India News (इंडिया न्यूज़), अजीत मेंदोला | Lok Sabha Election 2024: चुनाव आयोग ने 18 वीं लोकसभा के गठन के लिए आम चुनाव की घोषणा कर दी। आजादी के बाद यह पहला ऐसा चुनाव होगा जब गैर कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार चुने जाने की पूरी संभावना जताई जा रही है। यूं कह सकते हैं कि मोदी लहर के दम पर ही एनडीए चुनाव जीतेगा।
मोदी के फैसले और काम को लेकर विपक्ष कितने भी सवाल उठाए, लेकिन आम जन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं दिखता है। अधिकांश सर्वे साबित भी करते हैं कि मोदी लहर है। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि 139 साल पुरानी सात दशक तक राज करने वाली कांग्रेस के लिए यह चुनाव अस्तित्व बचाने वाला हो गया। अब तक के सबसे कमजोर नेतृत्व के चलते कांग्रेस इस स्थिति में पहुंची है। बीते एक दशक में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी जहां ताकतवर होती गई, वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस लगातार कमजोर होती चली गई।
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कांग्रेस के साथ राहुल गांधी के राजनीतिक कैरियर के लिए भी यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। इस बार अगर प्रतिपक्ष के नेता लायक भी बहुमत नहीं आया तो कांग्रेस में उनकी बहन प्रियंका गांधी को कमान सौंपने की मांग पार्टी में उठ सकती है। यूं भी पार्टी के भीतर अंदर खाने कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस एक ऐसे संख्या बल के भरोसे राजनीति कर रही है जो गले नहीं उतरता है।
कांग्रेस को लगता है कि जनता अपने आप ही गैर हिन्दी भाषी राज्यों में 2004 की तरह उन्हें सरकार बनाने लायक संख्या दिला देगी। कांग्रेसी मानते हैं देश में मोदी जैसी कोई लहर नहीं है। उनका तर्क है कि केरल,कर्नाटक,पंजाब,बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल में तो वह और विपक्ष ही जीतेगा। बाकी हिंदी भाषी राज्यों में दो दो,चार चार सीट भी आएंगी तो जोड़ तोड़ कर कांग्रेस सरकार बनाई लेगी। शायद कांग्रेस 2004 जैसे किसी चमत्कार की उम्मीद कांग्रेस कर रही।
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राहुल गांधी को भी यही गणित समझाया होगा, इसलिए वह पार्टी संगठन को कम महत्व दे प्रधानमंत्री मोदी पर ही दस साल से हमलावर बने हुए हैं। उनके करीबी कहते हैं मोदी पर इसलिए हमला करते हैं कि जिससे मोदी से नाराज जनता उन्हें वोट देगी। हो सकता ऐसा हो। क्योंकि 90 के दशक से कांग्रेस दूसरों के भरोसे वाली राजनीति ही करती आई है।इसके चलते राज्यों में वह सिमट गई है।
कांग्रेस के तर्क का पता परिणाम वाले दिन लग जायेगा कि सही था या कुतर्क था। कांग्रेस ने बीते दस साल में मोदी की राजनीति पर गौर किया होता तो बहुत कुछ सीखा जा सकता था। इतना तो सीख ही सकती थी कि समय पर तुरन्त फैसले और ताकतवर संगठन बहुत जरूरी है।
दरअसल 2014 का आम चुनाव ऐतिहासिक कहा जा सकता। परिणाम कल्पना से विपरीत आए। मोदी के रूप में ऐसे युग की शुरुआत हुई जिसको विपक्ष ने खासतौर पर कांग्रेस ने गंभीरता से नहीं लिया। कांग्रेस को लगा कि देश में उनके अलावा पांच साल से ज्यादा कोई राज नहीं कर सकता। इसके चलते कांग्रेस हाथ में हाथ धरे बैठी रही। संगठन को देशभर में मजबूती देने के बजाए विपक्ष के साथ मिल 150 का टारगेट सेट कर आम जन की नब्ज को भांपे बिना राजनीति करने लगी। नोट बंदी जैसे मुद्दे पर भी देश के मूड को नहीं समझ पाई। प्रधानमंत्री मोदी जानते थे देश में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है। नोट बंदी कर वह देश को यह समझाने में सफल रहे कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नोटबंदी की है।
इसके बाद उन्होंने गरीब तबके को साधा। उज्ज्वला योजना, पक्का घर,बिजली,पानी और गांव गांव शौचालय सफाई अभियान को टारगेट किया। इससे बीजेपी ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत होती चली गई। इसके साथ युवाओं और महिलाओं को साधा। मोदी ने युवाओं से कई मौकों पर सीधा संवाद किया। देश में अपनी लहर बनानी शुरू कर दी। फिर सर्जिकल स्ट्राइक और एअर स्ट्राइक से देश में जोश भर दिया। कांग्रेस ने मोदी की ताकतवर इमेज को इतने हल्के में लिया कि राहुल गांधी ने चौकीदार चोर का नारा दे चुनाव लड़ा। उसके बाद 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं आया। 2014 के मुकाबले 44 से 52 में पहुंची। प्रतिपक्ष के नेता पद लायक भी बहुमत नहीं आया।
प्रधानमंत्री मोदी ने पार्ट 2 की शुरुआत से पार्टी 3 का एजेंडा सेट कर दिया। कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर देश दुनिया को चौकाया दिया। इसके बाद अयोध्या में राम मंदिर का फैसला और मंदिर निर्माण, महिलाओ को लोकसभा विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण, तीन तलाक़, नए संसद भवन का निर्माण, बन्दे भारत ट्रेन, सड़कों का जाल ये ऐसे फैसले थे जिन्हें विपक्ष ने हल्के में ले लिया। कांग्रेस अयोध्या में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह और अनुच्छेद 370 को लेकर ऐसी फंसी कि आज तक उसके पास उसका कोई जवाब ही नहीं है।
बीजेपी ने कांग्रेस को दोनों फैसलों का विरोधी साबित को मुद्दा बना लिया। आज इन मुद्दों को लेकर ही बीजेपी चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने जनता को लिखे पत्र में उपरोक्त सभी योजनाओं का जिक्र कर विकास के लिए वोट की अपील की है। दूसरी तरफ कांग्रेस राहुल के चेहरे, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को मुद्दा बना मैदान में है। लगभग दो माह चलने वाले चुनावी युद्ध के परिणाम से पता चलेगा कि कौन सही था और कौन गलत।
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