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Omicron Impact on World दो से तीन दिन में डबल हो रहे ओमिक्रॉन केस

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : 

Omicron Impact on World : कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के चेतावनी देने के बाद अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी चेतावनी जारी की है और इसे गंभीरता से लेने को कहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ओमिक्रॉन डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा तेजी से फैल रहा है। इससे अस्पतालों को तैयार रहने की जरूरत है। अब तक की स्टडी के मुताबिक, ओमिक्रॉन के केस हर दो से तीन दिन में डबल हो रहे हैं, जो कि डेल्टा वेरिएंट (4.6-5.4 दिन) की तुलना में कम समय है।

बता दें 13 दिसंबर को ब्रिटेन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस नए वेरिएंट से दुनिया में पहली मौत की पुष्टि की थी। ओमिक्रॉन का दुनिया के बाकी देशों में फैलना जारी है। ओमिक्रॉन के केस दो दिन में ही दोगुने हो रहे हैं जबकि डेल्टा के केस दोगुने होने में चार दिन लग रहे थे। ओमिक्रॉन को वर्ल्ड हेल्थ आगेर्नाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने डेल्टा की तुलना में अधिक फैलने वाला और वैक्सीन के असर को कम करने वाला वेरिएंट करार दिया है। (Omicron Impact on World)

क्या है ओमिक्रॉन वेरिएंट?

ओमिक्रॉन कोरोना वायरस का नया वेरिएंट है, जो 24 नवंबर को सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में मिला था। डब्ल्यूएचओ ने इसे वेरिएंट आॅफ कंसर्न घोषित किया था। डब्ल्यूएचओ कोरोना के वेरिएंट्स को ग्रीक अल्फाबेट के अक्षरों पर नाम देता रहा है, जैसे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और अब ओमिक्रॉन। ओमिक्रॉन में अब तक 50 से ज्यादा म्यूटेशन जबकि इसके स्पाइक प्रोटीन में 37 म्यूटेशन हो चुके हैं।

स्टडी से पता चला है कि ओमिक्रॉन किसी भी अन्य वेरिएंट यहां तक कि डेल्टा की तुलना में भी ज्यादा तेजी से फैल रहा है। कहते हैं अब तक डेल्टा ही सबसे अधिक तेजी से फैलने वाला वेरिएंट था। इस बात के संकेत दक्षिण अफ्रीका में मिले ओमिक्रॉन के मामलों से भी मिले हैं। साथ ही दुनिया के कुछ अन्य देशों के केस भी ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने का संकेत दे रहे हैं। ओमिक्रॉन के संक्रमण के खतरे को देखते हुए ब्रिटेन के रिसर्चर्स ने इससे संक्रमित हो चुके 121 परिवारों पर रिसर्च की। इसमें उन्होंने पाया कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से परिवार में 3.2 गुना अधिक संक्रमण फैलने का खतरा है। (Omicron Impact on World)

क्या कोविड संक्रमण को रोक सकेगा ओमिक्रॉन?

अगर किसी को पहले से कोविड हो चुका है तो उसे ओमिक्रॉन नहीं होगा। यानी ओमिक्रॉन से री-इन्फेक्शन का खतरा बरकरार है। दक्षिण अफ्रीका के उदाहरण से भी इसे समझा जा सकता है। दक्षिण अफ्रीका में पहले से ही अन्य वेरिएंट्स से लोग बड़ी संख्या में कोविड से संक्रमित हो चुके थे, लेकिन इसके बावजूद वहां कई लोगों में ओमिक्रॉन तेजी से फैला है।

ब्रिटेन रिसर्चर्स के अनुसार कई ऐसे लोगों को ओमिक्रॉन हुआ है, जो पहले से ही कोविड के किसी अन्य वेरिएंट से संक्रमित हो चुके हैं। इस रिसर्च के मुताबिक, किसी अन्य वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन से री-इन्फेक्शन का खतरा पांच गुना अधिक है। (Omicron Impact on World)

वैक्सीन से ओमिक्रॉन के खिलाफ कितनी सुरक्षा मिलेगी?

ओमिक्रॉन पर वैक्सीन के असर को लेकर ज्यादातर स्टडी के अभी शुरूआती नतीजे ही आए हैं। मौजूदा कोरोना वैक्सीन अन्य वेरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन को रोक पाने में कम कारगर रही है। रिसर्चर्स के मुताबिक मौजूदा वैक्सीन के दो डोज भी ओमिक्रॉन के खिलाफ काफी कम सुरक्षा प्रदान करते हैं। हालांकि बूस्टर डोज लगवाने वालों में ज्यादा एटीबॉडीज पैदा हुईं, जिसने ओमिक्रॉन के खतरे को वैक्सीन की तुलना में ज्यादा कम किया। (Omicron Impact on World)

क्या वैक्सीन से घटती है कोविड की गंभीरता?

ओमिक्रॉन भले ही वैक्सीन के असर को कम कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीनेटेड लोगों को इस वेरिएंट की वजह से गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा कम रहेगा। दरअसल, वैक्सीन न केवल कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज पैदा करती हैं, बल्कि टी सेल के ग्रोथ को भी बढ़ाती हैं, जिससे बीमारी के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलती है। टी सेल यह पहचानना सीखती हैं कि अन्य सेल कब कोरोना वायरस से संक्रमित होती हैं और ऐसा होने पर वे वायरस को नष्ट कर देती हैं, जिससे संक्रमण धीमा हो जाता है। (Omicron Impact on World)

ओमिक्रॉन म्यूटेशन की वजह से भले ही वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडीज से बच निकले, लेकिन उसके टी सेल कोशिकाओं से बचने की आशंका काफी कम है। ऐसे में जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं या जो बूस्टर डोज भी ले रहे हैं, उनके ओमिक्रॉन से गंभीर रूप से बीमार पड़ने का खतरा कम होगा।

दुनियाभर में क्या असर पड़ेगा?

रिसर्च के मुताबिक, साल के अंत में या 2022 की शुरूआत में ओमिक्रॉन के दुनिया के कई देशों में प्रभावी कोरोना वेरिएंट बन जाने की आशंका है। यहां तक कि अगर ओमिक्रॉन से माइल्ड या हल्की बीमारी ही होती है तब भी बड़ी संख्या में हॉस्पिटलाइजेशन का खतरा हो सकता है, लेकिन अगर ओमिक्रॉन से पिछले वेरिएंट की तुलना में अधिक मामले फैले, तो गंभीर रूप से बीमार मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।

Omicron Impact on World

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Sameer Saini

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