इंडिया न्यूज(India News), Kamakhya Devi Temple: माता के 51 शक्तिपीठों में से एक माता कामाख्या का मंदिर है जो माता कामाख्या को समर्पित है। माता का ये मंदिर बड़ा ही रोचक है। इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। मूर्ति के स्थान पर यहां एक योनि-कुण्ड स्थित है। ये कुण्ड हमेशा फूलों से ढका रहता है। मान्यता है किन इस माता के इस कुण्ड में हमेशा जल भरा रहता है।
इस मंदिर में यह मान्यता है कि जो भी भक्तगण जीवन में तीन बार दर्शन कर लेते हैं उनका सांसारिक बंधन मुक्त हो जाता है। यह मंदिर तंत्र विद्या के लिए भी जाना जाता है। यही वजह है कि मंदिर खुलने पर साधु-संत और तांत्रिक यहां दर्शन करने आते हैं।
माता सती के पिता दक्ष ने अपने घर पर यज्ञ रखा था, जिसमें माता सती बिना बुलाए शामिल हो गई। हालांकि आमंत्रित ना किए जाने पर महादेव वहां उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद यज्ञ के दौरान दक्ष ने शिव का बहुत अपमान किया। शिव के अपमान से आहत होकर सती क्रोध में हवन कुण्ड में कूद गई और अपने प्राण त्याग दिए।
वहीं भगवान शिव को इस बात से काफी क्रोध आया और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलते हुए विलाप में माता सती के पार्थिक शरीर को हाथों में उठकर दुख में संसार के इधर-उधर काफी समय से घूमते रहें। इस बीच भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर को काट दिया। माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वह सभी स्थान 51 शक्तिपीठ कहलाए। असम के कामाख्या स्थान पर माता सती का योनि भाग गिरा था।
बता दें कि 22 जून से 25 जून के बीच मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, जिस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का जल लाल रहता है। मान्यता है कि इन दिनों माता सती रजस्वला रहती हैं। इन 3 दिनों के लिए पुरुषों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती। वहीं, 26 जून को सुबह भक्तों के लिए मंदिर के दरबार खुल जाते हैं, जिसके बाद भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं। 3 दिन देवी सती के मासिक धर्म के चलते माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है। 3 दिन बाद कपड़े का रंग लाल हो जाता है, तो इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
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