India News (इंडिया न्यूज) (Shakti) PATNA : बिहार में सरकार किसी की भी हो शिक्षा विभाग लगातार सुर्खियों में बना रहता है। शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक के बाद अब जिलों के शिक्षा पदाधिकारी भी एक्शन में आ गए हैं। अब उनके स्तर से भी शिक्षकों को वैसे आदेश जारी किए जा रहे हैं जिसको जानकर हर कोई हैरान है। शिक्षा विभाग के नए आदेश के मुताबिक अब शिक्षक बोरा के साथ-साथ स्कूल के कबाड़ को भी बेचने का काम करेंगे। बांका के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इसको लेकर आदेश जारी किया है। शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद लोग पूछ रहे हैं कि ये शिक्षक हैं या कबाड़ी वाले?
इधर बिहार में इस फरमान के बाद राजनीतिक बयान बाजी तेज हो गई है। इस फरमान के बाद बिहार में महागठबंधन vs बीजेपी साफ तौर पर दिख रहा है। एक तरफ बीजेपी सरकार को इस फरमान के बाद घर रही है तो वहीं महागठबंधन के नेता काउंटर करने में लगे हैं।
बिहार के शिक्षक है या कबाड़ी वाले?
शिक्षा विभाग के कबाड़ बेचने के फरमान पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार की सरकार बीमार हो चुकी है। बिहार के मुख्यमंत्री बीमार हैं। बिहार में जो सरकारी पार्टी है वह बीमार हो चुकी है। नीतीश जी चाहते हैं कि बिहार का पूरा सिस्टम बीमार हो जाए। शिक्षकों से अगर कबार बेचवाना है,बोरा बेचवाना है, दारू का बोतल खोजवाना है तो शिक्षकों की पगार को दोगुनी करनी होगी।
बिहार सरकार शिक्षा विभाग के लिए बड़ा बजट खर्च करती है-अभिषेक झा
इसपर जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता अभिषेक झा के मुताबिक कई बार विभिन्न विभागों के कर्मियों को अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है। शिक्षा विभाग नीतियों के हिसाब से अतिरिक्त प्रभार दे रही है। ताकि विभागीय काम बिना अवरोध के चल सके। इसको अन्यथा मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है। कुछ लोग इस मुद्दे की राजनीतिकरण में लगे हैं। शिक्षा विभाग में बिहार सरकार बड़ा बजट खर्च करती है।
राजद ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर कसा तंज
राजद ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर बीजेपी पर हमला किया। आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद बोले कि बीजेपी गुणवत्ता शिक्षा के प्रति कभी चिंता नहीं करती। बीजेपी सत्ता में रहते हुए बिहार के शिक्षा स्तर को कैसे नीचे करने में अपनी भूमिका निभाई है अब यह बताने की जरूरत नहीं।
बिहार शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
बता दें कि पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने बिहार के सरकारी स्कूलों के हेडमास्टरों को बड़ा टास्क दिया था। शिक्षा विभाग के निदेशक ने सभी जिलों को पत्र लिखकर मिड डे मील का बोरा बेचने का टास्क दिया था। शिक्षा विभाग की तरफ से आदेश जारी कर सभी हेडमास्टर को कहा गया था कि मिड डे मील के चावल का खाली बोरा पहले 10 रुपए में बेचा जाता था लेकिन बोरे की कीमत बढ़ गई है ऐसे में अब 20 रूपये प्रति बोरा के हिसाब से बोरा बेचना होगा। शिक्षा विभाग के इस आदेश को लेकर सरकार की खूब फजीहत भी हुई।
यह भी पढ़ें : Cauvery Water Row: कावेरी जल विवाद पर कर्नाटक सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, बीजेपी ने लगाया लापरवाही का आरोप