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Initiation of Holistic Transformation of Infrastructure and Services in the State राज्य में अवसंरचना और सेवाओं के समग्र परिवर्तन की शुरूआत

India News Editor • LAST UPDATED : October 18, 2021, 4:40 pm IST
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Initiation of Holistic Transformation of Infrastructure and Services in the State राज्य में अवसंरचना और सेवाओं के समग्र परिवर्तन की शुरूआत

Initiation of Holistic Transformation of Infrastructure and Services in the State

Initiation of Holistic Transformation of Infrastructure and Services in the State


हरदीप एस पुरी
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस व आवासन व शहरी कार्य मंत्री

किसी राष्ट्र के इतिहास में बीस वर्ष एक छोटी अवधि होती है, लेकिन किसी व्यक्ति के लिए यह छोटा कालखंड राष्ट्र के विकास में एक मजबूत आधारशिला रखने के लिए पर्याप्त होता है। यह बात अन्य कार्यक्रमों की तुलना में ऐतिहासिक स्वच्छता अभियान में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 अक्टूबर, 2021 को सार्वजनिक जीवन में शीर्ष पदों पर रहते हुए 20 सफल वर्ष पूरे किए। पहले, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, और फिर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में, उनके दो कार्यकालों ने नेतृत्व को फिर से परिभाषित किया है। उनकी शासन शैली, उनके विभिन्न गुणों यथा साहसिक दृष्टि, साधारण परवरिश, अखंड सत्यनिष्ठा, अथक प्रयास, सोच की स्पष्टता आदि को दर्शाती है।

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति ने देश के शासन की रूपरेखा में एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरूआत की-पहले, शहर एवं राज्य प्रशासन में, और बाद में केन्द्रीय प्रशासन में, नागरिकों को केंद्र में रखते हुए नीति निर्धारित करने से राज्य में अवसंरचना और सेवाओं के समग्र परिवर्तन की शुरूआत हुई। कई उल्लेखनीय उपलब्धियों में से दो सबसे महत्वपूर्ण हैं- जल आपूर्ति और स्वच्छता। पहली उपलब्धि है- गुजरात में जल निकायों को बड़े पैमाने पर पुनर्जीवित करना। केवल दो दशकों में पानी की भारी कमी के बदले जल की पर्याप्त उपलब्धता तक, पानी की कमी झेल रहे राज्य का कायाकल्प आश्चर्यजनक है। मुख्यमंत्री मोदी ने न केवल नर्मदा नहर के निर्माण की देख-रेख की, बल्कि उन्होंने राज्य में सभी नहर प्रणालियों और जल स्रोतों के संवर्धन का भी नेतृत्व किया। उनकी दूरदर्शी सोच से जल संरक्षण और प्रबंधन को मजबूत करने के लिए एक राज्यव्यापी प्रयास की शुरूआत हुई। राज्य सरकार को पिछले दो दशकों में 184,000 चेक डैम और 3,27,000 खेत के तालाबों के निर्माण तथा 31,500 तालाबों को गहरा करने व 1000 बावड़ियों, जो उपयोग के लायक नहीं थीं, को पुनर्जीवित करने में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करना पड़ा।

उन्होंने प्रशासनिक और संगठनात्मक पुनर्गठन- राज्य-स्तरीय पर्यवेक्षी निकायों से लेकर ग्राम-स्तरीय समितियों तक का निरीक्षण किया। इन उपायों के परिणामस्वरूप आज सिंचित क्षेत्र में 77 प्रतिशत और भूजल पुनर्भरण में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री द्वारा विशेष रूप से हमारे शहरों की जल प्रणालियों के कायाकल्प पर निरंतर ध्यान दिए जाने से राष्ट्रीय स्तर पर इसका लाभ मिल रहा है। उनका लक्ष्य अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन 2.0 (अमृत 2.0) और जल जीवन मिशन जैसे ऐतिहासिक कार्यक्रमों के माध्यम से देश को ‘जल के मामले सुरक्षित’ बनाना है।
प्रधानमंत्री की सोच को सर्वोदय और आत्मनिर्भरता जैसे गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरणा मिली है। कई प्रमुख नीतियों के सन्दर्भ में गांधीजी के दर्शन ने प्रधानमंत्री के लिए प्रेरणास्त्रोत के रूप में कार्य किया है, जिसमें विशेष रूप से स्वच्छ भारत मिशन का उल्लेख किया जा सकता है। गांधीजी स्वच्छता के पहले समर्थक थे। उन्होंने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में “स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण हैह्व, पर जोर देते हुए स्वच्छता के महत्व को रेखांकित किया था। मुख्यमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर, 2005 को गुजरात शहरी विकास वर्ष घोषित किया। इसी वर्ष ‘निर्मल गुजरात’ कार्यक्रम की भी शुरूआत हुई। यह कार्यक्रम ही वह सूत्र था, जिसने गांधीजी के अधूरे सपने को मुख्यमंत्री मोदी के इस विश्वास से जोड़ा कि सार्वभौमिक स्वच्छता ही वह आधार है, जिस पर विकास रूपी भवन का निर्माण किया जा सकता है।
निर्मल गुजरात कार्यक्रम में कई अभिनव विशेषताओं को पेश किया गया, जैसे सामुदायिक भागीदारी, महिलाओं के नेतृत्व में कार्यान्वयन के साथ-साथ काम करने के तरीके में बदलाव, मांग-आधारित दृष्टिकोण और वित्तीय प्रोत्साहन आदि पर ध्यान केंद्रित करना। 2005 के बाद से गुजरात में शुरू किए गए कार्यक्रमों ने स्वच्छ भारत मिशन से सम्बन्धित उनके विचारों की पृष्ठभूमि तैयार की, जिसने अंतत: गांधीजी के सपने को वास्तविकता में बदल दिया।
जब प्रधानमंत्री ने पहली बार लालकिले की प्राचीर से स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा की, तो इस घोषणा ने उन्हें 1.3 अरब भारतीयों की नजरों में प्रतिष्ठित कर दिया। इस घोषणा में देशवासियों को अपने नेता के दृढ़ विश्वास और प्रत्येक नागरिक की गरिमा के लिए उनके मन में मौजूद गहरी देखभाल की भावना का अनुभव हुआ। कुछ आलोचकों ने सोचा कि खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) देश बनना असंभव है। हम 2014 में ओडीएफ की मामूली 38 प्रतिशत की स्थिति से आज लगभग 100 प्रतिशत तक की उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। इसका एक उल्लेखनीय अपवाद पश्चिम बंगाल है। नेतृत्व की मिसाल पेश करते हुए प्रधानमंत्री ने खुद झाड़ू उठाई और इस जन आंदोलन में हम सभी को स्वच्छाग्रही बना दिया।

स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (एसबीएम-यू)’ के तहत इस सरकार ने 73 लाख से भी अधिक शौचालयों का निर्माण किया है और इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रसंस्करण क्षमता को वर्ष 2014 के 18 प्रतिशत से बढ़ाकर आज 70 प्रतिशत से भी अधिक कर दिया है। इस दिशा में सच्ची जीत यह हुई है कि हर भारतीय के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला है। प्रधानमंत्री ने यह भलीभांति समझ लिया है कि यदि हमारी मानसिकता बदलेगी, तो स्वच्छता सदैव बनी रहेगी। प्रधानमंत्री ने हाल ही में ‘स्वच्छ भारत मिशन- शहरी 2.0 (एसबीएम-यू 2.0)’ का शुभारंभ किया है, ताकि इस तेज गति को आगे भी बरकरार रखा जा सके, और इसके साथ ही ‘ओडीएफ भारत’ से ‘कचरा मुक्त भारत’ बनने की ओर अग्रसर हुआ जा सके। प्रधानमंत्री ने सहज रूप से यह समझ लिया कि यह मिशन किस तरह से लाखों भारतीयों को सामूहिक रूप से ठोस पहल करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से लाखों भारतीयों की आकांक्षाओं को स्वाभाविक रूप से समझा, उसी का यह परिणाम है कि इस देश के लोगों ने उन पर इतना अधिक विश्वास और भरोसा जताया है। उनका जनादेश उम्मीदों से परिपूर्ण है। भारत के शहरी क्षेत्रों के कायाकल्प और आधुनिकीकरण, जिसकी उपेक्षा वर्ष 2014 से पहले की जाती थी, के लिए उनकी प्रतिबद्धता को भी ध्यान में रखकर महत्वाकांक्षी और युवा भारत उनका इतना व्यापक समर्थन बड़े उत्साह से करता है।
पूरी दुनिया में सबसे व्यापक नियोजित शहरीकरण शुरू करके प्रधानमंत्री नए सिरे से शहरों की परिकल्पना कर रहे हैं। हमने शहरी निवेश में बड़ी छलांग लगाकर अपने शहरों की छिपी हुई संभावनाओं के द्वार को खोल दिया है। पिछले महज छह वर्षों में मोदी सरकार ने जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता, धरोहर और समानता को मुख्यधारा में लाते हुए अत्यंत आवश्यक शहरी अवसंरचना का उन्नयन करने पर 11.83 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो वर्ष 2004 और वर्ष 2014 के बीच खर्च किए गए 1.57 लाख करोड़ रुपये से सात गुना अधिक है।

प्रधानमंत्री आवास योजनाझ्र शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत इस सरकार ने लगभग 1.14 करोड़ घरों को मंजूरी दी है, जिनमें से 51 लाख से भी अधिक आवास इकाइयों यानी घरों में संबंधित लाभार्थियों ने रहना शुरू भी कर दिया है। अमृत मिशन ने 1 लाख से अधिक की आबादी वाले 500 शहरों में बुनियादी नागरिक अवसंरचना की जरूरतों को बाकायदा पूरा कर दिया है। इसके बाद अब ‘अमृत 2.0’ का दौर आया है जिसमें देश के सभी वैधानिक शहरों में नल कनेक्शन के साथ सार्वभौमिक या सभी को जल आपूर्ति की परिकल्पना की गई है। इसमें ‘अमृत’ के अंतर्गत आने वाले 500 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन सुविधाओं का भी प्रावधान है। स्मार्ट सिटी मिशन ने शहरी विकास में नवाचार की संस्कृति को शामिल किया है जिसे भारत के सभी 4,378 शहरी केंद्र दोहरा सकते हैं। ये समस्त पहल भारत में शहरी विकास के वास्तविक एवं अपेक्षित स्वरूप से जुड़े प्रधानमंत्री के सुसंगत विजन को दशार्ती हैं जिसमें स्वच्छता और आवास की बुनियादी जरूरतों से लेकर उन्नत डिजिटल समाधान और गतिशीलता तक सभी समाहित हैं।
कई अवसरों पर उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया है कि शहरी विकास का बहुआयामी स्वरूप भारत की विकास गाथा को सटीक रूप से दर्शाएगा क्योंकि ये भारत के शहर ही होंगे जो देश को आत्मनिर्भरता के साथ-साथ वर्ष 2030 तक भारत को दस ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की ओर अग्रसर करेंगे। मेरा दृढ़ विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसी भी पिछली सरकार की तुलना में गवर्नेंस में सुधार या बेहतरी के लिए कहीं अधिक काम किया है। इसके लिए केवल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लागू किए गए विभिन्न सुधारों के व्यापक दायरे पर गौर करने की जरूरत है: चाहे शौचालय हों, या बैंक खाते, डिजिटल सेवाएं, पेयजल, बिजली, रक्षा, या शहर हों, प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश पर अपने सशक्त विजन की छाप छोड़ी है। अविश्वसनीय गाथाओं से भरी इस अनिश्चित दुनिया में हमारे ‘प्रधान सेवक’ एक अत्यंत ईमानदार शख्सियत के रूप में आत्मविश्वास से पूरी तरह भरे हुए हैं, जो अपने मिशन पर सदैव अडिग रहे हैं।

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