इंडिया न्यूज़ (नई दिल्ली, mohan bhagwat statement on caste): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जाति व्यवस्था को लेकर बयान दिया है जो काफी सुर्ख़ियों में है। बीते शुक्रवार को नागपुर में एक किताब के विमोचन के दौरान सर संघचालक मोहन भागवत ने जाति और वर्ण व्यवस्था को खत्म करने की अपील की है। भागवत ने पुस्तक विमोचन के दौरान कहा- समाज का हित चाहने वाले हर व्यक्ति को यह कहना चाहिए कि वर्ण और जाति व्यवस्था पुरानी सोच थी जिसे अब भूल जाना चाहिए।
Maharashtra | Concepts of 'Varna' & 'Jaati' (caste) should be forgotten… today if someone asks about it, everyone thinking in the interest of society should tell that 'Varna' & 'Jaati' (caste) system is a thing of the past & should be forgotten: RSS chief Mohan Bhagwat (07.10) pic.twitter.com/Oaz4mKjpiN
— ANI (@ANI) October 7, 2022
भागवत का प्रमुख वक्तव्य था कि “कोई भी चीज जो समाज में भेदभाव पैदा कर रही हो उसे पूरी तरह से खारिज कर देना चाहिए। भारत हो या फिर कोई और देश , पिछली पीढ़ियों ने गलतियां जरूर की हैं लेकिन हमें उन गलतियों को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। अगर आपको लगता है कि हमारे पूर्वजों ने गलती की है, ये बात मान लेने पर उनका महत्व कम हो जाएगा तो ऐसा नहीं है, क्योंकि हर किसी के पूर्वजों ने गलतियां की हैं।”
दशहरे पर भागवत ने रोजगार के लिए नौकरियों की तरफ न देखने की सलाह दी थी। साथ ही कहा था “भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में आर्थिक तथा विकास नीति रोजगार उन्मुख हो, यह अपेक्षा स्वाभाविक ही कही जाएगी, लेकिन रोजगार यानी केवल नौकरी नहीं यह समझदारी समाज में भी बढ़ानी पड़ेगी।”
उन्होंने आगे कहा कि “कोई काम प्रतिष्ठा में छोटा या हल्का नहीं है, परिश्रम, पूंजी तथा बौद्धिक श्रम सभी का महत्व समान है। उद्यमिता की ओर जाने वाली प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन देना होगा। स्टार्टअप इसमें अहम भूमिका निभा रहा है। इसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है।”
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