India News( इंडिया न्यूज), Jharkhand News : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से ईडी के समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी है। दूसरी ओर ईडी ने भी याचिका के खिलाफ कैविवेट दायर किया है। ये याचिका सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
हेमंत सोरेन का आरोप है कि ED का समन दुर्भावना से प्रेरित है और झारखंड में राजनीतिक अनिश्चितता और अशांति पैदा करने के एकमात्र उद्देश्य से झूठा आरोप गढ़ा गया है। ED ने पहले भी स्टोन चिप्स के कथित अवैध खनन और लीज पट्टा मामले में मुख्यमंत्री हेमंत से पुछताछ की थी। बीते साल नवंबर में, मुख्यमंत्री हेमंत से कथित अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ हुई थी। इस दौरान हेमंत सोरेन ने ED के पूछताछ में प्रमाणित प्रतियों के साथ अपने और अपने परिवार के स्वामित्व वाली सभी चल और अचल संपत्तियों का विवरण दे दिया था। लेकिन ED ने हेमंत को एक बार फिर पुछताछ के लिए बुलाया।
इसबार मामला जमीन घोटाले से संबंधित है। सेना की जमीन की धोखाधड़ी से बिक्री, भ्रष्ट्राचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ये पूछताछ होनी थी। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के इस समन को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। प्रवर्तन निदेशालय ने शुरू में सोरेन को 14 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया, हेमंत ने इसके जवाब में ईडी को ये सफाई दी कि चूंकि 15 अगस्त को झंडोतोल्लन है, इस वजह से आना संभव नहीं है। वैसे हेमंत ने इस समन को राजनीति से प्रेरित बताते हुए सम्मन का विरोध किया और संभावित कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
सीएम हेमंत ने ये सार्वजनिक बयान दिया की वे प्रवर्तन निदेशालय से नहीं डरते, जेल का डर नहीं। गिरफ्तार कर ले लेकिन वे ईडी के सामने पेश नहीं होंगे। जांच एजेंसी ED ने दूसरा समन जारी कर 24 अगस्त को बुलाया, वे नहीं आए। तीसरे समन में नौ सितंबर को हाजिर होने को कहा था। लेकिन हेमंत सोरेन हाजिरी नहीं लगाई, कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस बीच हेमंत ने सुप्रीम कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट, 2002 की धारा 50 और धारा 63 को संविधान के दायरे से बाहर घोषित करने की अपील की है और इसे अवैध घोषित करने के लिए उचित निर्देश जारी करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में वे दावा कर रहे हैं कि ED के नोटिस का उद्देश्य उनके द्वारा चुनी सरकार को कमजोर करना है। गौरतलब है कि PMLA के प्रावधानों के तहत समन दस्तावेज पेश करने के मामले में ईडी के पास सिविल कोर्ट जितनी शक्तियां हैं। बताया ये भी जाता है की ईडी के पास सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में काफी मजबूत सबूत मौजूद हैं जो आरोपियों के साथ उनकी संलिप्तता को उजागर कर सकता है।
आरोपों में यह भी कहा गया है कि मुख्य्मंत्री हेमंत न केवल उनके साथ राजनीतिक रूप से जुड़े रहे, बल्कि अवैध रूप से हासिल किए गए खनन और अन्य कारोबारों के लिए कथित तौर पर आगे रहकर काम किया। बहरहाल हेमंत के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय के समन को टालने की मांग की है, जिसमें वे यह दावा है कि ED का आदेश अवैध है।
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