India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: रायबरेली और अमेठी सीट पर आखिरकार वो ही हुआ, जो लगभग तय माना जा रहा था। अपनी मां सोनिया गांधी के दबाव में राहुल गांधी चुनाव लड़ने को तैयार हुए और सुरक्षित समझे जाने वाली रायबरेली सीट से ही प्रत्याशी बने। वहीं, सांसद प्रतिनिधि के रूप में गांधी परिवार की सालों से सेवा करने वाले किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से मौका देकर पार्टी ने बड़ा हैरान करने वाला फैसला किया है। कांग्रेस के इस फैसले ने विपक्ष को हमले का बड़ा मौका दे दिया।

हालांकि पार्टी के प्रवक्ता जयराम रमेश कह रहे हैं कि राहुल रणनीति के तहत ही रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं। किशोरी ने राहुल से पहले नामांकन दाखिल किया। प्रियंका गांधी ने उनके समर्थन में भाषण भी दिया और प्रचार का भी भरोसा दिया। जबकि राहुल गांधी के पर्चा दाखिल करने के समय उनकी मां सोनिया गांधी, बहन प्रियंका गांधी, जीजा राबर्ट वाड्रा और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आदि मौजूद रहे। राहुल का रायबरेली से नाम घोषित होने के बाद शुक्रवार सुबह गांधी परिवार के साथ संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तमाम नेता एक ही विमान से अमेठी—रायबरेली के करीबी हवाई अड्डे पर पहुंचे।

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प्रियंका गहलोत के साथ पहुंचीं अमेठी
हवाई अड्डे से प्रियंका गांधी राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ अमेठी पहुंची और वहां किशोरी का नामांकन दाखिल करवाया। इसके बाद वे फिर रायबरेली लौट आए। उससे पूर्व रायबरेली दफ्तर पहुंचने पर राहुल का भव्य स्वागत किया गया, लेकिन अब सवाल यही उठ खड़ा हुआ कि आखिर गांधी परिवार ने अमेठी क्यों छोड़ी। विपक्ष खास तौर पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो सीधे डर कर भागने को मुद्दा बनाने में जुट गए है। कांग्रेस के पास इसका कोई जवाब नहीं है। इसका कारण यह है कि अमेठी जैसी सीट को एक दम से छोड़ देना हैरान करने वाला फैसला माना जा रहा है। इस फैसले से इतना तो तय हो गया है कि अमेठी में अब गांधी परिवार की वापसी नहीं होगी। किशोरी की जीत को लेकर आशंका बरकरार है।

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राहुल की राह भी नहीं है आसान
वहीं, राहुल के लिए भी रायबरेली की राह भी बहुत आसान नहीं है, क्योंकि भाजपा ने वहां से पिछली बार चुनाव हारने वाले दिनेश प्रताप सिंह को फिर उम्मीदवार बनाया। दिनेश प्रताप सिंह राज्य सरकार में मंत्री हैं। जानकार कहते हैं कि डीपी सिंह ने चुनाव हारने के बाद रायबरेली नहीं छोड़ा। जिस टीम ने स्मृति ईरानी को अमेठी जिताने में अहम भूमिका निभाई थी, उस टीम ने रायबरेली को अपने जिम्मे लिया। पूरे पांच साल से वे वहां पर सक्रिय है। राज्य सरकार ने भी विकास में कोई कमी नहीं रखी है। जबकि दूसरी तरफ गांधी परिवार ने अपनी सक्रियता वहां पर बहुत कम कर दी गई। ऐसे में इस बार उनके लिए रायबरेली जीतना आसान नहीं होगा।

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पर्चा भारी मन से भरा है राहुल ने…!
राहुल ने भले ही नामांकन दाखिल कर दिया, लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज बता रही थी कि वह भारी मन से पर्चा दाखिल करने आए हैं।पर्चा दाखिल करने से पूर्व कार्यकर्ताओं ने पूजा की भी तैयारी की हुई थी, लेकिन वह उसमें शामिल नहीं हुए। यही नहीं राहुल ने अमेठी से भी दूरी बनाए रखी। किशोरी के नामांकन में राहुल की जगह प्रियंका शामिल हुई। उनके जीजा राबर्ट वाड्रा जरूर पहली बार सफेद खादी पहने हुए दिखाई दिए। उन्होंने भी अमेठी से दावेदारी की हुई थी, लेकिन परिवार तैयार नहीं हुआ। अब कांग्रेस कह रही है कि प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ने का चेप्टर अभी बंद नहीं हुआ है। इसके बाद प्रियंका के प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बनारस से चुनाव लड़ने की बात होने लगी है। हालांकि इसे शिगुफा ही माना जा रहा है।

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