लोकसभा चुनाव 2024

Kangana Ranaut: क्या राजनीति निगल जाएगा कंगना राणावत का फिल्मी कैरियर ?

India News (इंडिया न्यूज़), अरविन्द मोहन : कंगना राणावत से इस लेखक को सहानुभूति है। इस हद तक सहानुभूति है कि वह उसके मंडी से चुनाव जीतने तक की कामना करता है। सामान्य ढंग से इसके लक्षण भी हैं । मोदी जी और भाजपा अभी दूसरों से आगे दिखते हैं और मंडी समेत हिमाचल की चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा सा रहा है। और जब सोशल मीडिया और बाकी जगहों पर कंगना पर कई तरह के हमले हो रहे हैं तो भी इस लेखक को बुरा लगता है।

कंगना के कैरियर में नुकसान

लेकिन अपने बारे में इतना कहने के बाद यह सफाई देनी भी जरूरी है कि जब कंगना राणावत को भाजपा ने टिकट दिया और कंगना उसे स्वीकार किया तो इस लेखक को यह सबसे बुरा लगा था। ऐसा बुरा जबरदस्त प्रतिभाशाली अभिनेता अनुपम खेर के भाजपा समर्थन पर नहीं लगा था क्योंकि उनका कैरियर और अभिनय दोनों ही उतार पर थे। कंगना के साथ ऐसा नहीं था पर बीते दस वर्ष के भाजपा और मोदी समर्थन से उसे कैरियर में नुकसान ही नुकसान हुआ है। अभिनय का तो खास कहना मुश्किल है क्योंकि मैं फिल्में प्राय: नहीं देखता और किसी खास अभिनेता और अभिनेत्री का दीवाना भी नहीं रहा हूं।

सालों बाद Varun Badola ने Sangeeta Ghosh के साथ डेटिंग की अफवाहों पर चुप्पी तोड़ी, सच्चाई से उठाया पर्दा

राजनीति में भी सफल होने में हैं कंगना

चुनाव नतीजे से पहले कंगना के प्रति सहानुभूति उनको टिकट मिलने पर उनके फिल्मी जीवन की कुछ भद्दी तस्वीरें सोशल मीडिया पर लाने और सुप्रिया श्रीनेत्र तथा अपनी पुरानी बॉस मृणाल पांडे समेत चारों तरफ से उन पर हमला होने से भी थी। इसमें से सुप्रिया ने तो माफी मांग ली लेकिन हमले जारी हैं।

पर कंगना कोई बेचारी नहीं है, न उसके राजनैतिक आका लोग कमजोर हैं। उसका एक लंबा इंटरव्यू एक बड़े चैनल पर लगभग उसी रफ्तार में आगे बढ़ी और सुख, समृद्ध से लेकर नाम पाने वाली पत्रकार ने किया जिनका खुद का मोदी सरकार प्रेम भी छुपा नहीं है। कंगना के इंटरव्यू का एक न्यूज वैल्यू तो है लेकिन इतने लंबे इंटरव्यू का मतलब जनसम्पर्क अभियान चलाना भी था। और अपनी ओर से उस महिला एंकर ने कंगना के जबाबों के अटपटेपने को संभालने की भी कोशिश की। लेकिन साफ लगा कि अपने हौसले और अभिनय प्रतिभा के दम पर मुंबई की मुश्किल फिल्म नगरी में ऊंचा मुकाम बनाने में सफल रही कंगना अपने खास तरीके से राजनीति में भी सफल होने और एक मुकाम बनाने की तैयारी के साथ आई है। जाहिर तौर पर इसकी जो झलक इस इंटरव्यू में दिखी वह कंगना या उस जैसी अत्यधिक महत्वाकांक्षी लड़कियों या लड़कों की साफ सीमा को भी बताता है। और इस सीमा को न जानने के बावजूद इस राजनीति में छलांग लगाने के फैसले से ज्यादा सहानुभूति होती है।

नेताजी गए कहां?

कंगना ने अपने मध्यवर्गी परिवार के कांग्रेसी और उसमें भी थोड़े दक्षिणपंथी रुझान वाला होने से बात शुरू की, इसकी सच्चाई जाँची जा सकती है और तब के कांग्रेस में तरह-तरह के विचार के लोग भी थे। पर जब उन्होने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मुल्क का पहला प्रधानमंत्री बताया और उनकी गुमशुदगी पर कांग्रेस को घेरने का प्रयास किया तो इस मोदी समर्थक एंकर ने संभालने का प्रयास किया कि देश के पहले प्रधानमंत्री तो नेहरू थे।

अपने स्तर पर तैयार कंगना इस राय को संशोधित करने की मुद्रा में न थी और वह नेताजी की गुमशुदगी के सवाल को नया रूप देकर चर्चा पाना और अपने राजनैतिक आकाओं की नजर में खास बनना चाहती थी। उनका दावा था कि जिस आदमी ने अपने खून से देश को आजादी दी उसे आजाद भारत में पाँव नहीं रखने दिया गया। दूसरी ओर जो लोग जेल में बैठे टीवी देख रहे थे उनको शासन सौंप दिया गया। लाख प्रयास के बावजूद एंकर कंगना को दूसरे विषय पर नहीं ले जा पाई तो कहा कि आपका सवाल क्या है। कंगना ने उल्टा सवाल पूछा कि नेताजी गए कहां?

इस सवाल को इस सफल हीरोइन ने राजनीति में अपना नया आधार बनाने और सफलता पाने के लिए तैयार किया था, पर असल में यह उसकी सीमित पढ़ाई, सोच और अति महत्वाकांक्षी होने को ही जाहिर करता है। पर इन सीमाओं या घटियापने का इससे भी ज्यादा साफ प्रमाण सरदार पटेल को अंग्रेजी न जानने की वजह से प्रधानमंत्री की रेस में पिछड़ने वाला बताना था। शायद कंगना को मालूम न था कि तब इंगलैंड से बैरिस्टरी पास होने का क्या मतलब था और अहमदाबाद का सबसे सफल और कमाऊ क्रिमिनल वकील बनाना कितना मुश्किल था।

राहुल गांधी के बारे में क्या है कंगना की राय

राहुल के बारे में कंगना की राय थी कि वे नेता नहीं बन सकते क्योंकि उनके अंदर वह बात नहीं है। यहां तक तो ठीक था पर कंगना ने यह भी कह दिया कि नेतागीरी कोई साफ्टवेयर से डाउनलोड होने की चीज नहीं है जो अब उनके दिमाग में भर दी जाए। पीएम मोदी के बारे में भी कंगना की राय थी कि उनमें राम का अंश है। वे सूरज की तरह प्रकाशवान हैं जिनके आगे बाकी सब नेता मोमबत्ती दिखते हैं।

क्या मोदी के नजरों में आना चाहती हैं कंगना ?

साफ लगता है कि कंगना का यह इंटरव्यू उस चैनल और एंकर ने चाहे जिस जायज-नाजायज वजह से चलाया और जितनी तैयारी की कंगना अपनी तरफ से पूरा तैयार होकर आई थी। इनकी बातों में कोई उलझाव नहीं था और न कहीं ‘ज्ञान’ की कमी दिख रही थी। यह महिला एंकर अपने ज्ञान से उसमें संशोधन करने का प्रयास करके भी नहीं सफल हुई। कंगना की तैयारी अपने नए कैरियर में धमाका करने, नई चर्चा पाने, अपने नेता के मुख्य विरोधी को ध्वस्त करना और उसे भगवान के अंश वाला बताकर उसकी नजर में खास जगह बना लेना था।

और असल में यह उसकी बेचारगी को बताता है। यह इतिहास के उसके ज्ञान की सीमा से ज्यादा मौजूदा राजनीति को न पहचान पाने, आज की पार्टियों-नेताओं-चुनाव के चरित्र को न समझ पाने की तरफ भी इशारा करता है। स्मृति ईरानी एक इंटरव्यू से मोदी की नजर में चढ़ी हों लेकिन उनकी मेहनत, सफलता, और माँ-अपमान झेलकर पार्टी में रहने की क्षमता सब जानते हैं और वही क्यों, आज मोदी के जितने सहयोगी हैं या राहुल के जितने करीबी हैं या अखिलेश और तेजस्वी के जितने मददगार हैं वे इस तरह की बातें करके, इस छिछले स्तर की तैयारी से नहीं आए है। और सामाजिक राजनैतिक काम इस तरह के हलकेपन वाला है भी नहीं। इसीलिए इस जबरदस्त अभिनेत्री द्वारा राजनीति और चुनाव में डुबकी लगाने पर सहानुभूति का भाव जग रहा है। वे इसका ‘उपयोग’ अपने लिए नहीं कर सकतीं, यह राजनीति और चुनाव उनको और उनके कैरियर को जरूर निगल जाएगा।

Divyanshi Singh

Recent Posts

वाकई फटने वाला है परमाणु बम? अचानक गायब हुए Putin, लीक हो गया 12 दिनों का सच…ताकतवर देशों के माथे पर पसीना

रूस का ये निर्णय यूक्रेन द्वारा ब्रांस्क क्षेत्र में रूसी युद्ध सामग्री डिपो को लक्षित…

16 minutes ago

Delhi Election 2025 : आप का ‘रेवड़ी पर चर्चा’ अभियान लॉन्च, केजरीवाल बोले- ‘फ्री सुविधाएं देना..’

India News (इंडिया न्यूज),Delhi Election 2025: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल…

28 minutes ago

भारत के पडोसी देश में एक बार फिर खेली गई खून की होली, काफिले पर दोनों तरफ से बरसाई गई गोली, 50 लोगों की हुई मौत

Terror Attack in Pakistan: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम इलाके में आतंकियों ने वाहनों…

51 minutes ago