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(इंडिया न्यूज़, Morbi Bridge was prepared 140 years ago with the 3.5 lakhs): गुजरात के मोरबी में छठ पूजा के दौरान सबसे पुराना एक सस्पेंशन केबल ब्रिज अचानक से टूट जाता है। जिससे पुल पर मौजूद सैकड़ो लोग मच्छू नदी में जा गिरे और कई लोग पुल में फंस गए, जिससे कई लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए है।
दरअसल, ये पुल कोई मामूली पुल नहीं था। इसे इंजीनियरिंग का एक नायाब चमत्कार भी कहा जाता था। मोरबी जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, ये केबल ब्रिज एक टूरिस्ट स्पॉट था। सस्पेंशन ब्रिज मोरबी के शासकों की प्रगतिशील और वैज्ञानिक प्रकृति को दर्शाता है। इसका निर्माण यूरोप में उन दिनों मौजूद लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल करके मोरबी को एक विशिष्ट पहचान देने के लिए किया गया था। यह 1.25 मीटर चौड़ा था और दरबारगढ़ पैलेस और लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को जोड़ने वाली मच्छू नदी पर 233 मीटर तक फैला था।
आपको बता दें, सस्पेंशन केबल ब्रिज का उद्घाटन पहली बार 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। इसे 1880 में लगभग 3.5 लाख रुपए की लागत से पूरा किया गया था। इसका सारा सामान इंग्लैंड से आया था और इसे दरबारगढ़ को नजरबाग से जोड़ने के लिए बनाया गया था। अब यह लटकता हुआ पुल कुंड महाप्रभुजी के आसन और पूरे समाकांठा क्षेत्र को जोड़ता था। यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है। मोरबी के पूर्व शासक सर वाघजी ने औपनिवेशिक प्रभावों से प्रेरित होकर एक तकनीकी रूप से संपन्न और बहुमुखी शहर का निर्माण किया। लोग शहर में एक बड़े सस्पेशन पुल के जरिए पहुंचते थे, जो उस अवधि का एक कलात्मक और तकनीकी चमत्कार है।
रेनोवेशन में आई थी दो करोड़ की लागत
बता दें कि स्थानीय रूप से इसे जुल्टो पूल कहा जाता था और यह मोरबी के सबसे प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस में से एक था। मोरबी एक प्रमुख औद्योगिक शहर था। इसमें हजारों कारखाने सिरेमिक टाइलें और बाथरूम प्रोडक्ट और दीवार घड़ियां बनती थीं। मणि मंदिर के पास मच्छू नदी पर बने सस्पेंशन पुल को छह महीने तक रेनोवेशन के लिए बंद किए जाने के बाद पांच दिन पहले ही फिर से खोल दिया गया था। दो करोड़ रुपए की लागत से पुल का रेनोवेशन किया गया था.
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