दुनियाभर में हर साल मलेरिया से लाखों लोगों की मौत होती है. मलेरिया एक ऐसी घातक बीमारी है, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं निकला है। लेकिन अब अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने इस घातक बीमारी से बचाव के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार की है. लोगों मलेरिया से बचने के लिए न जाने कितने तरिके के उपाय करते है, यह दावा किया जा रहा है कि एंटीबॉडी बनने से शरीर में मलेरिया के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जो बीमारी से बचाव के साथ-साथ मलेरिया के गंभीर लक्षणों से भी रक्षा करती है. अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने एक दवा तैयार की है. .इसकी एक खुराक ही छह महीने तक शरीर में मलेरिया के खिलाफ एंटीबॉडी बनाकर रख सकती है, जो इस बीमारी से बचाव में कारगर सबित हो सकेगी.
बता दें कि बामको यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेड के छात्र डॉ. कसूम ने कहा की यह दवा लाखों लोगों को मलेरिया से बचाएगी. इस दवा का ट्रायल अब तक 330 लोगों पर किया जा चुका है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में ट्रायल के दौरान यह दवा कई लोगों की दी गई थी. कुछ लोगों को इस दवा की खुराक अलग मात्रा में दी गई थी, जबकि कुछ लोगों को सामान्य दवा दी गई थी, 24 सप्ताह बाद इनका मलेरिया टेस्ट किया गया, जिसमें पता चला कि जिन लोगों को सामान्य दवा दी गई थी उनमें से 86 लोगों को मलेरिया हुआ और कम डोज लेने वाले 39 लोगों को ये बीमारी नहीं हुई थी।
एंटीबॉडी के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर में एंटीबॉडी अलग-अलग तरीके से काम करती है. मलेरिया मच्छर से जो वायरस इंसान के शरीर तक पहुंचता है उसको यह रोकती हैं, जो संक्रमण को लिवर तक पहुंचने से भी रोकती है, जिससे इस बीमारी के कोई गंभीर लक्षण नहीं दिखाई देते. इस दवा से बनी एंटीबॉडी कई महीनों तक रह सकती है। मरीजों पर इसका उपयोग उसी प्रकार से करने पर विचार किया जा रहा है जैसे मलेरिया के लिए अन्य उपाय किए जाते हैं।
देश में मलेरिया के मामलों में लगातर गिरावट देखने को मिली है. भारत में 2015 के बाद से मलेरिया के मामलों में 80 फीसदी तक की कमी दर्ज हुई है. मौतों के अकड़ों पर नजर डाले तो संख्या में 80 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है. वही कई शहरों में मलेरिया के मामले पहले से काफी कम हो गए हैं।
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