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इंडिया न्यूज़, भोपाल
Importance of Narmada River अनेकता में एकता वाले राष्ट्र भारत को नदियों का देश माना जाता है। यहाँ नदियों को माँ के रूप में पूजा जाता है। भारत में नदियों का धार्मिक इतिहास और उनका महत्व बहुत ही दिलचस्प रहा है। भारत में आज भी गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा और कावेरी जैसी नदियों का धार्मिक महत्त्व है। देश की लगभग सभी छोटी-बड़ी नदियों से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।
नदियों को लेकर कई प्रकार की धार्मिक मान्यताएँ हैं लेकिन बहुव्यापी आस्था यह है कि इन नदियों में स्नान करने से मनुष्य के मन के सभी मैल धुल जाते हैं एवं उसे पापों से मुक्ति भी मिल जाती है। भारत में नदियों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी की जाती है। साथ ही नदियाँ देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए भी मील का पत्थर मानी जाती हैं।
पूरी दुनिया में नदियों के प्रति आस्था, प्रेम और समर्पण का भाव भारतीय संस्कृति में ही देखने मिलता है। नदी, जो सदानीरा, अर्थात ‘सदैव जल से भरी हुई’ भी कहलाती है, नदी जीवन का सतत स्रोत होती है। नदियाँ निरपेक्ष भाव से हमारी रक्षक और पालनकर्ता हैं। नदियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी जल देने वाली मातृशक्ति का प्रतीक हैं। नदियों बिना यह धरा शून्य हो जायेगी, जीवन के प्रारम्भ से अंत तक इन नदियों का पानी जीवन पर उपकार करता आ रहा है। नदियां सदैव से ही मानव के लिए जीवनदायिनी रही हैं। नदियां प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने के साथ पृथ्वी पर एक आशीर्वाद के रूप में मौजूद हैं। (Religious Importance of Narmada River)
भारत के ह्रदय प्रदेश मध्यप्रदेश में स्थित नर्मदा नदी देश की पांचवीं सबसे बड़ी नदी है। नर्मदा नदी प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक पठार से निकलती है। यह नदी 1312 किलोमीटर के विशाल क्षेत्र को अपने जल से जीवन देती है। नर्मदा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात को स्पर्श करते हुए खंभात की खाड़ी में समा जाती है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, नर्मदा जयंती माघ महीने में शुक्ल पक्ष सप्तमी को प्रतिवर्ष मनाई जाती है।
इस साल नर्मदा जयंती 7 फरवरी को मनाई जा रही है। नर्मदा के धार्मिक महत्व की बात करें तो नर्मदा नदी का अवतरण धरती पर इसी दिन हुआ था। इसलिए इस दिन को नर्मदा जयंती के रूप में मनाते हैं। यह तिथि पवित्र नदी मां नर्मदा को समर्पित होती है, इस दिन नर्मदा नदी की पूजा की जाती है और मध्य प्रदेश में पूरे श्रद्धा भाव के साथ नर्मदा जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अगर व्यक्ति मां नर्मदा के पवित्र जल में स्नान करता है तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के पापों का नाश भी होता है। इसके अलावा मां नर्मदा की कृपा हमेशा व्यक्ति पर बनी रहती है और उसे दीर्घायु प्राप्त होती है। (Economic importance of Narmada River)
मध्यप्रदेश में 1077 किलोमीटर में फैली हुई नर्मदा नदी प्रदेश और गुजरात राज्य को पीने, सिंचाई और जलविद्युत के लिए पानी का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है, और लगभग 5 करोड़ लोगों को भोजन, पानी और आजीविका प्रदान करती है। नर्मदा के बेसिन का एक तिहाई हिस्सा जंगलों से आच्छादित है, जो प्रसिद्ध कान्हा टाइगर रिजर्व और पंचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व सहित 11 से अधिक संरक्षित क्षेत्रों का समर्थन करता है। (Importance of Narmada River)
देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य होने के साथ ही मध्यप्रदेश, भारत के दिल में एक चमकते हुए रत्न की तरह है, जो समृद्ध धार्मिक विरासतों का प्रतीक है। इस स्थान की आध्यात्मिक यात्रा वास्तव में मानसिक शांति और ऊर्जा प्रदान करने वाली है। अमरकंटक में नर्मदा नदी का उद्गम स्थल होने के साथ माँ नर्मदा का मंदिर भी बना हुआ है, जिसका निर्माण माँ नर्मदा के आदेशानुसार हुआ था। यहाँ के नर्मदा कुंड में स्नान करने पूरे देश से लोग आते हैं।
खंडवा जिले के ओम्कारेश्वर में भगवान शिव जी का ज्योतिर्लिंग होने के साथ “ॐ” के आकार में द्वीप के बीच में नर्मदा नदी बह रही है। यहीं से लगे हुए महेश्वर जिले में रानी अहिल्या देवी द्वारा बनवाये गए नर्मदा घाट में पर्यटक नाव की सैर का आनंद लेते हैं साथ ही नदी में स्नान कर स्वयं को नर्मदा की पवित्रता से जोड़ लेते हैं। प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित ग्वारी घाट में अनेक घाट हैं जहाँ से नर्मदा नदी बहती है। घाट में हर दिन सुबह-शाम दिव्य रूप में माँ नर्मदा की आरती होती है जहाँ सभी जगहों से पर्यटक आते हैं। (Cultural Importance of Narmada River)
पूरे देश में जल निकाय प्रदूषित हो रहे हैं, संबंधित राज्य सरकारें अपने जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए नई योजनाओं की स्थापना करने के लिए कार्य कर रही हैं। मध्यप्रदेश की राज्य सरकार ने हाल ही में “नर्मदा संरक्षण कार्य योजना” शुरू की है जिसके द्वारा नर्मदा नदी को बेहतर तरीके से संरक्षित किया जाएगा। नर्मदा नदी देश के पश्चिमी भाग के लगभग 100 से अधिक शहरों को छूती हुई निकलती है। इस योजना को सफल बनाने के लिए, मध्यप्रदेश की राज्य सरकार ने 1,300 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की। (Narmada River Facts)
मध्यप्रदेश के आर्थिक विकास और पर्यावरण के लिए नदी के महत्व को समझते हुए, राज्य सरकार ने नर्मदा सेवा मिशन शुरू किया है। मिशन अंतर्गत नदी के तटवर्ती और जलग्रहण क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने, स्वच्छता में सुधार, मिट्टी के कटाव को कम करने, प्रदूषण नियंत्रण उपायों को अपनाने और स्थायी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के कार्य किये जा रहे हैं। प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के ओंकारेश्वर बांध पर दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना 600 मेगावाट की बन कर तैयार हो रही है। वर्ष 2022-23 तक बिजली उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। बांध में सोलर पैनल लगाने से करीब 2000 हेक्टेयर जल क्षेत्र में बिजली का उत्पादन होगा। (Narmada River Origin)
जैसे नदियां धरा जीवन रेखा है वैसे ही वृक्ष पर्यावरण की प्राणवायु हैं। पर्यावरण संरक्षण संदेश और प्रेरणा देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं हर दिन एक पौधा लगाते हैं और प्रदेश की जनता को इस अभियान में सहभागी बनने के लिए उत्प्रेरित करते हैं। प्रदेश के हरित क्षेत्र में वृद्धि और प्राणवायु को समृद्ध बनाने में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा “अंकुर अभियान” की शुरुआत की गई है। अंकुर कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक लगभग 2 लाख 97 हजार नागरिकों द्वारा पंजीयन कराया जा चुका है और लगभग 5 लाख वृक्षारोपण के फोटो लोगों द्वारा अपलोड किये जा चुके हैं। (Importance of Narmada River)
नदियाँ कई मायनों में जीवन क सुखी और समृद्ध बनाने का शक्तिशाली माध्यम हैं। भारतीय सभ्यता और संस्कृति नदियों की ऋणी हैं। इन्हीं के कारण हमारा और हमारी धरती का विकास संभव है। नदियों का संरक्षण और संवर्धन हमारी मुख्य प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए। मध्यप्रदेश सरकार नदियों को साफ-सुथरा रख उनके संरक्षण हेतु विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कार्य कर रही है, यह प्रयास आने वाले समय में नदियों के महत्व को बनाए रखते हुए उन्हें सहेजने और संरक्षित करने की दिशा में निश्चित ही महत्वपूर्ण साबित होंगे।
Importance of Narmada River
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