इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
KGF Chapter 2 Plot Story: कोलार गोल्ड फील्ड्स (केजीएफ 1) मूवी साल 2018 में आई थी। वहीं केजीएफ 2 भी रिलीज होने के लिए तैयार है। 14 अप्रैल 2022 को यह मूवी सिनेमाघरों में लग जाएगी। सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर चचार्एं हो रही हैं। इस फिल्म में साउथ एक्टर यश के अलावा संजय दत्त, रवीना टंडन और प्रकाश राज भी शामिल हैं। बता दें केजीएफ मूवी जिस जगह को लेकर बनी है। उस जगह का अपना एक इतिहास है।
कहते हैं कि कोलार दुनिया की दूसरी सबसे गहरी खदान है और यहां से 121 सालों तक सोने की खुदाई की गई। मीडिया रिपोर्ट्स मुताबिक, कोलार से कुल 900 टन से ज्यादा सोना निकाला गया है। बेंगलुरु से 100 किलो दूर कोलार सोने के उत्पादन के लिए हमेशा से मशहूर रहा है। तो आइए जानते हैं कोलार गोल्ड फील्ड्स के बारे में।
KGF Chapter 2 Plot Story
- कन्नड़ सिनेमा के सुपरस्टार यश की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘केजीएफ: चैप्टर 2’ का लोग बेस्रबी से इंतजार कर रहे हैं। संजय दत्त, रवीना टंडन और श्रीनिधि शेट्टी अभिनीत यह फिल्म 14 अप्रैल 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है।
- ‘केजीएफ चैप्टर 2’ की कहानी वहीं से शुरू होगी जहां इस फिल्म का पहला भाग खत्म हुआ। कहानी में जैसा कि अभिनेता यश के किरदार रॉकी ने अपनी मरती हुई मां से वादा किया था कि वह गरीबी में अपना दम नहीं तोड़ेगा। उसका यह वादा दूसरे भाग में जारी रहेगा। इसकी झलक तो ‘केजीएफ चैप्टर 2’ के टीजर में भी देखने को मिली।
- ‘केजीएफ चैप्टर 2’ का मुख्य किरदार रॉकी इतना समझदार है कि वह राजनीति के गंदे खेल और माफियाओं के बीच बनते समीकरणों को समझने लगा है। उसका लक्ष्य अपने दुश्मनों का खात्मा करना और उन्हें सबक सिखाना है लेकिन अभिनेत्री रवीना टंडन के किरदार के रूप में रॉकी का प्यार उसके लक्ष्य के आड़े आएगा। फिल्म के निमार्ताओं ने कुछ समय पहले संजय दत्त का फर्स्ट लुक जारी करके जानकारी दे दी है कि वह फिल्म में मुख्य खलनायक अधीरा के किरदार में नजर आएंगे।
- केजीएफ चैप्टर 2 की स्टोरी चैप्टर 1 से ही जारी रहेगी। जब रॉकी ने गरुडा (गुंडा) को ऊपर पहुंचा दिया तो गरुडा के सारे आदमी जो हजारों की संख्या में थे वो रॉकी पर हमला कर देंगे, लेकिन इस तरफ विराट यानी हीरोइन के पिता को भी रॉकी ने पहले से ही सिग्नल दे दिया होता है कि “मैं तैयार हूं” और तुम अपने लोगों को तैयार रक्खो।
- तो विराट भी तैयार रहता है पहले से केजीएफ में हमला करने के लिए, और जब गरुडा को रॉकी ऊपर पहुंच देता है, टैब इस तरफ विराट भी केजीएफ की तरफ अपने आदमियों के साथ केजीएफ की तरफ आगे बढ़ता है। तो जब गरुडा के आदमी रॉकी पर हमला करेंगे तब तक विराट भी अपने आदमियों के साथ केजीएफ पहुंच जाएगा और दोनों विरासत आपास में लड़ेंगे और आखिर में रॉकी और विराट जीत जाएंगे। फिर बाद में विराट और रॉकी की भी केजीएफ को लेकर लड़ाई हो सकती है क्योंकि दोनों को ही केजीएफ चाहिए। या फिर वो दोनों एक साथ मिलकर भी केजीएफ पर कब्जा कर सकते हैं और इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है।
कोलार गोल्ड फील्ड्स का इतिहास
- कोलार गोल्ड फील्ड्स की खदान कर्नाटक के दक्षिण कोलार जिले के मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर स्थित रोबटर्सनपेट तहसील के पास है। अंग्रेजों के समय यह खदान काफी मशहूर थी। साल 1799 की श्रीरंगपट्टनम के युद्ध में मुगल शासक टीपू सुल्तान को अंग्रेजों ने मार गिराया था और उसकी कोलार की खदानों को कब्जे में ले लिया था।
- कुछ सालों बाद ब्रिटिश शासकों ने इस जमीन को मैसूर राज्य को दे दिया था लेकिन उन्होंने सोने की खदान वाला क्षेत्र कोलार अपने पास रखा था। इतिहासकारों के मुताबिक चोल साम्राज्य के लोग उस समय कोलार की जमीन में हाथ डालकर वहां से सोना निकाल लेते थे। जब इस बात का पता ब्रिटिश सरकार के लेफ्टिनेंट जॉन वॉरेन को चला तो उन्होंने गांव वालों को इनाम का लालच देकर सोना निकलवाया। इनाम की बात सुनकर ग्रामीण वॉरेन के पास मिट्टी भरकर एक बैलगाड़ी लेकर पहुंचे।
- ग्रामीणों ने जब उस मिट्टी को पानी से धोया तो उसमें सोने के अंश दिखाई दिए। वॉरेन को यकीन नहीं हुआ तो उन्होंने मामले की जांच करवाई। इसके बाद वॉरेन ने अपने टाइम पर 56 किलो के आसपास सोना निकलवाया था। कई सालों बाद जब ब्रिटिश सैनिक माइकल फिट्जगेराल्ड लेवेली ने साल 1871 में वॉरेन का एक लेख पढ़ा तो उनके मन में सोने को पाने का जुनून जाग गया।
- लेवेली ने बैंगलोर में ही डेरा जमा लिया और वह बैलगाड़ी की मदद से कोलार खदान तक पहुंचे। उन्होंने वहां पर कई तरह की जांच की और सोने की खदान खोजने में सफल रहे। फिर लगभग 2 सालों बाद उन्होंने मैसूर के महाराज को पत्र लिखा जिसमें कोलार की खुदाई का लाइसेंस मांगा। बता दें कि लेवेली ने कोलार में 20 सालों तक खुदाई करने का लाइंसेस मांगा था और फिर शुरू हुआ मौत का खेल।
भारत का पहला स्थान जहां बिजली पहुंची (KGF Chapter 2 Plot Story)
खदान में खुदाई करते समय लेवेली को वहां पर बिजली की कमी महसूस हुई। उन्होंने केजीएफ में बिजली की आपूर्ति के लिए 130 किलोमीटर दूरी पर कावेरी बिजली केंद्र बनाया। इसलिए कोलार गोल्ड फील्ड्स को भारत का पहला बिजली पाने वाला शहर कहा जाता है। बिजली आने के बाद खदान में खुदाई का काम और भी तेजी से होने लगा। साल 1902 आने तक केजीएफ से कम से कम 95 फीसदी सोना निकला जा चुका था। वहीं 19वीं सदी में भारत सोने की खुदाई में दुनिया का छठा देश बन गया था। वहीं अंग्रेजों को केजीएफ इतना भा गया कि उन्होंने वहां पर घर बनाना शुरू कर दिया। बताते हैं कि पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने केजीएफ के पास तालाब का निर्माण करवाया।
अंग्रेजों के लिए केजीएफ था छोटा इंग्लैंड
तालाब से पानी को केजीएफ तक पहुंचाने के लिए पाइपलाइन का सहारा लिया गया। आगे चलकर यही तलाबा पर्यटन स्थल बन गया। अंग्रेजों ने केजीएफ को छोटा इंग्लैंड कहना शुरू कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ सोने की खदान में काम करने के लिए मजूदर लगातार आते जा रहे थे। साल 1930 तक केजीएफ में लगभग 30 हजार मजदूर काम करने लगे थे।
121 सालों में निकला 900 टन सोना
जब 1947 को भारत आजाद हुआ तो भारत सरकार ने सभी खदानों पर अपना कब्जा कर लिया। भारत सरकार ने साल 1970 में भारत गोल्ड माइन्स को केजीएफ सौंप दिया। कंपनी ने काम करना शुरू किया लेकिन 1979 तक कंपनी घाटे में चली गई और उनके पास मजदूरों को सैलरी तक देने के पैसे नहीं बचे। साल 2001 में भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड कंपनी ने केजीएफ में सोने की खुदाई करनी बंद कर दी। वहीं 121 सालों तक इस खदान से 900 टन से ज्यादा सोना निकाला जा चुका है।
KGF Chapter 2 Plot Story
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