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इंडिया न्यूज़ (गांधीनगर): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार, 28 अगस्त को कच्छ के भुज शहर में स्मृति वन का लोकार्पण करेंगे। गौरतलब है कि 26 जनवरी, 2001 को आए विनाशक भूकंप ने कच्छ को तबाह कर दिया था। भूकंप का शिकार बने नागरिकों की याद में इस स्मृति वन का निर्माण किया गया है। इस त्रासदी के बाद एक अभूतपूर्व सफर तय करते हुए कच्छ फिर से पटरी पर लौटा है और आज कच्छ के विकास की प्रशंसा पूरी दुनिया में की जा रही है.
तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस त्रासदी की स्मृति में स्मृति वन बनाने का संकल्प व्यक्त किया था। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए उत्कृष्ट कार्य किया है, नतीजतन अब यह परियोजना साकार हो गई है। स्मृति वन में बनाया गया विशेष संग्रहालय लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगा.
इस संग्रहालय के निर्माण का उद्देश्य भूकंप के उन पलों को फिर से जीवंत करना और उस विभीषिका से ली गई सीख को बताने के साथ ही युवाओं में भूगर्भशास्त्र के प्रति रुचि पैदा करना है। भूगर्भशास्त्र से संबंधित विभिन्न रोचक जानकारियों तथा भूकंप की स्मृतियों को यहां अलग-अलग गैलरियों में प्रदर्शित किया जाएगा। इसके लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी और उपकरणों का उपयोग किया गया है.
यहाँ आने वाले पर्यटक 2001 में आए विनाशक भूकंप की अनुभूति कर सकें इसके लिए एक विशेष थियेटर का निर्माण किया गया है जो दुनिया में सबसे बड़े स्टिम्युलेटर में से एक है। यहां कंपन, ध्वनि और प्रकाश के संयोजन से एक विशेष परिस्थिति का अनुभव कराया जाएगा। संग्रहालय में कुल आठ ब्लॉक हैं, जिन्हें पुनः संरचना, पुनः परिचय, पुनः प्रत्यावर्तन, पुनः निर्माण, पुनः विचार, पुनः आवृत्ति और पुनः स्मरण नाम दिया गया है.
यहां ऐतिहासिक हड़प्पा सभ्यता की बस्तियों, भूकंप से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी, गुजरात की कला और संस्कृति, चक्रवात का विज्ञान, रियल टाइम आपातकालीन स्थिति के संबंध में कंट्रोल रूम द्वारा सलाह व सुझाव तथा भूकंप के बाद भुज की सफलता गाथाओं एवं राज्य की विकास यात्रा को वर्कशॉप एवं प्रेजेंटेशन के जरिए दर्शाया गया है.
आगंतुकों को यहां एक उम्दा अनुभव देने के लिए उद्देश्य से आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। इसमें 50 ऑडियो-विजुअल मॉडल, होलोग्राम, इंटरेक्टिव प्रोजेक्शन और वर्चुअल रियलिटी का उपयोग किया गया है। लोग यहां जीवाश्मों की प्रदर्शनी भी देख सकेंगे। इस स्थल पर स्थानीय कला, संस्कृति और भूकंप के बाद कच्छ की सफलता गाथा के साथ ही विज्ञान का एक अद्भुत समन्वय किया गया है.
आगंतुक पुनः स्मरण ब्लॉक में बनी गैलरी में पहुंचकर भूकंप के शिकार बने नागरिकों को श्रद्धांजलि दे सकेंगे। यहां टच पैनल पर डिजिटल मशाल प्रज्जवलित करने पर वह एलईडी दीवार से होकर सीलिंग के बाहर एक प्रकाश बीम की तरह निकलेगी जिसे पूरे भुज शहर से देखा जा सकेगा.
कच्छ के विशेष रंग को शामिल करने के उद्देश्य से इस संग्रहालय की दीवारों और फ्लोर पर स्थानीय खावड़ा स्टोन का उपयोग किया गया है। इस पत्थर की विशेषता यह है कि यह समय के साथ-साथ लोगों की चहल-पहल से और अधिक मजबूत और खूबसूरत बन जाता है.
यह प्रोजेक्ट भुज के भुजिया डुंगर (पहाड़) पर 470 एकड़ क्षेत्र में निर्मित होगा। पहले चरण में 170 एकड़ क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। इसमें 50 चेकडैम, सन पॉइंट, 8 किलोमीटर लंबाई का पाथवे, 1.2 किलोमीटर की आंतरिक सड़क, 1 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र, 3 हजार आगंतुकों की क्षमता वाला पार्किंग, 300 वर्ष से भी अधिक पुराने किले का नवीनीकरण, 3 लाख पौधों का रोपण, पूरे क्षेत्र में इलेक्रि ाक लाइटिंग और 11,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में भूकंप को समर्पित संग्रहालय का समावेश होता है। श्रद्धांजलि के रूप में यहां चेकडैम की दीवारों पर कुल 12,932 पीड़ित नागरिकों के नाम शिलापट्ट पर उकेरे गए हैं.
जापान में कोबे अर्थक्वेक मेमोरियल म्यूजियम है, जहां भूकंप से बचे लोगों की कहानियां, प्रबंधन और स्थनांतरण से संबंधित गतिविधियों के बारे में बताया जाता है। भूकंप के बाद की परिस्थितियों का वर्णन भी यहां किया गया है। दक्षिण अफ्रीका में तुलबाग अर्थक्वेक म्यूजियम है, जहां स्थानीय लोग भूकंप से संबंधित अपने अनुभवों को वीडियो और प्रदर्शनियों के माध्यम से बताते हैं। इसी तरह अब भुज में भी भूकंप से संबंधित विशेष म्यूजियम लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगा.
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