संबंधित खबरें
Jammu and Kashmir: बडगाम में खाई में गिरी BSF जवानों की बस, 4 जवान शहीद, 32 घायल
मेरठ में बड़ा हादसा, तीन मंजिला मकान गिरने से कई घायल, मलबे में दबे पशु
किस दिन होगा केजरीवाल की किस्मत का फैसला? इस घोटाले में काट रहे हैं सजा
No Horn Please: हिमचाल सरकार का बड़ा फैसला, प्रेशर हॉर्न बजाने पर वाहन उठा लेगी पुलिस
Himachal News: बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छे दिन! जानें पूरी खबर
Rajasthan: चेतन शर्मा का इंडिया की अंडर-19 टीम में चयन, किराए के मकान में रहने के लिए नहीं थे पैसे
India News (इंडिया न्यूज़), Digvijay Singh-Kamal Nath: साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। जिसकी तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। सभी पार्टी के नेता एक दूसरे पर जुबानी वार करना भी शुरु कर दिए हैं। अब कयास लगाया जा रहा है कि जल्द हीं कांग्रेस पार्टी अपने दावेदार के नाम की घोषणा कर सकती हैं। दावेदारों के नाम को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री एवं पार्टी के वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह ने भी अपना बयान दिया है। उन्होंने चुनाव में जीत की हुंकार भरते हुए कहा कि इस विधानसभा चुनाव में कमलनाथ सर्वेसर्वा हैं। वो जिनके भी नाम पर मुहर लगाएंगे उनका ही नाम होगा। यह जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई है। हमें उनपे पूरा भरोसा है।
दिग्विजय सिंह के इस बयान के साथ ही सियासी जगत में कई सवाल भी उठने लगें हैं। लोगों का सवाल है कि कमलनाथ को दिया जा रहा पूरजोर समर्थन इनके दोस्ती का परिणाम है या फिर इसके पीछे दिग्विजय सिंह अपना मुनाफा देख रहें हैं। बता दें कि दिग्विजय-कमलनाथ की दोस्ती काफी पुरानी है। यह कहानी 1993 में शुरु हुई थी जब कमलनाथ की सूझबूझ से मुख्यमंत्री पद के लिए दिग्विजय सिंह के नाम का ठप्पा लगा था। उस समय मुख्यमंत्री पद के लिए 3 नामों पर चर्चा थी। जिसमें दिग्विजय सिंह, माधवराव सिंधिया और श्यामचरण शुक्ल का नाम था। माधवराव सिंधिया ने श्यामचरण शुक्ल को अपना समर्थन दे दिया। जिसके कारण उनका पलड़ा भारी हो गया था। लेकिन कमलनाथ की सूझबूझ ने दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री बनवाया।
इस दोस्ती को आगे बढ़ाते हुए दिग्विजय सिंह ने 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ को अपना समर्थन दिया था। दरअसल, इस साल मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार थें। पहला नाम कमलनाथ का और दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम था। इस समय दिग्विजय सिंह ने दोस्ती बरकरार रखते हुए अपना समर्थन कमलनाथ को दिया था। दिग्विजय खेमे के 50 विधायकों के समर्थन से कमलनाथ मुख्यमंत्री बनाए गए थें। जिसके 4 महीने बाद सिंधिया की बगावत के कारण कमलनाथ की सरकार गिर गई।
वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि दिग्विजय सिंह का यह समर्थन दोस्ती के लिए नहीं बल्कि अपने मुनाफे के लिए है। माना जा रहा है कि कमलनाथ की सरकार में दिग्विजय सिंह को अपने बेटे का भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा है क्योंकि कमलनाथ की भी उम्र अब ढ़लने लगी है। अगर वो सत्ता में आतें भी हैं तो अगले 5-7 साल में रिटायर हो जाएंगे। जिसके बाद दिग्विजय सिंह उनकी मदद से अपनी बेटे के लिए मजबूत सतह तैयार करने की कोशिश करेंगे।
Also Read-
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.