संबंधित खबरें
मातम में बदलीं खुशियां, नाचते- नाचते ऐसा क्या हुआ शादी से पहले उठी…
नाइजीरिया में क्यों पीएम मोदी को दी गई 'चाबी'? क्या है इसका महत्व, तस्वीरें हो रही वायरल
Stray Dogs: बिलासपुर में आंवारा कुत्तों का आतंक, लॉ छात्रा पर किया हमला
छत्तीसगढ़ में इंडिगो फ्लाइट को मिली धमकी, इमरजेंसी हुई लैंडिग
ऑटो में बैठी थी महिला तभी पीठ पर किसी ने फेरा हाथ, पीछे मुड़ी तो कांप गई रूह, देखें सबसे डरावने 5 मिनट की झलक
खिचड़ी बनी जानलेवा, मौत से पटना में लोगों का रो रो कर हुआ बुरा हाल
इंडिया न्यूज़ (दिल्ली): देशभर के जिला अदालतों में चार करोड़ से ज्यादा मामले लंबित है वही सुप्रीम कोर्ट में 72 हज़ार से ज्यादा मामले लंबित है यह जानकारी केंद्रीय कानून मंत्रालय ने संसद में दी,केरल से सीपीएम के राज्यसभा सांसद ए ए रहीम ने राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा था,रहीम ने पूछा की देश के अलग अलग आदालतों में कितने मामले लंबित है? इन लंबित मामलों का क्या कारण है? और देश के अलग अलग अदालतों में जजों के कितने पद खाली पड़े है इसकी जानकारी दी जाए?
इसपर कानून मंत्री किरण रिजूजू ने जवाब दिया,कानून मंत्री ने बताया की एक जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में 72,062 मामले लंबित थे वही 15 जुलाई तक देश के उच्च न्यायालयों में 59,45,709 मामले और देश के जिला और अधीनस्थ न्यायालयो में 4,19,79,353 मामले लंबित थेसिर्फ आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में 42 हज़ार मामले पिछले दस साल से लंबित है.
केंद्र ने बताया की जिला और अधीनस्थ अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के 53 हज़ार पद खाली थे 15 जुलाई तक,
कोरोना काल से लेकर 30 अप्रैल 2022 तक जिला अदालतों ने 1,28,76,549 मामले और उच्च न्यायालयों ने 63,76,561 मामलों को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माधयम से सुना है,वही कोरोना काल से लेकर 13 जून 2022 तक सुप्रीम कोर्ट ने 2,61,338 मामलों की सुनवाई की है.
कर्नाटक के बीजेपी एरन्ना कडाडी के सवाल के जवाब में कानून मंत्री ने बताया की साल 2021 में सभी को न्याय दिलाने और कानून सहायता के लिए भारत सरकार ने 39.96 करोड़ खर्च किया वही 98.3 करोड़ रुपये इ-अदालतों पर खर्च किये गई.
तेलगु देसम पार्टी के सांसद कनकमेडला रवींद्र कुमार के सवाल पर कानून मंत्री ने बताया की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का कोई प्लान नहीं है.
वही शिवसेना सांसद अनिल देसाई के सवाल के जवाब में सरकार ने कहा जजों के टिप्पणियों की निगरानी के लिए व्यवस्था बनाने पर कोई विचार नहीं है न्यायपालिका एक स्वतंत्र संस्था और अपनी टिप्पणियों का जवाब देने में सक्षम है.
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.