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India News(इंडिया न्यूज), Abhishek Sharma, Maratha Reservation: महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन फिर से एक बार जोर पकड़ चुका है और इस जोर को पकड़ते हुए देख सरकार की सांस फूलनी शुरू हो चुकी है। इसका मतलब साफ दिखता है, क्योंकि महाराष्ट्र में एक दो परसेंट नहीं करीबन 35% के आसपास मराठा वोटर है और यह मराठा महाराष्ट्र के सरकार का भविष्य तय करते हैं यानी सभी पार्टियों की कि जब पार्टियां चुनाव मैदान में जाती हैं। तो यह समझ में आता है कि मराठा वोटर जिसके साथ होंगे उसकी नैया जरूर पार होगी।
और यही कारण है कि मराठाओं का आंदोलन जब से शुरू हुआ है आरक्षण देने को लेकर तब से या यूं कहें की जब-जब या जोर पकड़ता है तब तक महाराष्ट्र सरकार की सांस फूलने ही लगती है और इस बार भी ऐसा हुआ है। जब जालना में आपको याद होगा कि किस तरीके से मराठा जब आंदोलन कर रहे थे उस वक्त उनके ऊपर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया और लाठी चार्ज करने के वजह से मामला बड़ा गंभीर हो चुका है। और सरकार लगातार एक के एक मीटिंग कर रही है लेकिन अभी तक ठोस उपाय नहीं निकाल पाए हैं।
मराठा समाज लगातार मांग कर रहे हैं कि उन्हें आरक्षण मिले और जितने भी उनके ऊपर केसेस हुए हैं उसे वापस लिया जाए हालांकि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से एक लंबी मीटिंग की गई सभी पार्टियों की तरफ से और उसमें यह तय किया गया कि जरूर जितने भी केसेस मराठाओं पर अब तक है। वह केस वापस लिए जाएंगे। लेकिन बात फिर से वहीं आकर रुक जाती है कि उनके आरक्षण का क्या ? क्या उन्हें आरक्षण मिलेगा या नहीं। क्योंकि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जाते हैं वैसे-वैसे मराठा अपनी मांग को लेकर और उग्र होते जाते हैं पिछले कई सालों में हमने देखा है कि मराठा जब-जब आंदोलन किए हैं उनके आंदोलन में बहुत भारी भीड़ जुटी हैऔर भीड़ इतनी जुटी है कि हर किसी को कहना पड़ा कि किस तरीके से मराठाओं का एकजुट दिखाई पड़ रहा है।
लेकिन अब इलेक्शन नजदीक आते ही यानी 2024 का इलेक्शन नजदीक आते देख मराठाओं को लग रहा है कि उन्हें आरक्षण मिल सकता है क्योंकि महाराष्ट्र में भी बीजेपी और सेंट्रल में बीजेपी की सरकार है तो कहीं दोनों सरकार ने मिलकर अच्छा इनके लिए काम कर सकती हैं लगातार तमाम जगहों पर इसको लेकर आंदोलन भी हो रहे हैं शांतिपूर्ण हालांकि आंदोलन चल रहा है। अब तक कहीं उग्र आंदोलन जालना के अलावा नहीं दिखाई पड़ा है। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार पर जो भरोसा है मराठाओं का वह क्या सही समय पर पूरा हो पायेगा या फिर आंदोलन की रूपरेखा और भी बढ़ती रहेगी। सबसे बड़ा सवाल अभी भी ये बना हुआ है।
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