इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, JNU hostels in Bad condition): जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रावासों की हालत बेहद ख़राब होती जा रही है। छत गिरने, दीवारों से रिसाव, तारों में शॉर्ट सर्किट और गलियारों और डाइनिंग हॉल की जर्जर स्थिति की घटनाएं छात्रों और कर्मचारियों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय हैं.
हाल ही में एक घटना में पेरियार छात्रावास में छत का एक हिस्सा कमरे की बालकनी में गिर गया था। इस घटना में एक छात्र की जान बाल-बाल बची थी। शारीरिक रूप से विकलांग विजय प्रधान, विश्वविद्यालय में फ्रेंच की पढ़ाई कर रहे है। उनके कमरे में यह हादसा हुआ था। हालांकि उन्हें चोट नही आई थी.
विश्वविद्यालयों में सभी छात्रावासों की यही स्थिति है। यहां तक कि नए छात्रावासों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भीगी हुई दीवारों के गिरने का डर हमेशा बना रहता है। दीवारों में रिसन के कारण कमरों में बदबू आती रहती है। यहां तक कि हमारे कमरों के बाहर की दीवारें भी दयनीय स्थिति में हैं.
छतों से टपकता पानी वाले कॉरिडोर में चलने से कई बार छात्र हादसे का शिकार होते रहते है। साबरमती हॉस्टल के छात्रों के अनुसार इस कारण कई बार वह गलियारे में चलते चलते फिसल जाते है। जिससे उन्हें कई बार गंभीर चोट भी आ चुकी है। जेएनयू के छात्रावासों में कमरों और भोजन की स्थिति में सुधार की मांग लम्बे समय से हो रही है.
छात्र समुदाय के प्रति जेएनयू प्रशासन के असंवेदनशील रवैये की निंदा करते हुए, एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार कहते है कि “प्रशासन को बिना किसी देरी के नवीनीकरण कार्य के लिए स्वीकृत रुपये का उपयोग करना चाहिए। हमने छात्रावास के नवीनीकरण योजना का खाका मांगा है, लेकिन अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। कुलपति के आवास के नवीनीकरण पर खर्च करते समय प्रशासन को छात्रावासों के बुनियादी ढांचे की ओर आंखें नहीं मूंदनी चाहिए।”
छात्रों ने कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसको लेकर मांग कि है, लेकिन न ही इसपर कोई बयान आता है और न ही कोई कार्रवाई होती है.
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