37 वर्षों में पहली बार किसी पार्टी की लगातार वापसी
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Uttar Pradesh Assembly Election Results 2022: 2017 में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का पद मिलना उत्तर प्रदेश के लिए बहुत बड़ा बदलाव था। वहीं 2022 में भी यूपी में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की जोड़ी हिट होती दिखी। तो आइए जानते हैं यूपी के योगी आदित्यनाथ के बारे में जिनकी दूसरी बार 2022 में मुख्यमंत्री के पद पर फिर से शपथ लेने की पूरी संभावना है। ऐसा 1985 के बाद 37 वर्षों में पहली बार हुआ है कि जब किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार कार्यकाल के लिए वापसी की है।
योगी आदित्यनाथ (बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट) का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में आनन्द सिंह बिष्ट और सावित्री देवी के घर में हुआ था। इनके पिता एक फॉरेस्ट रेंजर थे और माता घरेलु महिला थीं। बताया जाता है कि योगी आदित्यनाथ अपने माता-पिता के सात संतानों में ये पांचवीं नंबर की संतान हैं। इनकी तीन बड़ी बहनें व एक बड़े भाई और इनसे दो छोटे भाई हैं।
एचएनबी से गणित में की है बीएससी (Uttar Pradesh Assembly Election Results 2022)
शिक्षा: कहते हैं कि पांच साल की उम्र में 1977 में उत्तराखंड के जिला टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल से पढ़ाई शुरू की व 1987 में उसी स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की। सन् 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से अजय सिंह बिष्ट ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उर्त्तीण की। 1990 में ग्रेजुएशन करते ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। अजय सिंह बिष्ट ने 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय (एचएनबी) से गणित में बीएससी की परीक्षा पास की।
योगी आदित्यनाथ नाम कैसे पड़ा?
- बताया जाता है कि उत्तरखंड राज्य में पौड़ गढ़वाल जिले के एक नगर कोटद्वार में रहने के दौरान इनके कमरे से सामान चोरी हो गया था। बताते हैं कि उस समय अजय सिंह बिष्ट केसनत प्रमाण पत्र भी चोरी हो गए थे। इस कारण से गोरखपुर से विज्ञान स्नातकोत्तर करने का इनका प्रयास असफल रह गया। इसके बाद इन्होंने ऋषिकेश में पुन: विज्ञान स्नातकोत्तर में प्रवेश तो लिया लेकिन राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव और प्रवेश को लेकर परेशानी से उनका ध्यान अन्य ओर बंट गया। 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए।
- इस दौरान सन् 15 फरवरी 1994 को मंहत अवैद्यनाथ ने योगी को नाथ संप्रदाय की गुरु दीक्षा दी और उन्हें अपना शिष्य बना लिया। इसके बाद अजय सिंह बिष्ट का नाम बदलकर योगी आदित्यनाथ हो गया। 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ मंदिर का महंत बनाया गया और नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बना दिया गया। मात्र 22 वर्ष की उम्र में योगी ने सांसारिक जीवन को त्यागकर संन्यास आश्रम में प्रवेश कर लिया था।
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कैसे शुरू हुआ राजनीति सफर? (Uttar Pradesh Assembly Election Results 2022)
- वैसे तो बताया जाता है कि योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक सफर बचपन में ही शुरू हो गया था। कॉलेज में इनकी गिनती अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के उभरते हुए नेताओं में होने लगी थी इसलिए इन्होंने छात्र संघ चुनाव में लड़ने की योजना बनाई लेकिन अभाविप ने इनको टिकट नहीं दी।
- इसके चलते योगी ने निर्दलीय सदस्य के रूप में नामांकन भरा जिसमें सन् 1992 में यह चुनाव हार गए। कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ के भारतीय जनता पार्टी के साथ रिश्ता एक दशक से पुराना है। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त, महन्त अवैद्यनाथ भी भाजपा से 1991 तथा 1996 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
- योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। वे बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में ये गोरखपुर से पुन: सांसद चुने गए। अप्रैल 2002 में इन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में ये दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे।
- 2014 में पांचवीं बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया।
क्या 2024 के नायक होंगे योगी?
- योगी आदित्यनाथ ऐसे प्रदेश में भाजपा का नेतृत्व कर रहे हैं जो 2024 के मिशन में भी पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाएगा। 2014 में 73 और 2019 में 62 लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में यूपी से गई। इस ट्रैक रिकॉर्ड को बनाए रखने का दारोमदार योगी पर है। इस जीत से एक बात पक्की हो गई कि यूपी में योगी का विकल्प कोई नहीं है।
- विधानसभा चुनाव से पहले कुछ महीनों तक चली खींचतान को अब बहुत पुराना इतिहास ही मान कर चलना चाहिए। योगी ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाकर पार्टी के सभी मुख्यमंत्रियों की कतार में अपनी लाइन सबसे आगे कर ली है। किसान आंदोलन और लखीमपुर की घटना के बाद भाजपा का कमबैक ये संदेश देता है कि पार्टी की विचारधारा से समझौता किए बगैर अगर कोई नेता सारे विपक्षी मॉड्यूल को ध्वस्त कर सकता है तो वो हैं योगी आदित्यनाथ।
Uttar Pradesh Assembly Election Results 2022
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