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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
आज के समय पर हर माता-पिता को ये शिकायत रहती है कि बच्चा दिनभर मोबाइल चलाता है। लेकिन आप सोचेंगे कि बच्चे के हाथ में (mobile) मोबाइल थमाया किसने था तो समस्या अपने आप निपट जाएगी। क्योंकि बच्चा कोई खुद मोबाइल नहीं लेकर आता है। माता-पिता ही बच्चें को मोबाइल थमा देते हैं। और बाद में ये परेशानी का कारण बन जाता है। तो आइए जानते हैं इस गलती को कैसे सुधारा जाए।
(child using phone) बता दें लगभग हर (parents) माता-पिता बच्चों (kids) की मोबाइल की लत (addiction) से परेशान हैं। मोबाइल (phone) से बच्चों की सिर्फ़ आंखें ही खराब नहीं हो रहीं। बल्कि वे मोटापे के शिकार भी हो रहे हैं, साथ ही जिद्दी, गुस्सैल, चिड़चिड़े बन रहे हैं और उनकी रचनात्मकता भी कम हो रही है। इस लत से निजात जरूरी है।
कई अभिभावकों का कहना होता है कि वे बच्चे से बहुत प्यार करते हैं इसलिए उसे ना नहीं कह सकते, बच्चे को रोते हुए नहीं देख सकते। इसलिए बच्चे जब भी मोबाइल मांगते है, वो दे देते हैं। यदि आप सही मायने में अपने बच्चे से प्यार करते हैं तो बच्चे पर मोबाइल से होने वाले नुकसान को देखते हुए कम से कम समय के लिए मोबाइल देंगे।
हम बच्चे को तो मोबाइल के लिए मना करते हैं, लेकिन खुद दिनभर मोबाइल चलाते रहते हैं। हमें मोबाइल पर देखकर बच्चे को लगता है कि मोबाइल मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन है। देखिए, बच्चा आपकी बातों को नहीं, आपको फॉलो करता है। बच्चा आपके सिखाने से कहीं ज्यादा आपको देखकर सीखता है। इसलिए जब बच्चा आपके पास हो तब जहां तक संभव हो मोबाइल का इस्तेमाल कम कीजिए। जब बच्चा सो रहा हो, स्कूल गया हो या खेल रहा हो तब आप मोबाइल का उपयोग करें।
जब बच्चा छोटा होता है और खाना खाने में आनाकानी करता है तब बहुत-सी माएं बच्चा जल्दी से खाना खा ले। इसलिए खुद ही बच्चे को मोबाइल दिखाकर खाना खिलाती हैं। उस समय तो उनको लगता है इस तरह बच्चे को खाना खिलाने का काम जल्दी हो गया। लेकिन वे खुद भूल जाती हैं कि अपना थोड़ा-सा समय बचाने के चक्कर में वे बच्चे का और खुद का कितना नुकसान कर रही हैं। छोटे बच्चों की आंखें मोबाइल की रोशनी से खराब होती हैं। इसी तरह धीरे-धीरे बच्चे को मोबाइल की आदत हो जाती है।
बच्चों को माता-पिता के प्यार और देखभाल की जरूरत होती है। लेकिन आजकल माता-पिता के पास वक़्त की कमी रहती है। समय की कमी को वे मोबाइल पकड़ाकर पूरी करना चाहते हैं। लेकिन याद रखिए कि मोबाइल या कोई भी उपकरण आपकी जगह नहीं ले सकता। यदि आप बच्चे के साथ अच्छा समय बिताएंगे तो आपका बच्चा धीरे-धीरे मोबाइल का इस्तेमाल कम कर देगा।
रुचि अनुसार बच्चे का पेंटिंग, नृत्य, संगीत आदि की क्लास में दाखिला करवा सकते हैं। यहां वो कुछ नया तो सीखेगा ही, साथ ही उसके नए दोस्त भी बनेंगे। इससे उसका व्यावहारिक ज्ञान भी बढ़ेगा। लोगों के साथ उठना-बैठना, कैसे पेश आना है वो बखूबी सीख जाएगा।
खाली समय में बच्चे की क्षमतानुसार घरेलू कार्यों में उसका सहयोग लें। इससे उसे मोबाइल की याद नहीं आएगी, वो आत्मनिर्भर बनेगा और कुछ व्यावहारिक बातें भी सीखेगा।
कुछ अभिभावक बच्चा होमवर्क जल्दी पूरा कर ले या खाना जल्दी खा ले इसलिए उनको मोबाइल का लालच देते हैं। लेकिन इस तरह से बच्चों को मोबाइल की आदत पड़ जाती है। मोबाइल का लालच नहीं देना चाहिए। बल्कि उन्हें समझाएं कि होमवर्क करना, खाना खाना उनके लिए ही बेहतर है। खुद भी बच्चे के सामने बैठकर खाना खाएं और उस समय फोन ना चलाएं। उसके सामने किताब पढ़ें। इससे बच्चे को भी पता चलेगा कि ये सब खुद करना जरूरी है और ये सब करने के दौरान फोन की बात ही नहीं आएगी।
बच्चे ने थोड़ी-सी जिद्द की नहीं, थोड़ा-सा रोया नहीं कि कई अभिभावक झट से उसे मोबाइल पकड़ा देते हैं। बच्चे के जिद करने पर उसे मोबाइल बिल्कुल मत दीजिए। क्योंकि इससे बच्चे को लगता है कि थोड़ी-सी जिद्द करने से या रोने से उसकी मांग पूरी की जाती है तो यही उसका अंदाज बन जाएगा। इसलिए मना करने के बाद अपनी बात पर कायम रहें।
बच्चे को मोबाइल चलाते हुए देर हो गई हो तो ऐसे में एकदम से बच्चे से मोबाइल ना छीनें। ऐसा करने से बच्चे के मन में गुस्सा भर जाएगा। कल्पना कीजिए कि मोबाइल पर आप गेम खेल रहे हों और अचानक कोई मोबाइल छीन ले तो आपको कैसा लगेगा। बच्चे से कहिए कि वो जो भी कार्टून देख रहा है वो देखकर मोबाइल दे दे। ऐसा करने से बच्चा खुद ही आपको फोन दे देगा।
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