इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
मध्यप्रदेश सरकार ने कन्या विवाह योजना में कई बदलाव किए हैं। इसके तहत प्रदेश की बेटियों का विवाह आसानी से हो सकेगा। इसके लिए प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार आर्थिक लाभ भी देगी। आइए जानते हैं कि एमपी की कन्या विवाह योजना की क्या खासियत हैं और इसके लिए कैसे आवेदन करें।
मध्यप्रदेश में नि:शक्त और आर्थिकरूप से कमजोर वर्ग के परिवारों को सामाजिक सुरक्षा, समानता और न्याय दिलाने की दिशा में राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश के हर वर्ग और समुदाय के लोगों के लिए जनकल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हो रहा है। गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के जीवन को आसान बनाकर उनकी जिंदगी में खुशियां बिखेरना ही प्रदेश सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के विकास के साथ ही अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं। उनकी मंशा और संकल्प के अनुरूप प्रदेश में लाड़लियों के उज्जवल और सुरक्षित भविष्य के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं का सफल संचालन हो रहा है। देश में लोकप्रिय मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रदेश की लड़कियों को सफलता की उड़ान भरने के लिए हौसला दे रही है तो वहीं मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में आर्थिक सहायता देकर लाखों बेटियों के परिवारजनों को विवाह के कर्तव्य की चिंता से मुक्त कर रही है।
कन्या विवाह योजना में राज्य सरकार पात्र बेटियों के विवाह के आयोजन से लेकर, उन्हें सामग्री देने और नगद राशि देने तक की व्यवस्था करती है। मध्यप्रदेश में साल 2006 से शुरु हुई मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में अब तक प्रदेश की 5 लाख 64 हजार 575 बेटियों का विवाह/निकाह करवाया जा चुका है।
2020 में आये कोविड काल में इस योजना को बंद करना पड़ा लेकिन अब लगभग 2 साल बाद,21 अप्रैल 2022 से यह योजना फिर से शुरु हो रही है जिसके अंतर्गत सामूहिक विवाह का आयोजन किया जायेगा। फिर से शुरू हो रही इस योजना की खास बात यह है कि अब मिलने वाली सहायता राशि को बढ़ा दिया गया है साथ ही बेहतर आयोजन और व्यवस्थाओं के साथ इसका फिर से आगाज हो रहा है।
कोविड काल में बंद हुई मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का पुन: शुभारंभ 21 अप्रैल को सीहोर जिले के नसरूल्लागंज से होने जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम से कन्या विवाह योजना का पुन: शुभारंभ करायेंगे। इस सामूहिक विवाह में 450 से अधिक बेटियों का विवाह होना है। कुछ बदलावों के साथ शुरु हुई इस योजना से लाभार्थियों की खुशियों में इजाफा तो होगा ही बेहतर आयोजन और व्यवस्थाओं से विवाह कार्यक्रम की रोनक और भी बढ़ जाएगी।
पहले इस योजना में प्रति हितग्राही बेटी को 51 हजार रुपये का प्रावधान था जिसे बढ़ाकर अब 55 हजार रुपये कर दिया गया है। जिसमें 38 हजार रुपये की सामग्री, 11 हजार रूपये का चेक और 6 हजार रूपये आयोजन व्यय शामिल है। आयोजन स्थल पर पहले से अधिक बेहतर व्यवस्थाओं के लिए सामूहिक विवाह के लिए समितियाँ गठित की गई हैं। इसके साथ ही दूल्हे, दुल्हन सहित परिजनों के बैठने की समुचित व्यवस्था, वरमाला, अतिथियों के स्वागत सत्कार, बैंडबाजा और आतिशबाजी के इंतजाम भी किए गए हैं।
प्रदेश के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा संचालित इस योजना की शुरुआत राज्य के गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों,जरूरतमंद,बेसहारा और श्रमिक संवर्ग की योजनाओं के अंतर्गत पंजीकृत हितग्राहियों के परिवार की विवाह योग्य बेटियों की शादी के लिए आर्थिक रूप से मदद करने के लिए की गई है।
योजना के फिर शुरु होने के बाद अब इसमें मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में पंजीकृत श्रमिकों की पात्र बेटियों को भी योजना का लाभ मिल सकेगा। साथ ही श्रमिक हेतु विवाह सहायता योजना को अब इस योजना में समाहित किया गया है। अब इन परिवारों की विवाह योग्य बेटियों को भी इस योजना का लाभ मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में आवेदन करने के लिए आवेदक मध्य प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।विवाह के समय लड़की की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए एवं वर की आयु 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।कन्या/कन्या के अभिभावक गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह करते हों/या जरूरतमंद हों। (mp kanya vivah yojana 2022)
ऐसी परित्यक्ता महिला जो निराश्रित हो और स्वयं के पुनर्विवाह के लिये आर्थिक रुप से सक्षम न हो। इसके अलावा जिनका कानूनी रूप से तलाक हो गया हो वे भी इस योजना का लाभ ले सकती हैं। कन्या का नाम समग्र पोर्टल पर रजिस्टर्ड होना चाहिए साथ ही लाभार्थी के अभिभावक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हो।
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना बेटियों को बोझ समझने की सदियों पुरानी मानसिकता को बदलनें में बहुत हद तक सहायक सिद्ध हो रही है। मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना और कन्या विवाह जैसी योजनाओं ने न सिर्फ बेटा और बेटी के बीच के भेद को कम किया है बल्कि अब प्रदेश में 1000 बेटों पर बेटियों की संख्या 950 से अधिक हो गई है। इन योजनाओं कीसफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन के साथ ही देश के अनेक राज्य इसे अपना भी चुके हैं।
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