नेचुरोपैथ कौशल
Process Of Ovulation And Fertilization ज्यादातर महिलाओं को अपनी प्रेगनेंसी और ओवुलेशन के बारे में नहीं पता होता। जब उसके पीरियड्स मिस हो जाते हैं, तो प्रेगनेंसी का अंदाजा लगाकर मेडिकल जाँच के द्वारा इसकी जानकारी की जाती है।
डॉक्टर, किसी भी महिला की प्रेगनेंसी के दिनों और ओवुलेशन का पता उसके अंतिम पीरियड्स के पहले दिन से गिन कर लगाते हैं।
इसके बाद वह दो हफ्ते आगे के दिन गिनते हैं और इसी के आधार पर पता लगाते हैं कि महिला कितने दिनों की गर्भवती है।
हर एक महीने महिला के शरीर में, ओवरी के भीतर तरल से भरी एक थैली जिसे फॉलिकल कहा जाता है, इन्हीं में ऐग (अंडाणु) बढ़ने शुरू होते हैं।
इनके बढ़ने के बाद जब यह थैली फटती है तो ओवरी का मुंह खुलता है और एक अंडा, उससे बाहर निकल कर फेलोपियन ट्यूब में आ जाता है।
यह प्रक्रिया महिला के पीरियड्स आने के लगभग 14 दिनों पहले होती है।
इसके बाद महिला के शरीर में पाये जाने वाले खास हॉर्मोन, जैसे एस्ट्रोजन का बढ़ना शुरू होता है।
जब फॉलिकल से अंडा बाहर निकल जाता है तो यह फोलिकल कॉर्प्स लुटुम (पीत-पिण्ड) में बदल जाता है।
यही हार्मोन, यूट्रस (गर्भाशय) की दीवारों को मजबूत कर उसे गर्भावस्था के लिए तैयार करता है।
ओवरी से निकलने के बाद अंडाणु फेलोपियन ट्यूब में चला जाता है।
यहाँ यह एग लगभग 24 घंटों तक जीवित रहता है।
यहाँ यह स्पर्म के मिलने और फर्टिलाइजेशन (निषेचित) होने का इंतजार करता है।
यह महिला को पीरियड्स आने के पहले दिन से मिलाकर दूसरे हफ्ते के बाद होता है।
यदि एग को स्पर्म नहीं मिलता, तो यह गर्भाशय (यूट्रस) में जाकर खत्म हो जाता है।
इसके बाद जो हार्मोन बढ़ा था वह सामान्य हो जाता है और शरीर गर्भाशय की मोटी दीवारों को पीरियड्स के रास्ते बाहर निकालना शुरू कर देती है और आपको पीरियड्स शुरू हो जाते हैं।
यदि फेलोपियन में पहुंचे अंडे को स्पर्म मिल जाता है, तो वह फर्टिलाइज हो जाता।
जैसे ही वह एग फर्टिलाइज होता है, आपके बेबी के जीन और उसका सेक्स भी निश्चित हो जाता है।
यदि स्पर्म Y क्रोमोसोम लेकर आता है तो बेबी लड़का होता है और यदि X क्रोमोसोम लेकर आता है तो होने वाला बच्चा लड़की होती है।
पहले एग तीन से चार दिनों तक फेलोपियन ट्यूब में ही रहता है।
लेकिन फर्टिलाइज होने के 24 घंटों के बाद यह छोटी-छोटी कोशिकाओं में बदलना शुरू हो जाता है।
जैसे-जैसे यह यूट्रस की तरफ जाता रहता है, यह छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटता रहता है।
इसके बाद बचा हुआ भाग, यूट्रस (गर्भाशय) की दीवार से जाकर चिपक जाता है।
इसी को इम्प्लांटेशन (आरोपण) कहा जाता है और यहीं से महिला की प्रेगनेंसी शुरुआत होती है।
(Process Of Ovulation And Fertilization)
कुछ महिलाओं को इम्प्लांटेशन के एक या दो दिनों के भीतर स्पॉटिंग भी हो सकती है।
इम्प्लांटेशन के बाद, गर्भाशय की दीवारें मोटी और मजबूत और सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) सील (बंद) हो जाती है।
इसका मुंह फिर तभी खुलता है जब बच्चे के जन्म का समय होता है।
एक बार प्रेगनेंसी शुरू होने के बाद महिला के शरीर में एक विशेष हार्मोन एचएसजी (HCG) का स्तर बढ़ जाता है।
रक्त में इसी की जाँच के द्वारा प्रेगनेंसी का पता लगाया जाता है।
(Process Of Ovulation And Fertilization)
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