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इंडिया न्यूज, अमृतसर :
पंजाब की धार्मिक राजधानी अमृतसर पूर्ण विश्व में अपने अद्वितीय खूबसूरत स्वर्ण मंदिर के लिए विख्यात है। हर साल पूरी दुनिया से लाखों की तादाद में देशी और विदेशी पर्यटक इस पवित्र धार्मिक स्थल पर अपना मत्था टेकने आते हैं। धार्मिक स्थल होने के कारण, यहां पूरे साल ही पर्यटकों का तांता लगा रहता है। अमृतसर पूरे विश्व में स्वर्ण मंदिर के कारण अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। यह सिखों के इतिहास व संस्कृति की वर्षों पुरानी यादों को आज भी तरोताजा किए हुए है। अमृतसर पाकिस्तान से आने वाले यात्रियों के लिए भारत का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है।
अमृतसर की ट्रिप बना हरमिंदर साहिब में मत्था टेके और लंगर खाये बिना पूरी नहीं मानी जाती है। अमृतसर में स्थित इस मंदिर को सबसे पहले 16वीं शताब्दी में 5वें सिक्ख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था। 19वीं शताब्दी की शुरूआत में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरुद्वारे की ऊपरी छत को 400 किग्रा सोने के वर्क से ढंक दिया, जिससे इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा। यकीनन आप अमृतसर के इन गुरु-द्वारों से वाकिफ नहीं होंगे! यहां आने वाले लोगों को इस बात के लिए पूर्णत: निर्देशित किया जाता है कि वो गुरूद्वारे परिसर की साफ सफाई और पवित्रता का पूरा ख्याल रखें। गुरुद्वारा परिसर में जाने के कुछ नियम इस प्रकार हैं। गुरूद्वारे में जूते उतार के और पैर धो के प्रवेश करें। गुरूद्वारे में आने वाले लोग सर ढककर आएं। किसी भी तरह का नशा और मांस मछली परिसर में वर्जित है। आने वाले पर्यटक फोटोग्राफी केवल बहार से कर सकते हैं गुरुद्वारा परिसर के अंदर फोटोग्राफी वर्जित है।
यकीन मानिए जैसे ही आप अपनी गाड़ी से उतरकर वाघा बॉर्डर की और जाने वाले रास्ते पर पहुंचेंगे, आप खुद में एक अलग देशभक्ति का जज्बा महसूस करेंगे। यहां हर रोज दोनों देश के बीच रीट्रीट सेरेमनी आयोजित की जाती है, जिसमे लोग जमकर देशभक्ति के गानों पर थिरकते हैं।
खाने के शौकीनों के लिए अमृतसर किसी स्वर्ग से कम नहीं है, यहां आप लजीज शाकाहारी और लजीज नॉन वेज को चख सकते हैं। अमृतसर की ट्रिप के दौरान यहां के छोले कुलचे, छोले भटूरे , लस्सी, फालूदा कुल्फी, चखना ना भूले। पंजाब में घूमने की जगह बात खाने की हो और स्वर्ण मंदिर के लंगर की बात ना हो ये तो मुमकिन ही नहीं है, आपको बताते चलें कि यहाँ लंगर गुरूद्वारे में पूजा के बाद मिलने वाला प्रसाद होता है। ज्ञात हो कि लंगर में दिया जाने वाला खाना शुद्ध शाकाहारी होता है जिसे बड़ी ही साफ सफाई के साथ बनाया और परोसा जाता है।
जलियांवाला बाग स्वतंत्रता संग्राम का जीता जागता उदाहरण है जो तकरीबन 2000 सिख व हिन्दुओं की शहादत का गवाह है। इस बाग की दीवारों पर आज भी गोलियों के निशां बाकी है। यहीं शहीदों की याद में एक स्मारक बनवाया गया है, जहां हरदम एक ज्योति प्रज्वलित रहती है।
अमृतसर खरीददारी के लिए भी जाना जाता है, अमृतसर घूमने आने वाले पर्यटक यहां से पंजाबी सूट, पंजाबी जूती, सिख धर्म से जुडी कई महत्त्वपूर्ण चीजों की खरीदारी कर सकते हैं।
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