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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Misappropriation of Old Gold: त्योहारों का सीजन हो और कोई सोने से बना सामान घर न आए हो ही नहीं सकता। कुछ ही दिनों बाद धनतेरस समेत दीपावली का त्योहार आने वाला है। ऐसे में अगर आप भी फेस्टिव सीजन पर सोने की खरीदारी करने जा रहे हैं तो जागरूक रहें और वहीं किसी एक्सचेंज ऑफर की ओर आकर्षित होकर घर में रखा पुराना सोना देकर नया खरीदने जा रहे हैं तो सतर्कता बहुत ही जरूरी हो जाती है। क्योंकि सोने की अदला-बदली में ग्राहकों को मोटा चूना लगाने का खेल मार्केट में चरम पर है।
ऐसे में खरीदारी के साथ-साथ सावधानी बहुत जरूरी है। थोड़ी सी लापरवाही से आपकी जेब कब कट जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा। जी हां आमतौर पर महिलाएं दिवाली जैसे शुभ अवसरों पर सोने से निर्मित जेवर खरीदने से नहीं चूकती। वहीं कुछ अपने पुराने जेवरों को एक्सचेंज कर नए डिजाइन की ज्वैलरी खरीदना ज्यादा पसंद करती हैं। ट्रेंड को फॉलो करने के चक्कर में अक्सर ग्राहक अपना नुकसान कर बैठता है।
सदियों से सोने से बने गहने प्रचलन में हैं। हर कोई अपनी क्षमतानुसार सोना खरीदता ही है। अगर आप भी सोने खरीदने का मन बन रहे हैं तो एक बात जरूर समझ लें कि सोना 100 प्रतिशत शुद्ध कभी नहीं होता। सोना बहुत ही नाजुक धातु होती है जिसमें मिलावट किए बगैर जेवर बन ही नहीं सकता। सोने की शुद्धता कैरेट के हिसाब से जानी जाती है।
सबसे शुद्ध कहा जाने वाला 24 कैरेट का सोना भी 99.9 फीसदी शुद्ध होता है। इसके बाद नंबर आता है 22, 18 या फिर 14 कैरेट का जो कि आम तौर पर लोग खरीदते हैं। खरीदारी करने से पहले आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आज का सोने का भाव क्या है। दूसरा कि आपके जेवरों का वजन सही में कितना है जो आप बदलने जा रही हैं। तीसरा सोने की गुणवत्ता का पता होना भी बहुत ही जरूरी होता है।
जब आप अपना सोना लेकर किसी सुनार के पास जाते हैं तो वह आपसे सीधे शब्दों में बात करेगा। लेकिन सोना बेचने की स्थिति में वह अपने कारीगर या फिर गलाई करने वाले से बात कोडवर्ड में करेगा जिसके जरिए आपके साथ हजारों रुपए की धोखाधड़ी कर दी जाएगी। आपके सोने की शुद्धता आंकने के लिए ज्वैलर अक्सर इन शब्दों का प्रयोग करते हैं सवांग, एकवाई, फोग, बुध, डहक, पड़त, मंग, सलाय, कोन। कोन 9 और सलाय जैसे कोडवर्ड के जरिए सोने की मात्रा, शुद्धता कम बताई जाती है जिस पर आप विश्वास करने को मजबूर हो जाते हैं और आपको चपत लग जाती है।
सोने का कोई भी जेवर बनवाने हो तो एक बात जरूर समझ लें कि बिना मिलावट के गहना बन ही नहीं सकता। अगर आप पुराना सोने से का ही नया जेवर बनवाते हैं तो उसमें भी सुनार कमाई करता है और आपसे लेबर के तौर पर हजार 1500 रुपए लेकर सेवा करने की बात कहता है। लेकिन असल में वह इस काम में भी आपकोे हजारों का चूना लगा देता है। जैसे कि गलाई करने वाले से लेकर बनवाई तक के काम में वह शब्दों का ऐसा मायाजाल बुनता है कि आपको पता भी नहीं चलता और आपके सोने में मिलावट कर कैरेट कम करने तक के खेल में कम से कम आठ से 10 हजार तक खेल कर जाता है।
पुराने जमाने में बुजुर्ग सोने को संभाल कर रखते थे। उनका मानना है कि सोना तो बुरे वक्त का गहना होता है। लेकिन आजकल की पीढ़ी पुरखों की विरासत (सोना) को सहजने की बजाए नए जमाने के अनुसार बदलते जा रहे हैं। हॉलमार्क वाली ज्यूलरी खरीदने के लिए अपने खरे सोने को आधे से भी कम दामों में बेच कर कम वजन सोना खरीद कर खुश होते हैं कि हमने हॉलमार्क वाला सोना खरीद लिए है। वहीं दुकानदार भी पुराने सोने मेंं कई तरह की खोट बता कर औने पौने दामों में खरीद लेते हैं। उसके बाद फिर उसी सोने से जेवर बना कर मौटे दामों में बेचने का खेल शुरू हो जाता है।
ऐसे में अगर आप मन बना ही चुके हैं कि गहने एक्सचेंज करने ही हैं तो आप इन बातों को ध्यान में रखते हुए अपने सोने की सही जानकारी हासिल कर सकती हैं। सुनार या ज्वेलर्स की दुकान पर गहने एक्सचेंज कराते समय गौर फरमाएं कि क्या दुकानदार इन बातों पर अमल कर रहा है या नहीं। सबसे पहले कैरेट मशीन में गहनों की शुद्धता और वजन की जांच अवश्य कर लें।
इसके बाद गहना गलाने से पहले क्या दुकानदार आपसे डिक्लेरेशन फॉर्म पर साइन करावा रहा है। फिर जेवर गलाने के बाद फिर से उसका वजन और शुद्धता जांच लें। खरीदारी करते समय ग्राहक की बैंक डीटेल जमा करना होता है क्या वह ऐसा कर रहा है। सबसे आखिरी बात क्या सुनार आपको गलाए गए सोने की रसीद दे रहा है या नहीं अगर वह ऐसा नहीं करता तो आपके साथ धोखा हो सकता है या हो गया है।
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