India News(इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तर प्रदेश की 51 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है, वहीं समाजवादी पार्टी (एसपी) ने भी अपने कोटे की 31 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। चुनाव में सबसे पहले उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस बार अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, लेकिन अभी तक एक भी सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया गया है। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर मायावती किसका इंतजार कर रही हैं?
बीएसपी प्रमुख मायावती ने 2019 में एसपी-आरएलडी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था और पार्टी के 10 सांसदों को जिताने में सफल रही थीं, जिनमें से 2 सांसद दूसरी पार्टी में शामिल होकर मैदान में उतरे हैं। मायावती ने संकेत दिया है कि पार्टी के मौजूदा सांसदों को टिकट नहीं दिया जाएगा। वहीं, बसपा सांसदों को मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले में अपनी जीत की कोई संभावना नहीं दिख रही है। इसके लिए वे सुरक्षित जगह की तलाश में हैं और जिसे जहां मौका मिल रहा है, वह हाथी से नीचे उतर रहा है।
लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे राजनीतिक दलों के बीच टिकट बंटवारे को लेकर होने वाले उतार-चढ़ाव पर मायावती की नजरें टिकी हुई हैं। इसी वजह से वह इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं। प्रत्याशियों के चयन के लिए मायावती हर दिन मंडल और सेक्टर प्रभारियों के साथ बैठक कर रही हैं। ऐसे में पार्टी उन दावेदारों पर खास ध्यान दे रही है जिन्हें पिछले चुनाव में 2 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। इसके अलावा जिन सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, वहां पार्टी जोनल कोऑर्डिनेटर को ही टिकट देने की रणनीति अपना सकती है।
बसपा सूत्रों की मानें तो पार्टी समन्वयकों ने अपने-अपने क्षेत्र की अधिकांश सीटों पर संभावित उम्मीदवारों के नामों की सूची भी मायावती को सौंप दी है। बीएसपी ने हर सीट के लिए तीन नाम चुने हैं, जिस पर पार्टी मुखिया के साथ मंथन चल रहा है। बसपा ने इस बार रणनीति बनाई है कि सपा-कांग्रेस गठबंधन और बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची आने के बाद ही पार्टी अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी। ऐसे में मायावती की रणनीति विपक्षी दलों के उम्मीदवारों के समीकरण को देखकर ही अपना कदम आगे बढ़ाने की रही है।
बीएसपी के एक को-ऑर्डिनेटर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यूपी की 80 में से 60 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर मायावती ने भी अपनी सहमति दे दी है, जिसमें समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है। सीटें। है। उदाहरण के तौर पर, अयोध्या लोकसभा सीट पर बीजेपी ने ठाकुर समुदाय को टिकट दिया है और सपा ने दलित समुदाय से उम्मीदवार खड़ा किया है। ऐसे में बसपा इस सीट पर किसी यादव या निषाद समुदाय को टिकट देगी। इसी तरह अंबेडकर नगर सीट पर भी बसपा ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। सपा ने कुर्मी समुदाय से आने वाले लालजी वर्मा को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने ब्राह्मण समुदाय से आने वाले रितेश पांडे को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में बसपा इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है।
प्रतापगढ़ संसदीय सीट से बीजेपी ने संगम लाल गुप्ता और एसपी ने एसपी सिंह पटेल को टिकट दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि बसपा इस सीट पर किसी मुस्लिम या ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है। बदायूँ लोकसभा सीट पर भी बीजेपी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन सपा ने शिवपाल यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा इस सीट पर किसी मुस्लिम को टिकट देने की योजना बना रही है। मुजफ्फरनगर सीट पर सपा ने जाट समुदाय से आने वाले हरेंद्र मलिक को उम्मीदवार बनाया है, वहीं बीजेपी ने भी जाट समुदाय से आने वाले संजीव बालियान को टिकट दिया है। ऐसे में बसपा अब इस सीट पर किसी मुस्लिम उम्मीदवार को उतारने की कोशिश कर सकती है।
वहीं, बसपा सहारनपुर, बिजनौर और मेरठ जैसी मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है। बसपा जहां गाजीपुर सीट से किसी यादव पर दांव लगाएगी, वहीं फर्रुखाबाद सीट से वह यादव और मुस्लिम दोनों फॉर्मूले पर विचार कर रही है। बसपा अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में इसलिए भी देरी कर रही है क्योंकि उसकी नजर बीजेपी और एसपी के नाराज नेताओं पर दांव खेलने की भी है। बसपा भाजपा और सपा के उन कद्दावर नेताओं को मैदान में उतारेगी जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा। 2019 के चुनाव में बीएसपी ने अपनी पहली लिस्ट 22 मार्च 2019 को जारी की थी, जिससे माना जा रहा है कि इस बार भी इसी समय के आसपास मायावती अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करेंगी।
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