India News(इंडिया न्यूज), Pitru Paksha 2023: भारत वर्ष में कई सालों से श्राद्ध कर्म की क्रिया बरसों से की जा रही है। श्राद्ध के दौरान कुल देवताओं, पितरों और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट की जाती है। हिंदू धर्म में साल में पंद्रह दिन की विशेष अवधि में पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। बता दें कि इसकी शुरुआत आज से हो चुकी है।
भारत में श्राद्ध पक्ष को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और उनके नाम से किए जाने वाले तर्पण को स्वीकार करते हैं। श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
आपको बता दें कि पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से ही शुरु होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को ही पितृपक्ष कहा जाता है। कहा जाता है कि भाद्रपद पूर्णिमा को उनका श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन वर्ष की किसी भी पूर्णिमा को हुआ हो। शास्त्रों में भाद्रपद पूर्णिमा के दिन देह त्यागने वालों का तर्पण आश्विन अमावस्या को करने की सलाह दी जाती है। वर्ष के किसी भी पक्ष में जिस तिथि को घर के पूर्वज का देहांत हुआ हो उनका श्राद्ध कर्म पितृपक्ष की उसी तिथि को करना चाहिए।
बता दें कि इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर यानी आज से शुरू हो चुके हैं। इसकी प्रतिपदा तिथि आज दोपहर 3:26 मिनट से लेकर 30 सितंबर यानी कल दोपहर 12:21 मिनट तक रहेगी।
पितृ पक्ष का कुतुप मुहूर्त 29 सितंबर यानी आज दोपहर 11:47 मिनट से लेकर दोपहर 12:35 मिनट तक रहेगा। साथ ही रौहिण मुहूर्त आज दोपहर 12:35 मिनट से दोपहर 1:23 मिनट तक रहेगा। अपराह्न काल आज दोपहर 1:23 मिनट से लेकर दोपहर 3:46 मिनट तक रहेगा।
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