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India News (इंडिया न्यूज), Death of Elephants: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाल ही में 72 घंटे के भीतर 10 हाथियों की मौत हो गई। यह घटना सभी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। हाथियों की मौत के कारणों की जांच जारी है, लेकिन अब तक कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है। इस बीच, एक 90 साल पुरानी रिपोर्ट से नई जानकारी मिली है, जो हाथियों की मौत के संभावित कारणों पर रोशनी डालती है।
रिपोर्ट 22 मई, 1934 को वन्य जीव विशेषज्ञ आरसी मॉरिस द्वारा तैयार की गई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि कोदो नामक एक अनाज के सेवन से हाथियों की मौत हो सकती है। मॉरिस ने यह भी लिखा था कि जब कोदो पकता है, तो यह जहरीला हो सकता है, लेकिन इसका जहर स्पष्ट रूप से नहीं दिखता। हाथियों की मौत के इलाज के लिए इमली का पानी या छाछ पीने की सलाह दी गई थी।
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बांधवगढ़ में हाल की घटनाओं में, अधिकारियों को हाथियों के पेट से कोदो के बड़े हिस्से मिले हैं। इस संबंध में वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार कुछ कोदो में फंगस लग सकता है, जो खाने के बाद हाथियों के लिए टॉक्सिक हो जाता है। इससे हाथियों में उल्टी और चक्कर आने जैसे लक्षण पैदा होते हैं।
इस मामले में वन विभाग पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिससे हाथियों की मौत को रोका नहीं जा सका। वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते उचित कदम उठाए जाते, तो शायद ये हाथी बच सकते थे। हालांकि, अभी भी लैब से फंगस की जांच की रिपोर्ट आना बाकी है।
मॉरिस की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विशेष जलवायु और मौसम की परिस्थितियों में फंगस सक्रिय होता है। यदि कोदो को गोबर के पानी में भिगोकर रखा जाए, तो यह निष्क्रिय हो सकता है। इससे यह साबित होता है कि प्राकृतिक तरीके से भी इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
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