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India News(इंडिया न्यूज),Indore News: 337 टन जहरीले कचरे को निपटान के लिए पीथमपुर की रामकी कंपनी में लाया गया है। इससे लोगों में काफी डर का माहौल है। कंपनी के नजदीक के तारपुर गांव के कई परिवार पलायन कर चुके है। कुछ घरों में ताले है, जो परिवार यहां अभी रह रहे है, वे भी दूसरी जगह ठिकाना खोज रहे है या अपने गांव जाने की तैयारी में लगे है। ग्रामीणों में डर की बड़ी वजह यह है कि साल 2008 में जो 10 टन कचरा यहां दफनाया गया है। उसके कारण नदी का पानी काला पड़ चुका है।
आपको बता दें कि बोरिगों का पानी पीने योग्य भी नहीं है। सरकार भले ही अलग-अलग जांचों में पानी के दूषित न होने का हवाला दे, लेकिन यहां के ग्रामीणों को उस पर विश्वास नहीं है। उनका कहना है कि पानी पीना तो दूर नहाने और बर्तन धोने के उपयोग के कारण ही उन्हें बीमारियां हो रही है। चमड़ी से जुड़े रोगों की बात गांव वाले ज्यादा करते है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संतोष कुमार 5 साल से तारापुर गांव की बस्ती में रहते है। वे मूलत: बिहार से है। उनका कहना है कि अक्सर परिवार में कोई न कोई बीमार रहता है। कमाई का बड़ा खर्च उपचार में लगता है। अब यहां 337 टन कचरा लाया गया है। हम जीने के लिए कमा रहे है। इस जहरीले कचरे के बीच तो रहना दुश्वार हो गया है, इसलिए परिवार को गांव भेज दिया है।
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