इंडिया न्यूज, अंबाला:
Lal Krishna Advani Birthday आज भारतीय जनता पार्टी को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दर्जा प्राप्त है। अहम वादा है अयोध्या में राममंदिर का निर्माण। मगर इस सपने की नींव में बीज डालने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी सक्रिय राजनीति से दूर हैं।
आज उनका जन्मदिन है। पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई भी दे दी है। आइये जानें, भाजपा को भाजपा बनाने वाले इस महान नेता का राममंदिर से कनेक्शन। अयोध्या में भाजपा का सबसे बड़ा सपना साकार हो रहा था। अयोध्या में रामलला की भूमि का पूजन करने की तैयारी हो रही थी।
उससे ठीक पहले वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का एक बयान आ गया। बयान में दर्द झलक रहा था। उन्होंने कहा था। राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान साल 1990 में नियति ने उन्हें सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथयात्रा के रूप में एक पवित्र जिम्मेदारी निभाने का मौका दिया था।
यह एक सपना का साकार होने जैसा है। आज मेरे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण दिन है। मगर लालकृष्ण आडवाणी को उस ऐतिहासिक भूमि पूजन में न्योता नहीं दिया गया था। आज तो उनकी तस्वीर भी भाजपा की प्रचार सामग्री से गायब हो चुकी है।
आडवानी के 94 बसंत आज पूरे Lal Krishna Advani Birthday
सोमवार को आडवाणी ने अपने जीवन के 94 बसंत पूरे किए हैं। इनके जीवन में राम रथयात्रा का काफी महत्वपूर्ण काल आया था। बता दें कि राम रथयात्रा एक राजनीतिक और धार्मिक रैली थी जो सितंबर से अक्टूबर 1990 तक चली थी।
इसका आयोजन भारतीय जनता पार्टी और उसके हिंदू राष्ट्रवादी सहयोगियों द्वारा किया गया था। इसका नेतृत्व भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने ही किया था।
आंदोलन अहम पड़ाव 30 अक्टूबर 1990 Lal Krishna Advani Birthday
30 अक्टूबर 1990 राम मंदिर आंदोलन के सबसे अहम पड़ाव में से एक था। 1987 में विवादित स्थल का ताला खोले जाने के बाद से ही लगातार अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग जोर पकड़ रही थी। दूसरी तरफ लगातार बढ़ते दबाव के बीच 1989 में चुनावों की आहट हुई।
केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और उत्तर प्रदेश की नारायण दत्त तिवारी सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास कराया। 1989 के चुनावों में राम मंदिर धार्मिक के साथ राजनीतिक मुद्दे के रूप में भी तब्दील हो गया।
दो से 85 सीट पर पहुंची थी भाजपा Lal Krishna Advani Birthday
राम मंदिर आंदोलन के आसरे दो से 85 सीट पर पहुंचने वाली बीजेपी और उसके तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर के मुद्दे को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहते थे।
लालकृष्ण आडवाणी ने संतों के आंदोलन को बीजेपी का आंदोलन बताया और रथयात्रा शुरू की। यहीं से राम मंदिर के आधिकारिक रूप से चुनावी मुद्दा बनने की शुरूआत हुई। एक तरफ आडवाणी की रथयात्रा थी और दूसरी तरफ संतों का आंदोलन।
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