गृह में ले जाते है। एफआईआर में बिल्कुल भी देरी नहीं की जाती है। रेणु भाटिया ने कहा कि एक समय था की महिलाएं एक समय अपनी बात रखने की हिम्मत नहीं दिखा पा पाती थी। हमें इस सरकार का धन्यवाद करना चाहिए की उन्होंने महिला थाने खोले। आप जब तक अपनी बात प्लेटफॉर्म पर नहीं रखेंगे तो इसका समाधान कैसे होगा।
कानून में होने वाले बदलाव में महिलाओं को क्या मिलेगा, इस पर वकील रितु कपूर कहती है की नए कानून में रेप की सजा बढ़ा दी गई है। नाबालिग से रेप करने वालों को मौत की सजा देने का प्रवाधान है। तलाक के केस को जल्द से जल्द सुनवाई करने का प्रवाधान है। 161 के तहत देने वालों बयान की वीडियोग्राफी करने का प्रवाधान है। विज्ञान को देखते हुए कई बदलाव किए गए है। हर जिले में फॉरेंसिक की तीन मोबाइल वैन तैनात किया गया है।
घर बसाने के नाम पर वकील रेणु भाटिया ने कहा कि हर महिला की आवाज को सुनने के लिए हर जिले में थाने खुले है। महिला आयोग कभी नहीं चाहता की किसी का परिवार टूटे। कई बार थाने से पहले हमारे पास शिकायते आती है। हम रितु जी से भी कहते है की वकालत कम और समाजिक काम ज्यादा करना है। हम कॉलेज और विश्वविद्यालय में जागरूकता अभियान चला रहे है। प्री-वेंडिग काउंसल देने का काम हम लोग कर रहे है।
रेणु भाटिया ने कहा कि हम आधी आबादी नहीं पूरी आबादी है। वकील रितु कपूर ने कहा कि महिलाओं जिस तरफ हिम्मत जुटा रही है। जल्द ही महिलाओं की संख्या वकालत में 100 फीसदी होंगी। अगले 10 साल में बड़ा बदलाव आने वाले है। एसीपी मोनिका ने कहा कि आज हरियाण में कई हर जिले में महिला थाने है, कही-कही प्रखंड स्तर पर भी है। हमारे यहां महिलाएं आती है तो तुरंत मामला दर्ज किया जाता है।
इस कार्यक्रम के पहले सत्र में हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया, वकील रितु कपूर और हरियाण पुलिस में एसीपी के रूप में कार्यरत मोनिका शामिल हुए।
हम महिलाएं कार्यक्रम का फरीदाबाद में आगाज हो गया है। इस कार्यक्रम की शुरूआत इंडिया न्यूज की एंकर सोनल दहिया ने सभी का स्वागत किया। उन्होंने कहा, जी हां हम महिलाएं हैं, मोर्चे पर दहाड़ती.. दुश्मन को डराती.. एवरेस्ट पर तिरंगा फहराती.. संसद में दहाड़ती.. मैदानों में दौड़ती मेडल बटोरती… जी हां हम महिलाएं हैं। आदि से अंनत की ओर जाती मानव की इस यात्रा की सूत्रधार, विश्व के इस रंगमंच पर अपने पूरे मंच में आने में लगी हुई हैं। खैर, कुछ चिंता भी है तो कुछ चिंतन भी है, समस्याएं है तो समाधन भी है। मुझे गर्व है कि इस हॉल में बैठी एक-एक महिला सौ-सौ पर भारी है। जी हां, हम महिलाएं हैं। स्वागत है सत्कार है, अभिन्नद है, नमस्कार है.. इंडिया न्यूज के इस खास कार्यक्रम हम महिलाएं में आप सभी का अभिनंदन है।
मां सरस्वती के अभिनंदन के साथ, मां सरस्वती के वंदन के साथ इस कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया और इंडिया न्यूज हरियाणा के मैनेजिंग एडिटर सुंदर सोलंकी, एडवोकेट रितु और ने मां सरस्वती के सामने दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का स्वागत किया।
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