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India News (इंडिया न्यूज़), Pakistan: पाकिस्तान में हालात नाजुक होते जा रहे हैं। मुल्क एक बड़े संकट के मुहाने पर खड़ा दिख रहा है। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें लगभग हाउस अरेस्ट वाली स्थिति में रखा गया है। इसका कारण ये है कि उन्होंने इमरान खान को सजा देने के इरादे से ऑफिशियल सीक्रेट एक्टट और आर्मी एक्ट में जो संशोधन किए गए। उनपर दस्तखत करने से इंकार कर दिया। दूसरी तरफ पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के खिलाफ चार कमांडर हो गए हैं।
वजह ये बताई जा रही है कि इन कमांडरों को लगता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थन में जनता सड़कों पर भले नहीं है, लेकिन सेना के खिलाफ लोगों में असंतोष बढता जा रहा है। कुल मिलाकर इमरान खान के कारण राष्ट्रपति का पाकिस्तान की सरकार से टकराव चल रहा है और सेना के नौ में से चार कमांडर आर्मी चीफ के खिलाफ मान जा रहे हैं। राष्ट्रपति अल्वी ने एक ट्वीट किया था।
जिसमें उन्होंने कहा था कि “मैंने ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट और आर्मी एक्ट के संशोधन विधेयक पर दस्तखत नहीं किए। क्योंकि मैं इन कानूनों से असहमत था। मैंने अपने स्टाफ से कहा कि आप इसे लौटा दें और कई बार पूछा भी कि क्या लौटा दिया? मुझे बताया गया कि विधेयक लौटा दिया गया है। लेकिन मुझे पता चला है कि मेरे स्टाफ ने मेरा आदेश नहीं माना।” अब कहा ये जा रहा है कि एक ब्रिगेडियर रैंक का अफसर अल्वी के सरकारी कामकाज को देख रहा है।
राष्ट्रपति भवन में सेना की तैनाती भी बढा दी गई है। इससे जाहिर होता है कि राष्ट्रपति का दफ्तर सेना ने अपने तहत ले लिया है। पाकिस्ताान के कानून मंत्री असलम ने बताया कि दोनों विधेयक राष्ट्रपति के यहां से नहीं आए हैं, इसलिए अब दोनों कानून बन गए हैं। सरकार पाकिस्तान के संविधान में अनुच्छेद 75 का हवाला दे रही है, जिसमें यह प्रावधान है कि अगर दस दिन तक राष्ट्रपति ने किसी विधेयक पर अपनी मुहर नहीं लगाई या पुनर्विचार के लिए सिफारिशों के साथ नहीं भेजा तो वह खुद-ब-खुद कानून की हैसियत हासिल कर लेगा।
पाकिस्तान की मौजूदा सरकार केयरटेकर है और यह आर्मी चीफ आसिफ मुनीर की पसंद से बनी है। अब स्थिति ऐसी है कि आसिम मुनीर की चालें उन्हें खुद बेनकाब कर रही हैं। उन्हें ये लग रहा था कि इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जब उनपर दबाव बनेगा और राजनीति डूबती दिखेगी तो इमरान सेना के साथ समझौता कर लेंगे।
मगर इमरान ने ऐसा किया नहीं। देश में इमरान के समर्थकों की तादाद बड़ी है। भले वे पिछली बार की कार्रवाइयों से डर कर इस बार सड़कों पर नहीं उतरे हैं, लेकिन सेना को इस बात का अंदाजा है कि उसके खिलाफ जनता का असंतोष बढ रहा है। यही वजह है कि सेना के नौ कमांडरों में से चार ने मुनीर का साथ देने से इंकार कर दिया है। अभी जो पांच कमांडर साथ दे रहे हैं उनमें आईएसआई चीफ नदीम अंजुम भी हैं।
नदीम अंजुम पूर्व आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के बहुत करीबी हैं। बाजवा से टकराव के चलते ही इमरान को अपनी सरकार गंवानी पड़ी थी। आसिम मुनीर को आर्मी चीफ भी बाजवा ने ही बनवाया था। इसलिए अभीतक नदीम अंजुम, आसिम मुनीर के साथ दिख रहे हैं। अगर उनकी महत्वाकांक्षा जागी और उन्होंने मुनीर से अलग हुए कमांडरों की कमान थाम ली तो आसिम मुनीर का अपनी कुर्सी पर टिकना मुश्किल हो जाएगा।
आर्मी चीफ पर अब तक सरकार चला रहे दलों का भरोसा भी डगमगा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएल (एन) और आसिफ अली जरदारी का दल पीपीसी चुनाव सही समय पर करवाने पर जोर दे रहे हैं। मगर आसिम मुनीर चाहते हैं कि केयरटेकर सरकार को थोड़ी और मियाद दी जाए। कार्यवाहक सरकार के प्रधानमंत्री अनवर काकर हैं और वे सेना के कट्टर समर्थक हैं। मुनीर ने भरोसा दिलाया था कि जिस व्यक्ति को भी सरकार की कमान सौंपी जाएगी, वह तटस्थ होगा।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं अब मुनीर चाहते हैं कि चुनाव टाले जाएं और ऐसा ना तो पीएमएल नवाज चाहती है ।और ना ही पीपीपी। इमरान की पार्टी तो चुनाव तुरंत चाहती है। आसिम मुनीर मौजूदा केयरटेकर सरकार और सेना के बूते स्थितियों को अपने हक में रखना चाहते हैं। मगर यह काम उतना आसान दिख नहीं रहा है। लब्बोलुबाब ये है कि पाकिस्तानी सेना के प्रमुख आसिफ मुनीर कई मोर्चों पर एक साथ फंसते नजर आ रहे हैं।
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