इंडिया न्यूज, Punjab News। Punjab Government : पंजाब में प्लाटों की रजिस्ट्रेशन और जायदाद से जुड़ी धोखाधड़ी से लोगों को बचाने के लिए सरकार ने गैर-कानूनी, अनाधिकृत कालोनियों में (illegitimate colonies) प्लाटों की रजिस्ट्रेशन के बारे सब-रजिस्ट्रारों को स्पष्ट हिदायतें जारी की हैं।

आवास निर्माण और शहरी विकास और स्थानीय निकाय विभागों को कहा गया है कि वह क्षेत्र के विवरणों, खसरा नंबरों और प्रवानित ले-आउट योजना के साथ लाइसेंस धारक एवं अधिकारित कालोनियों और स्कीमों से सूचियां प्रकाशित करें जिससे ऐसा क्षेत्र स्पष्ट तौर पर परिभाषित किया जा सके जहां सेल डीड या अधिकारों के तबादले से संबंधित दस्तावेजों की रजिस्ट्रेशन के लिए एनओसी की जरूरत नहीं है।

जांच के बाद रजिस्टर किया जाएगा सेल डीड को

यह सूचियां सभी सब-रजिस्ट्रारों के पास उपलब्ध होंगी और वह राजस्व विभाग की तरफ से जारी हिदायतों अनुसार कालोनियों की स्थिति की जांच करने के बाद सेल डीड को रजिस्टर करेंगे।

5 सालों में 15 हजार से अधिक कालोनियों का निर्माण हुआ

यह फैसला मुख्यमंत्री की तरफ से आनलाइन पोर्टल की शुरूआत करने के कुछ दिन बाद आया है जिसमें नागरिक प्लाटों के कब्जे से संबंधित शिकायतें दर्ज करवा सकते हैं। यह आनलाइन पोर्टल जायदाद के कब्जे संबंधी प्रक्रिया को तेज करने के साथ उचित ढंग से जायदाद के कब्जे जुड़ी सेवाएं प्रदान करेगा।

इससे पहले सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट हिदायतें नहीं दीं गई थीं, जिस कारण शहरों के बाहर यह नाजायज कालोनियां अस्तित्व में आईं। पिछले 5 सालों में 15 हजार से अधिक कालोनियों का निर्माण हुआ है।

लोगों को ऐसी कालोनियों से हो रही थी परेशानी

पंजाब के नागरिकों को इन गैर-कानूनी एवं अनाधिकृत कालोनियों में जायदादों का कब्जा लेने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था, जहां या तो संबंधित डिवेलपरों या कालोनाइजरों, अथारिटी की तरफ से अलाटमेंट पत्र जारी किए जा चुके थे या डीड रजिस्टर्ड हो गई थीं।

वह किसी न किसी कारण से जायदाद का कब्जा नहीं ले पा रहे थे। पंजाब के राजस्व मंत्री ब्रहम शंकर जिम्पा ने कहा की यह गैर-कानूनी कालोनियां न सिर्फ राज्य के बेढंगे शहरीकरण का कारण बन रही हैं, बल्कि आम लोगों को बहुत सी मुश्किलों का कारण भी बन रही हैं।

कालोनी के रास्तों तक को देते थे बेच

मंत्री ने कहा कि प्लाटों की खरीद करने के लिए लोगों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी और उनको इन गैर-कानूनी कालोनियों में कब्जा तक नहीं मिलता। क्योंकि कालोनाइजर इन कालोनियों में रास्ते भी बेच देते हैं।

उन्होंने कहा की इन कालोनियों में जल सप्लाई, सीवरेज, बिजली जैसी बुनियादी सहूलतों की भी कमी है। मंत्री ने कहा की अब सरकार ने इस समस्या से सख्ती से निपटने का फैसला किया है और इस सम्बन्धी यह दो बड़े फैसले लिए गए हैं।

पोर्टल पर सेल बनाया गया

अतिरिक्त मुख्य सचिव-कम-वित्त कमिश्नर राजस्व अनुराग अग्रवाल (Anurag Agarwal) ने बताया की पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों की जांच करने और जरूरत अनुसार आवेदनों पर कार्रवाई के लिए एक सेल बनाया गया है। उन्होंने कहा की हर आवेदन की स्थिति पोर्टल पर अपडेट की जाएगी और संबंधी व्यक्ति स्थिति जानने के लिए पोर्टल पर अपने आवेदन को ट्रेक भी कर सकता है।

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