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इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
Why Pandit Birju Maharaj was Called Dukh Haran दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते है जिनके सर से बचपन में ही पिता का साया उठ जाये लेकिन फिर भी हार न मने और नाम रोशन कर जाये कुछ ऐसी ही थे जानी मानी शक्शियत पंडित बिरजू महाराज। उनका जन्म 4 फरवरी 1937 को लखनऊ के प्रसिद्ध कथक नर्तक परिवार में हुआ था। 83 साल की उम्र में भले ही वे इस दुनिया को अलविदा कह गए हों लेकिन उनके गीत और नृत्य आज भी हमारे दिलों में बेस हुए हैं।
पंडित बृजमोहन मिश्रा कहें या पंडित बिरजू महाराज वे दोनों ही नमो से जाने जाते थे । इसके आलावा उनका एक और नाम भी है जिसे शायद ही आप जानते हो, जी हां ऐसा कहा जाता है कि पहले उनका नाम ‘दुखहरण’ रखा गया था, लेकिन बाद में इसको बदल कर ‘बृजमोहन नाथ मिश्रा’ कर दिया गया था। उनका नाम दुखरहण कैसे पड़ा इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है। जब 4 फरवरी 1937 में उनका जन्म हुआ तब उस अस्पताल में उनके अलावा ग्यारह लड़कियां पैदा हुई थीं। अस्पताल में उस दिन एक ही लड़का पैदा हुआ था वह और कोई नहीं बल्कि पंडित बिरजू महाराज थे (Story of Pandit Birju Maharaj)
उनके जन्म पर सभी लोगों ने कहा कि ‘दुखहरण’ आ गया। यह हम सबके दुखो को हर लेगा। इसके साथ ही यह भी कहने लगे की कन्हैया ने उनके घर जन्म लिया है इसी कारण उनका नाम बृजमोहन रखा गया। वही कुछ लोग उन्हें लाड प्यार में बिरजू कह कर पुकारने लगे। जब वे आदर सम्मान से सुगंधित हुए तो लोग उन्हें बिरजू महाराज के नाम से पुकारने लगे। (Pandit Birju Maharaj ko kin namo say jana jata tha)
बिरजू महाराज एक कथक नर्तक होने के साथ-साथ एक शास्त्रीय गायक भी थे। वे लखनऊ के कालका बिंदादीन घराने के सदस्य थे। लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज एक कथक नर्तक होने के साथ-साथ एक शास्त्रीय गायक भी थे। बिरजू महाराज के पिता और गुरु आचन महाराज, चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज भी प्रसिद्ध कथक नर्तक थे। (Pandit Birju Maharaj ki Jivni)
Why Pandit Birju Maharaj was Called Dukh Haran
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