India News (इंडिया न्यूज),Madhya Pradesh News: रोजाना की गालियों और धमकियों से परेशान होकर तो कुछ लोग छोड़ने के लिए मजबूर है, तो कोई दुनिया छोड़ने की कोशिश कर रहे है। यह हताशा और निराशा से भरी कहानी बैतूल की है, जहां के आदिवासी ग्रामीण माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों के मकड़ जाल में बुरी तरह जकड़ गए हैं। माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों के लोक लुभावने वादे ओर उसके बाद अघोषित कटौती से आदिवासी कर्ज़ के दल दल में फंसते चला रहा है।
कोई रास्ता नहीं दिख रहा है
आपको बता दें कि जिला मुख्यालय से लगे जामठी ग्राम की महिलाएं इनसे छुटकारा पाने के लिए कलेक्टर को आवेदन-निवेदन कर चुकी हैं। जामठी ग्राम की मेहनत मजदूरी करने वाली शिवकली बाई, सविता बाई, सुनीता बाई हो या फिर कर्षनी बाई सबकी कहानी 1 जैसी ही है। सभी ने अलग अलग माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों से लोन लिया था। इनका इरादा मेहनत-मजदूरी के साथ-साथ बकरी, मुर्गी पालन या अन्य छोटे-मोटे धंधे थे जो घर बैठे घर के अन्य सदस्य कर सके, लेकिन वे कर्ज़ के ऐसे दलदल में फंस गए हैं जंहा से उन्हें निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।
चुकाने का भारी दबाव है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक कंपनी से कर्ज लेने वाली शिवकली सरियाम ने कहा कि उन्होंने 40 हजार का लोन लिया था। अब उन पर इसको चुकाने का भारी दबाव है। आधा से अधिक चुका दिया है फिर भी परेशान करते हैं। 1 महिला तो इस लोन से तंग आकर रेलवे लाइन में मरने के लिए गई थी।
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